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सीताफल (शरीफा) खाने के फायदे और नुकसान (Sitafal ke Fayde aur Nuksan)

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सीताफल (शरीफा) का परिचय (Introduction of Sitafal)

सीताफल (custard apple in hindi) को शरीफा भी बोलते हैं। इसका स्वाद अन्य फलों से अलग होता है। आपने सीताफल (शरीफा) खाया है, तो इसके स्वाद के बारे में जरूर जानते होंगे। ऊपर से देखने पर सीताफल भले ही थोड़ा खुरदुरा-सा लगता है, लेकिन अंदर का भाग सफदे रंग का, और मुलायम होता है। यह बहुत ही मीठा, और स्वादिष्ट फल होता है। अपने रंग-रूप, और स्वाद के कारण सीताफल (शरीफा) सभी फलों से थोड़ा विशेष बन जाता है।

दरअसल सीतफल एक ऐसा आहार है, जो शरीर को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ कई बीमारियों के उपचार के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है।आयुर्वेद के अनुसार, सीताफल का प्रयोग एक-दो नहीं बल्कि, अनेक रोगों के इलाज के लिए किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण जानकारी आपके लिए बहुत काम की चीज है। आइए जानते हैं कि आप एक औषधि के रूप में सीताफल का उपयोग कैसे कर सकते हैं।

सीताफल (शरीफा) क्या है? (What is Sitafal in Hindi?)

सीताफल (shareefa fruit) को शरीफा भी कहते हैं। इसका फल गोल होता है। फल के अंदर का हिस्सा मांसल, या गुदायुक्त होता है। सीताफल के बीज चिकने, चमकीले, भूरे-काले रंग के होते हैं। जब सीताफल कच्ची अवस्था में होता है, तो यह थोड़ा पीला, और हरा रंग का होता है। यह आम फलों की तरह ही एक स्वादिष्ट फल है, जिसको लोग बड़ी पसंद से खाते हैं। सीताफल  का इस्तेमाल कफ दोष को ठीक करने के लिए, खून की मात्रा को बढ़ाने के लिए, उल्टी, दांतों के दर्द से आराम पाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इसका प्रयोग अन्य रोगों में भी होता है।

अन्य भाषाओं में सीताफल (शरीफा) के नाम  (Sitafal Called in Different Languages)

सीताफल का वानस्पतिक नाम अनोना स्क्वेंमोसा (Annona squamosa Linn, Syn-Annona asiaticaLinn)है, और यह ऐनोनेसी (Annonaceae) कुल का है। भारत में सीताफल को मुख्यतः दो नामों से बुलाते हैं, पहला- सीताफल, और दूसरा शरीफा (sarifa)। इसके अलावा भी सीताफल के अन्य नाम हैं, जो ये हैं-

Sitafal in –

  • Hindi (custard apple in hindi) – शरीफा, सीताफल, गात्र, कृष्णबीज, जानकी फल
  • Sanskrit- गण्डगात्र, सीताफल, कृष्णफल, जानकीफल, आतुप्य
  • English (seethapalam or sitafal in english)- शुगर एपल (Sugar apple), स्वीट सोप ऑफ अमेरिका (Sweet soap of America), कस्टर्ड एपॅल (Custard apple)
  • Oriya- सीताफोलो (Sithapholo), आटो (Aato), सीताफल (Sitaphal)
  • Assamese- कटाल (Katal)
  • Konkani- अट (At), अटह (Ath)
  • Kannada- सीताफल (Sitaphala)
  • Gujarati- अनुराम (Anuram), अनूरी (Anuri), सीताफल (Sitaphal), अनूसा (Anusa)
  • Tamil- सीतापलम (Sitapalam), सीथाप्पाझम (Sithappazham), अट्टा (Atta)
  • Telugu- गंधागारामू (Gandagaramu)
  • Bengali- सीताफल (Sitaphal), अटा (Ata)
  • Punjabi- शरीफा (Sharifa)
  • Marathi- सीताफल (Sitaphal), आटीचक्की (Aatichakki), सीथापझम (Sithapagham)
  • Malayalam- अट्टीचक्का (Attichakka), सीरफा (Sirpa), सीथापजेहेम (Sithapazham)
  • Nepali- सरीफा (Saripha)
  • Arabic- सरीफा (Saripha)
  • Persian- कज (Kaj), शरीपां (Sharifah)

सीताफल (शरीफा) के फायदे (Sitafal Benefitis and Uses in Hindi)

अब तक आपने जाना कि सीताफल क्या है, पूरी दुनिया में इसे किस-किस नामों से पुकारते हैं और आपके लिए यह कितना महत्वपूर्ण है? अब जानते हैं कि सीताफल एक औषधि के रूप में किस-किस बीमारियों में प्रयोग में लाया जा सकता है?

दस्त में सीताफल का उपयोग लाभदायक (Sitaphal Benefits to Stop Diarrhea in Hindi)

दस्त पर रोक लगाने के लिए सीताफल का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए शरीफा के वृक्ष के तने का काढ़ा बना लें। इसे 15-30 मिली मात्रा में पिएं। इससे दस्त पर रोक लगती है।

सीताफल के प्रयोग से प्रसूता स्त्री को लाभ (Sitaphal is Beneficial in Post Pregnancy Problem in Hindi)

मां बनने के तुरंत बाद महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में माताओं को शरीफा (sarifa) का सेवन करना चाहिए। यह फायदा पहुंचााता है। महिलाएं 1-2 ग्राम शरीफा की जड़ के चूर्ण का सेवन करे। इससे प्रसूता संबंधित विकार में लाभ होता है।

रोम छिद्र की बीमारी में शरीफा के उपयोग से फायदा (Benefits of Sitafal to Treat Skin Disease in Hindi)

आपकी त्वचा को स्वस्थ रखने में रोम छिद्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब रोम छिद्र किसी विकार से ग्रस्त हो जाते हैं, तो त्वचा को इसका नुकसान झेलना पड़ता है। रोम छिद्र विकार को ठीक करने के लिए सीताफल (seetafal) के पत्ते का पेस्ट बना लें, और लेप लगाएं। इससे त्वचा के घाव, त्वचा पर होने वाली सूजन, और रोम छिद्र की बीमारी में लाभ होता है।

जुएं की परेशानी में सीताफल के इस्तेमाल से फायदा (Benefits of Sitafal in Lice Treatment in Hindi)

  • जूं को लीख भी कहते हैं। पुरुष हों, या महिलाएं, सभी को जूं के कारण दैनिक काम-काज में परेशानी का सामना करना पड़ता है। लीख के कारण लोगों को अपने बालों को खुजाना पड़ता है। इस कारण कई बार मजाक का पात्र भी बनना पड़ जाता है। अगर आप भी जूं से परेशान हैं, तो सीताफल (sharifa fruit) का उपयोग कर सकते हैं। सीताफल के बीजों को पीसकर सिर पर लगाएं। इससे जूं (लीख) मर जाते हैं। इसका प्रयोग करते समय बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि अगर यह आंखों में लग जाए तो आंख खराब हो सकते हैं।
  • सीताफल के बीजों का काढ़ा बना लें, और इसे सिर पर लगाएं। इससे भी जूं (लीख) की परेशानी खत्म होती है।

और पढेंबालों से जूँ निकालने के घरेलू नुस्ख़े

बुखार में शरीफा का इस्तेमाल (Benefits of Sitafal in Treating Fever in Hindi)

ठंड लगकर बुखार आता हो, तो सीताफल (seetafal) के तीन पत्तों को नमक के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। इसका सेवन करें। इससे सर्दी वाला बुखार ठीक होता है।

और पढ़ेंः बुखार के लिए घरेलू इलाज

सीताफल के सेवन से होती है कफ की बीमारी ठीक (Uses of Sarifa in Fighting with Cough in Hindi)

कफ होना एक बहुत ही साधारण समस्या है। सीताफल के उपयोग से कफ में फायदा लिया जा सकता है। सर्दी-जुकाम, या कफ से परेशान लोग सीताफल के तने को चबाएं। इससे सर्दी-जुकाम,और कफ में आराम मिलता है।

और पढ़ेंः खांसी के लिए घरेलू उपचार

गुदाभ्रंश (गुदा से कांच निकलन) में सीताफल का प्रयोग लाभदायक (Sitaphal Benefits for Prolapsus Anus Disease in Hindi)

गुदाभ्रंश गुदा के फैल जाने की स्थिति को कहते हैं। जब कोई व्यक्ति कब्ज, या मल के सूख जाने की परेशानी से पीड़ित होता है, तो मल त्यागने के समय उसे जोर लगाना पड़ता है। इससे मल के साथ-साथ गुदा के अंदर वाला मुलायम वाला हिस्सा भी बाहर निकल आता है। इसे ही गुदाभ्रंश कहते हैं।

इस रोग को गुदा का चिर जाना, या गुदा से कांच निकलना भी कहा जाता है। हालांकि यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन बच्चों में अधिक देखी जाती है। इस रोग के कारण गुदा द्वार पर सूजन भी हो जाती है। इसमें सीताफल (seethapalam) के इस्तेमाल से बहुत फायदा मिल सकता है। ऐसी बीमारी में सीताफल के पत्तों का काढ़ा बनाकर गुदा पर लगाएं। इससे लाभ होगा।

और पढ़ेंः गुदाभ्रंश में सुगन्धबाला का उपयोग

मधुमेह या डायबिटीज में फायदेमंद शरीफा का सेवन (Uses of Sitafal in Controlling Diabetes in Hindi)

दुनिया भर में लाखों लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। इस बीमारी के कारण लोगों को कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है। डायबिटीज वाले लोग सीताफल से फायदा ले सकते हैं। इसके लिए सीताफल के पत्तों का 1-3 ग्राम चूर्ण बनाकर सेवन करें। इससे मधुमेह में लाभ होता है।

और पढ़ेंः डायबिटीज को नियंत्रित करने के घरेलू उपाय

सीताफल के सेवन से हिस्टीरिया में फायदा (Sitafal Uses in Hysteria Treatment in Hindi)

हिस्टीरिया के कारण रोगी को सामान्य जीवन जीने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। शरीफा (sarifa) से हिस्टीरिया में फायदा मिलता है। सीताफल के पत्ते के रस का नाक से लेने से हिस्टीरिया में लाभ होता है।

और पढ़ेंः हिस्टीरिया में फायदेमंद जटामांसी

गांठ की परेशानी में शरीफा का उपयोग (Sitafal Uses in Treating Lump Disease in Hindi)

सीताफल का फायदा गांठ की बीमारी में भी होता है। गांठ होने पर लोग पके हुए सीताफल को कूटकर, नमक मिला लें। इससे लेप करने से लाभ होता है।

सीताफल (शरीफा) के उपयोगी भाग (Useful Parts of Sitafal)

सीताफल (sitafal) का उपयोग इस तरह किया जा सकता हैः-

  • सीताफल के पत्ते
  • सीताफल की छाल
  • शरीफा की जड़
  • शरीफा के बीज

सीताफल (शरीफा) का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Sitafal in Hindi?)

आप सीताफल का सेवन निम्न मात्रा में कर सकते हैं-

1.सीताफल का चूर्ण – 1-3 ग्राम

2.शरीफा का काढ़ा- 5-30 मिली

यदि आप शरीफा का प्रयोग कर बहुत अच्छा परिणाम पाना चाहते हैं, तो इसके इस्तेमाल से पहले चिकित्सक की सलाह लेना ना भूलें।

सीताफल के साइड इफेक्ट (Side Effect of Sitafal in Hindi)

सीताफल से ये नुकसान हो सकते हैंः-

जब आप सीताफल का प्रयोग जूं को खत्म करने के लिए करें तो, इस बात का पूरा ध्यान रखें कि सीताफल आपकी आंखों में न चला जाए। आंखों में जाने से आपकी आंख खराब हो सकती है।

सीताफल (शरीफा) कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Sitafal Found or Grown?)

सीताफल (shareefa fruit) आसानी से मिलने वाला फल है, इसलिए यह फलों की दुकान पर आसानी से मिल जाता है। सीताफल या शरीफा की खेती भारत में मुख्यतः उड़ीसा, मध्य प्रदेश, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, और असम में की जाती है। सीताफल 900 मीटर की ऊंचाई तक प्राप्त होता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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