पिनवार्म कम करने में अरंडी और नारियल तेल फायदेमंदआमतौर पर शिकाकाई (acacia concinna) जैसे जड़ी बूटी का उपयोग बाल और त्वचा के इस्तेमाल के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि दादी-नानी के जमाने से बालों को रेशम जैसा काला घना बनाने के लिए शिकाकाई (Shikakai) का इस्तेमाल किया जाता रहा है। वैसे तो शिकाकाई मार्केट में कई रुपों में पाया जाता है, जैसे- शिकाकाई साबुन, शिकाकाई आयल, शिकाकाई शैम्पू, शिकाकाई पाउडर। यहां तक कि शिकाकाई का प्रयोग कपड़े धोने के लिए भी किया जाता है। चलिये शिकाकाई के फायदे के बारे में जानते हैं।
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आयुर्वेद में बताया गया है कि शिकाकाई का पेड़ एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो न सिर्फ बाल और त्वचा के लिए लाभकारी होता है बल्कि कई रोगों के लिए औषधि के रूप में भी इस्तेमाल भी किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार शिकाकाई का पेड़ कड़वा, ठंडा प्रकृति वाला, कफ और पित्त को कम करने वाला, वात को हरने वाला, दिल के लिए उपयोगी और भूख बढ़ाने वाला होता है।
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इसके साथ शिकाकाई (acacia concinna) ब्लड डिसॉर्डर, कुष्ठ रोग, पेट संबंधी समस्या, हृदय रोग, पाइल्स या अर्श, कृमि और आम दोष के लिए औषधि के रूप में काम करती है। शिकाकाई का पत्ता मल को निकालने वाला और कृमि को बढ़ाने वाला होता है। साथ शिकाकाई का फल कुष्ठ रोग, किडनी की बीमारी, रक्ताअर्श यानि ब्लड पाइल्स और कण्डु या खुजली के लिए भी फायदेमंद होता है। आप ये सुनकर आश्चर्य में पड़ जायेंगे कि सुश्रुतसंहिता तथा योगरत्नाकर में कहा गया है कि इसके फलों का प्रयोग सांप के काटने पर उपचार में किया जाता है।
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शिकाकाई शीघ्र बढ़ने वाला, छोटे-छोटे कांटों से भरा तना होता है। इसकी फली मांसल, पट्टी के आकार की, सीधी, 7.5-10 सेमी लम्बी तथा 1.8 सेमी चौड़ी होती है। कच्ची अवस्था में यह हरी तथा सूखे अवस्था में झुर्रीदार होती है। बीज संख्या में 6-10 होते हैं।
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शिकाकाई का वानस्पातिक नाम Acacia rugata (Lamk.) Merr. (ऐकेशिया रुगेटा) Syn-Acacia concinna DC है। शिकाकाई Mimosaceae (मिमोसेसी) कुल का होता है। शिकाकाई को अंग्रेज़ी में Soap pod (सोप पौड) कहते हैं। शिकाकाई भारत के हर प्रांत में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जैसे-
Shikakai in-
शिकाकाई (acacia concinna) एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन सी, विटामिन के और विटामिन डी से भरपूर होती है। शिकाकाई आयल बाल और त्वचा के लिए जितना फायदेमंद है उतना ही सेहत के लिए भी लाभकारी होता है। इसके सेवन से कई तरह के रोगों से निजात पाने में मदद मिलती है। चलिये शिकाकाई के फायदे के बारे में विस्तार से जानते हैं-
अक्सर प्रदूषण के कारण बाल अपनी रौनक खो देते हैं। उसके लिए शिकाकाई की फलियों का काढ़ा बनाकर, इस काढ़े से बालों को धोने से केश की वृद्धि होती है। बाजार में शिकाकाई शैम्पू भी मिलती है जो बालों के लिए फायदेमंद होती है।
सर में रूसी होने का कारण वात और कफ दोष का प्रकुपित होना है जिसके कारण सर की त्वचा या तो ज्यादा तैलीय या फिर ज्यादा रूखी हो जाती है | शिकाकाई तैलीय त्वचा से होने वाली रुसी लाभदायक होता है, क्योंकि उसमें कफ को कम करने का गुण होता है | इसकी फली के क्वाथ से बालों को धोने से रूसी से छुटकारा मिल जाता है |
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बालो को साफ़ और मजबूत बनाने के लिए शिकाकाई एक अचूक साधन है। शिकाकाई बालों और सिर की अच्छी प्रकार से सफाई कर उनको जड़ों से मजबूती प्रदान करता है क्योकि इसमें शोधन का गुण पाया जाता है।
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शिकाकाई अपने कषाय गुण के कारण बालों की चमक को बढ़ाने में सहायक होता है | इसके प्रयोग से बालों से गन्दगी और पसीने को दूर करने में सहयोग मिलता है जिससे बालों की चमक बढ़ती है |
शिकाकाई के नियमित प्रयोग से बालो के झड़ने को रोका जा सकता है | बालों का झड़ना या टूटना कभी-कभी पित्त दोष की वृद्धि के कारण देखा गया है और शिकाकाई में शीत गुण होने के कारण यह बालों को झड़ने से रोकता है और अपने कषाय गुण के कारण बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है |
शिकाकाई के रोपण यानि हीलिंग गुण के कारण यह घाव को जल्दी भरने में सहायता करता है| घाव के स्थान पर यदि किसी प्रकार का सूजन या जलन हो तो यह अपने शीत गुण के कारण उस स्थान पर ठंडक प्रदान कर उसे ठीक करने में भी यह सहायता करता है |
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अक्सर मौसम के बदलने के कारण कफ और खाँसी होना आम बात होता है। शिकाकाई के फायदे लेकर खाँसी से राहत पा सकते हैं। शिकाकाई की फलियों का फाण्ट बनाकर 15-30 मिली फाण्ट का सेवन करने से श्वास तथा कास में लाभ होता है।
सूखी खाँसी होने पर खाँस-खाँसकर हालत खराब होती है। तो शिकाकाई की फलियों का सेवन करने से सूखी खाँसी से जल्दी आराम मिलता है। इसके लिए शिकाकाई पाउडर लें और 1-2 ग्राम शिकाकाई पाउडर का सेवन चिकित्सक के निर्देशानुसार करें।
अक्सर ठीक समय पर नहीं खाने से या मसालेदार खाने से पेट में गैस हो जाता है जिससे पेट फूलने जैसे लक्षण महसूस होते हैं। इससे निजात पाने के लिए शिकाकाई के पत्तों को पीसकर गुनगुना करके पेट में लगाने से आध्मान यानि पेट का गैस निकल जाता है और आराम मिलती है।
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पीलिया होने पर उल्टी और बुखार होना आम बात होती है। शिकाकाई का सेवन करने से पीलिया और बुखार दोनों में आराम पहुँचता है। शिकाकाई फलियों का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली काढ़ा का सेवन कराने से उल्टी होना कम होता है साथ ही बुखार और पीलिया यानि कामला में लाभ मिलता है।
यकृतप्लीहा की बीमारी से लीवर सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। ये बीमारी बहुत ही दुर्लभ है। इस बीमारी में शिकाकाई के पत्ते बहुत फायदेमंद होते हैं। शिकाकाई के कोमल पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से यकृत्प्लीहा में लाभ होता है।
शिकाकाई जिस तरह से बालों के लिए लाभकारी है उसी तरह ये त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए काम करती है। शिकाकाई के फल को पीसकर त्वचा पर लगाने से आराम मिलता है।
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आयुर्वेद में शिकाकाई के फल और पत्तों का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
शिकाकाई का सेवन कैसे करेंगे ये ऊपर बताया गया है और अगर आप शिकाकाई शैम्पू के उपयोग के तरीके के बारे में जानना चाहते हैं या इसे अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए शिकाकाई का उपयोग कर रहें हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
10-20 मिली -शिकाकाई का काढ़ा।
भारत के समस्त उष्णकटिबंधीय वनों एवं पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों में शिकाकाई का पेड़ प्राप्त होता है।
शिकाकाई शैंपू बनाने के तरीका-
सामग्री-
शिकाकाई शैम्पू बनाने की विधि-
पानी और पाउडर मिलाएं, जब तक कि यह एक बहता हुआ मिश्रण न बन जाए। यह बहता हुआ मिश्रण आपका शिकाकाई हेयर वॉश है। इस मिश्रण की उत्तम स्थिरता बनाने के लिए उसे रात भर सामान्य तापमान पर छोड़ दें | अगली सुबह इस मिश्रण को अपनी उँगलियों के पोरों से बालों की जड़ों में अच्छे से लगाएं | १५ मिनट इसे बालों में लगा के छोड़ दें और सामान्य पानी से धो लें | यदि इसके कुछ अंश बालों में बच जाएं तो उसे नारियल तैल की सहायता से निकले।
पानी में आँवला, रीठा और शिकाकाई के पाउडर को मिलाएं, और इसको ज़रूरत के अनुसार गाढ़ा मिश्रण बना लें। इस मिश्रण की उत्तम स्थिरता बनाने के लिए उसे रात भर सामान्य तापमान पर छोड़ दें | अगली सुबह इस मिश्रण को अपनी उँगलियों के पोरों से बालों की जड़ों में अच्छे से लगाएं | १५ मिनट इसे बालों में लगा के छोड़ दें और सामान्य पानी से धो लें | यदि इसके कुछ अंश बालों में बच जाएं तो उसे नारियल तेल की सहायता से निकालें।
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