तुवरक को चालमोगरा के नाम से भी जानते हैं। चालमोगरा (तुवरक) एक औषधि है जिसके फायदे (chalmogra ke fayde) घाव को ठीक करने, उल्टी को रोकने, कुष्ठ रोग को ठीक करने में मिलते हैं। इसके साथ ही आप खुजली, गले के रोग, डायबिटीज, सूजन सहित खांसी और सांसों के रोग में भी तुवरक से लाभ ले सकते हैं।
कुष्ठ रोग और आंखों की बीमारी में तुवरक के फायदे मिलते हैं। मुख्यतः त्वचा रोग में तुवरक का इस्तेमाल किया जाता है। चालमोगरा (तुवरक) का तेल कुष्ठ रोग का इलाज करता है। आजकल इंजेक्शन द्वारा भी तुवरक (चालमोगरा) का प्रयोग किया जाता है। प्राचीन बौद्ध-ग्रन्थों तथा आयुर्वेदीय किताबों में इसका वर्णन प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि और किन-किन बीमारियों में तुवरक (चालमोगरा) से लाभ (tuvrak ke fayde) होता है।
Contents
- 1 तुवरक (चालमोगरा) क्या है : What is Tuvarak (Chaulmoogra)?
- 2 अनेक भाषाओं में तुवरक (चालमोगरा) के नाम (Name of Tuvrak (Chaulmoogra) in Different Languages)
- 3 तुवरक (चोलमोगरा) के फायदे और उपयोग (Tuvrak (Chalmogra) Benefits and Uses in Hindi)
- 3.1 कंठ के रोग में तुवरक के फायदे (Benefits of Tuvarak Oil for Throat Disease in Hindi)
- 3.2 टीबी रोग में तुवरक के फायदे (Tuvarak Oil Benefits for TB Disease in Hindi)
- 3.3 हैजा में तुवरक के फायदे (Benefits of Turvak in Cholera Disease in Hindi)
- 3.4 डायबिटीज में फायदेमंद तुवरक का सेवन (Turavak Benefits in Controlling Diabetes in Hindi)
- 3.5 योनि के दुर्गंध आने की समस्या में चालमोगरा के फायदे (Chaulmoogra Benefits in Vagina Orour Problem in Hindi)
- 3.6 सिफलिस रोग में चालमोगरा के फायदे (Benefits of Chaulmoogra in Syphilis Disease in Hindi)
- 3.7 गठिया रोग में चालमोगरा के फायदे (Chaulmoogra Benefits in Treating Gout Disease in Hindi)
- 3.8 घाव में चालमोगरा के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Chaulmoogra Oil in Healing Wound in Hindi)
- 3.9 कुष्ठ रोग में तुवरक के औषधयी गुण से लाभ (Chaulmoogra Oil Benefits for Leprosy Treatment in Hindi)
- 3.10 दाद-खाज-खुजली में चालमोगरा के औषधीय गुण से फायदा (Benefits of Chaulmoogra Oil in Itching in Hindi)
- 3.11 बेहोशी में तुवरक के औषधयी गुण से फायदा (Tuvrak Benefits in Syncope in Hindi)
- 3.12 रक्त विकार में चालमोगरा के औषधीय गुण से लाभ (Chaulmoogra Oil Benefits in Blood Related Disorder in Hindi)
- 3.13 बालों के रोग में तुवरक के औषधीय गुण से फायदा (Benefits of Turvak for Hair Problem in Hindi)
- 4 तुवरक के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Tuvarak (Chaulmoogra) Plant)
- 5 तुवरक का इस्तेमाल कैसे करें? (How Much to Consume Tuvarak (Chaulmoogra) Plant?)
- 6 तुवरक से नुकसान (Side Effect of Tuvarak (Chaulmoogra) Tree)
- 7 तुवरक कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Tuvarak (Chaulmoogra) Tree Found or Grown?)
तुवरक (चालमोगरा) क्या है : What is Tuvarak (Chaulmoogra)?
तुवरक के वृक्ष लगभग 15-30 मीटर ऊँचे, सदाहरित, मध्यम आकार के होते हैं। इसकी शाखाएँ लगभग गोलाकार, रोमश होती हैं। इसके तने की छाल भूरे रंग की और खुरदरी तथा सफेद रंग की होती है जो दरारयुक्त होती है। इसके पत्ते सरल, एकांतर 10-22 सेमी लम्बे एवं 3-10 सेमी चौड़े, चर्मिल तथा गहरे हरे रंग के होते हैं।
इसके फूल छोटे, हरे सफेद, एकलिंगी होते है। इसके फल 5-10 सेमी व्यास के, सेब के जैसे, अण्डाकार, गोलाकार तथा सरस फल होते हैं। फल के भीतर के सफेद गूदे के बीच में 15-20 पीताभ, बादाम जैसे बीज होते है। तुवरक के वृक्ष में फूल और फल अगस्त से मार्च तक होता है।
यहां तुवरक (चालमोगरा) के फायदे और नुकसान के बारे में बहुत ही आसान भाषा में बताया गया है ताकि आप चालमोगरा (Chalmogra in Hindi) से पूरा-पूरा लाभ ले सकें।
अनेक भाषाओं में तुवरक (चालमोगरा) के नाम (Name of Tuvrak (Chaulmoogra) in Different Languages)
तुवरक का वानस्पतिक नाम Hydnocarpus laurifolia (Dennst.) Sleummer (हिड्नोकार्पस लॉरीफोलिआ), और यह Flacourtiaceae (फ्लेकौरशिएसी) कुल का है। तुवरक को इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Tuvrak (Chalmogra) in –
- Hindi- चालमोगरा
- English- मरोठी ट्री (Morothi Tree), चालमोगरा (Chalmoogra)
- Persian- विरमोगरा (Virmogara), Jungali almond (जंगली आलमन्ड)
- Sanskrit- गरुड़फल, तुवरक, कटुकपित्थ, कुष्ठवैरी
- Marathi- कटुकवथ (Katukavath)
- Kannada- गरूड़फल (Garudphal), सुंती (Suranti)
- Gujarati- गुंवाडीयो (Guvandiyo)
- Tamil- मरावेट्टई (Maravettai), निरादि मुट्टु (Niradi muttu)
- Telugu- आदि-बदामु (Adi-badamu)
- Bengali- चौलमुगरा (Chaulmugra)
- Nepali- तुवरक (Tuvrak)
- Malayalam- कोटी (Koti), मारा वेट्टी (Mara vetti)
तुवरक (चोलमोगरा) के फायदे और उपयोग (Tuvrak (Chalmogra) Benefits and Uses in Hindi)
तुवरक के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
कंठ के रोग में तुवरक के फायदे (Benefits of Tuvarak Oil for Throat Disease in Hindi)
1 ग्राम चालमोगरा फल गिरी चूर्ण को दिन में तीन बार खाने से कंठमाला रोग में लाभ होता है। तुवरक के तेल को मक्खन में मिलाकर गांठों पर लेप करें। इससे कंठ पर होने वाले गांठ में लाभ होता है।
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टीबी रोग में तुवरक के फायदे (Tuvarak Oil Benefits for TB Disease in Hindi)
तुबरक (tubrak) तेल की 5-6 बूंदों को दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करें। इसके साथ ही मक्खन में मिलाकर छाती पर मालिश करें। इससे टीबी (क्षयरोग) रोग में लाभ (tuvrak ke fayde) होता है।
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हैजा में तुवरक के फायदे (Benefits of Turvak in Cholera Disease in Hindi)
तुबरक (tubrak) की फल-गिरी के एक ग्राम चूर्ण को जल में पीसकर 2-3 बार पिलाने से हैजा का इलाज होता है।
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डायबिटीज में फायदेमंद तुवरक का सेवन (Turavak Benefits in Controlling Diabetes in Hindi)
- 1-2 ग्राम तुवरक बीज चूर्ण को दिन में 2-3 बार जल के साथ सेवन करने से डायबिटीज (मधुमेह) में लाभ (tuvrak ke fayde) होता है।
- एक चम्मच फल-गिरी चूर्ण को दिन में तीन बार खाने से पेशाब से शक्कर जाना कम होता है। जब मूत्र में शक्कर जाना बंद हो जाय तो प्रयोग बंद कर दें।
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योनि के दुर्गंध आने की समस्या में चालमोगरा के फायदे (Chaulmoogra Benefits in Vagina Orour Problem in Hindi)
- तुवरक काढ़ा से योनि का धोएं। इससे योनि से दुर्गंध आने की समस्या ठीक होती है।
- तुवरक के पेस्ट की बत्ती बना लें। इसे योनि के अन्दर रखें। इससे भी योनि का दुर्गंध दूर होता है।
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सिफलिस रोग में चालमोगरा के फायदे (Benefits of Chaulmoogra in Syphilis Disease in Hindi)
- चालमोगरा (chalmugra) के बीजों के साथ जंगली मूंग को मिलाकर कूट लें। इसे भांगरा के रस की 3 दिन भावना देकर चौथे दिन महीन पीस लें। इसमें थोड़ा चन्दन तेल या नारियल तेल या आँवला तेल मिला लें। इसका उबटन बनाकर सिफलिस के घाव पर लगाएं। इसके बाद 3-4 घंटे बाद स्नान (chalmogra ke fayde) करें।
- पूरे शरीर में फैले हुए सिफलिस के रोग और गठिया के पुराने रोग में चालमोगरा तेल की 5-6 बूंद सेवन करना शुरू करें। बाद में तुवरक तेल के सेवन की मात्रा बढ़ाते हुए 60 बूंद तक करें। इससे सिफलिस (उपदंश) रोग में लाभ होता है। जब तक इस औषधि का सेवन करें तब तक मिर्च, मसाले, खटाई से परहेज रखें। दूध घी और मक्खन का अधिक सेवन करें।
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गठिया रोग में चालमोगरा के फायदे (Chaulmoogra Benefits in Treating Gout Disease in Hindi)
1 ग्राम चालमोगरा (chalmugra) बीज चूर्ण को दिन में तीन बार सेवन करने से गठिया में आराम मिलता है।
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घाव में चालमोगरा के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Chaulmoogra Oil in Healing Wound in Hindi)
- तुबरक के बीजों को खूब महीन पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसे घाव पर लगाने से घाव से निकलने वाला खून बंद हो जाता है। घाव तुरंत भर जाता है।
- तुवरक बीज को पीसकर लगाने से घाव ठीक होता है।
और पढ़ेंः घाव में निर्गुण्डी के फायदे
कुष्ठ रोग में तुवरक के औषधयी गुण से लाभ (Chaulmoogra Oil Benefits for Leprosy Treatment in Hindi)
- कुष्ठ रोग का इलाज करने के लिए चालमोगरा तेल का सेवन पहले 10 बूंद करना चाहिए। इससे उल्टी होकर शरीर के सब गंदगी बाहर आ जाती है। इसके बाद तुवरक के तेल के 5-6 बूंदों को कैप्सूल में डालकर या दूध व मक्खन के साथ भोजन के बाद सुबह और शाम सेवन करें। धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाकर 60 बूंदें तक ले जायें। इस तेल को नीम के तेल में मिलाकर शरीर के बाहरी अंगों पर लेप करें। कुष्ठ रोग की शुरुआती अवस्था में इस औषधि का सेवन करें। इस दौरान खटाई मिर्च मसाले नहीं खाएं।
- तुबरक (tubrak) बीज, भल्लातक बीज, बाकुची मूल, चित्रकमूल अथवा शिलाजीत का लंबे समय तक सेवन करने से कुष्ठ रोग में लाभ हाता है।
- तुवरक तेल को लगाने से महाकुष्ठ, खुजली और अन्य चर्मरोगों में लाभ (chalmogra ke fayde) होता है।
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दाद-खाज-खुजली में चालमोगरा के औषधीय गुण से फायदा (Benefits of Chaulmoogra Oil in Itching in Hindi)
- चालमोगरा (chalmugra) में निम्ब तेल या मक्खन मिलाकर दाद में मालिश करने से एक महीने में दाद ठीक हो जाता है। इसके लिए 10 मिली तेल को 50 ग्राम वैसलीन में मिलाकर रख लें। इसका प्रयोग करते रहें।
- चालमोगरा (chalmugra) के तेल को एरण्ड तेल में मिला लें। इसमें गंधक, कपूर और नींबू का रस मिलाकर लगाएं। इससे खाज तथा खुजली रोग में लाभ होता है।
- तुवरक के बीजों को छिल्के सहित पीसकर एरंड तेल में मिला लें। इसे खुजली पर लेप करने से खुजली की बीमारी ठीक होती है।
- चालमोगरा के बीजों को गोमूत्र में पीसकर दिन में 2-3 बार लेप करने से खुजली में लाभ होता है।
- चालमोगरा के पके बीज के तेल को लगाने से त्वचा विकारों में लाभ होता है।
- तुवरक बीजों को गोमूत्र में पीसकर लगाने से खुजली में लाभ होता है।
और पढ़ेंः दाद-खाज-खुजली का घरेलू इलाज
बेहोशी में तुवरक के औषधयी गुण से फायदा (Tuvrak Benefits in Syncope in Hindi)
चालमोगरा बीज चूर्ण को मस्तक पर मलने से बेहोशी की समस्या ठीक होती है।
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रक्त विकार में चालमोगरा के औषधीय गुण से लाभ (Chaulmoogra Oil Benefits in Blood Related Disorder in Hindi)
- चालमोगरा तेल की 5 बूंदों को कैप्सूल में भरकर या मक्खन के साथ भोजन के आधा घण्टे बाद सुबह-शाम खाएं। इससे रक्त शुद्ध होता है और रक्त विकार ठीक होते हैं।
- तुबरक (tubrak) तेल को नीम तेल या मक्खन में मिलाकर लेप करने से रक्त से जुड़े विकारों में लाभ होता है।
और पढ़ेंः रक्त विकार में लाभकारी छोटी इलायची का सेवन
बालों के रोग में तुवरक के औषधीय गुण से फायदा (Benefits of Turvak for Hair Problem in Hindi)
तुवरक रसायन का सेवन करने से मनुष्य चेहरे की झुर्रियां, सफेद बालों की समस्या से मुक्त होता है। चोलमागरा रसायन का सेवन करने से लोगों की याददाश्त बढ़ती है।
और पढ़ेंः बालों को झड़ने से रोकने के उपाय
तुवरक के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Tuvarak (Chaulmoogra) Plant)
तुवरक (चालमोगरा) के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
- फलमज्जा
- जड़ की छाल
- फूल
- पत्ते
- बीज
- तेल (chalmogra oil)
तुवरक का इस्तेमाल कैसे करें? (How Much to Consume Tuvarak (Chaulmoogra) Plant?)
आप तुबरक (tubrak) के इन भागों का उपयोग कर सकते हैंः-
- फलमज्जा 5-10 ग्राम
- फूल- 5-10 ग्राम
- पत्ते (बाह्य प्रयोग हेतु)
- जड़ की छाल का काढ़ा- 50-60 मिली
- चूर्ण- 1-3 ग्राम
- तेल- 5-10 बूंद
यहां तुवरक (चालमोगरा) के फायदे और नुकसान के बारे में बहुत ही आसान भाषा में बताया गया है ताकि आप चालमोगरा (Chalmogra in Hindi) से पूरा-पूरा लाभ ले सकें, लेकिन किसी बीमारी के लिए तुवरक का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
तुवरक से नुकसान (Side Effect of Tuvarak (Chaulmoogra) Tree)
- इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि यह आमाशय को हानि पहुंचाता है। तेल को मक्खन में मिलाकर या कैप्सूल में भरकर भोजन के बाद ही लेना चाहिए।
- नुकसान की स्थिति में दूध-घी का सेवन करना चाहिए।
तुवरक कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Tuvarak (Chaulmoogra) Tree Found or Grown?)
तुवरक (चालमोगरा) के वृक्ष दक्षिण भारत में पश्चिम घाट के पर्वतों पर पाए जाते हैं। इसके वृक्ष दक्षिण कोंकण और ट्रावनकोर में तथा श्रीलंका में बहुतायत से पाए जाते हैं।