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Satyanashi: नव जीवन दे सकती है सत्यानाशी- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

सत्यानाशी जैसा नाम सुनकर आपको थोड़ा अजीब-सा लग रहा होगा कि यह क्या चीज है या सत्यानाशी का प्रयोग किन कामों में किया जाता होगा? कुछ लोग ऐसा भी सोच सकते हैं कि जिस पौधे का नाम ही सत्यानाशी है वह केवल नुकसान ही पहुंचाती होगी, लेकिन अगर आप भी ऐसा ही सोच रहे हैं तो आपकी सोच गलत है। सच यह है कि सत्यानाशी एक बहुत ही गुणी पौधा है और सत्यानाशी का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। कितना भी पुराना घाव, खुजली, कुष्ठ रोग आदि हो, आप सत्यानाशी का प्रयोग कर रोग से छुटकाारा पा सकते हैं।

Satyanashi benefits

आयुर्वेदिक किताबों में भी यह बताया गया है कि सत्यानाशी कफ-पित्त दोष को खत्म करती है। इसके दूध, पत्ते के रस, बीज के तेल से घाव और कुष्ठ रोग में लाभ होता है। इसकी जड़ (satyanashi ki jad)का लेप करने से सूजन ठीक होती है। सत्यानाशी का प्रयोग कर आप बुखार, नींद ना आने की परेशानी, पेशाब से संबंधित विकार, पेट की गड़बड़ी आदि में भी फायदा (satyanashi ke fayde) ले सकते हैं।

Contents

सत्यानाशी क्या है? (What is Satyanashi?)

सत्यानासी का पौधा का फल चौकोर होता है जिसके पूरे पौधों पर कांटे होते हैं। इसमें राई के समान छोटे-छोटे श्यामले रंग के बीज (satyanashi ke beej)भरे रहते हैं। ये दहकते कोयलों पर डालने से भड़भड़ बोलते हैं। उत्तर प्रदेश में इसे भड़भाँड़ भी कहते हैं। सत्यानाशी (argemone mexicana in hindi) के किसी भी भाग को तोड़ने से सोने जैसा पीला दूध निकलता है, इसलिए इसको स्वर्णक्षीरी भी कहते हैं, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार, सत्यानाशी स्वर्णक्षीरी से पूर्णतः भिन्न है।  

आयुर्वेद के अनुसार, स्वर्णक्षीरी को Euphorbia thomsoniana Boiss के नाम से जाना जाता है। यह वनस्पति कश्मीर तथा उत्तराखण्ड में 3900 मीटर की ऊँचाई पर प्राप्त होता है।

अनेक भाषाओं में सत्यानाशी के नाम (Name of Satyanashi in Different Languages)

सत्यानाशी का वानस्पतिक नाम Argemone mexicana Linn. (आर्जेमोनि मेक्सिकाना) Syn-Argemone spinosa Gaterau है और यह Papaveraceae (पैपैवरेसी)  कुल की है। सत्यानाशी को अनेक नामों से जाना जाता है, जो ये हैं-

Satyanashi in –

  • Hindi – सत्यानाशी, उजर कांटा, सियाल कांटा
  • English – प्रिकली पॉपी, (Prickly poppy), मैक्सिकन पॉपी (Mexican poppy), Yellow thistle (येलो थिसल)
  • Sanskrit – कटुपर्णी
  • Oriya – कांटाकुशम (Kanta-kusham)
  • Urdu – बरमदंडी (Baramdandi)
  • Kannada – अरसिन-उन्मत्ता (Arasina-unmatta)
  • Gujarati – दारूडी (Darudi)
  • Tamil – पोन्नुम्मटाई (Ponnummattai), कुडियोट्टि (Kudiyotti), कुरुक्कुमचेडि (Kurukkum-chedi)
  • Telugu – पिची कुसामा चेट्टु (Pichy kusama chettu)
  • Bengali – स्वर्णक्षीरी (Swarnakhiri), शियाल कांटा (Shial-kanta), बड़ो सियाल कांटा (Baro shialkanta)
  • Nepali – सत्यानाशी (Satyanashi)
  • Punjabi – कण्डियारी (Kandiari), स्यालकांटा (Sialkanta), भटमिल (Bhatmil), सत्यनाशा (Satyanasa), भेरबण्ड (Bherband), भटकटेता (bhatkateta), भटकटैया (Bhatkateya)
  • Marathi – कांटेधोत्रा (Kantedhotra), दारुरी (Daruri), फिरंगिधोत्रा (Firangidhotra)
  • Malayalam – पोन्नुम्मत्तुम् (Ponnunmattum)
  • Arabic – बागेल (Bagel)

सत्यानाशी के औषधीय गुण (Satyanashi Benefits and Uses in Hindi)

सत्यानाशी के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

रतौंधी में  सत्यानाशी से लाभ (Benefits of Satyanashi Plant in Night Blind Problem in Hindi)

सत्यानाशी पंचांग से दूध निकाल लें। 1 बूंद (पीले दूध) में तीन बूंद घी मिलाकर आंखों में काजल (satyanashi kajal)की तरह लगाने से मोतियाबिंद और रतौंधी में लाभ होता है।

सफेद दाग में सत्यानाशी से फायदा (Benefits of Yellow Thistle in Leucoderma Treatment in Hindi)

Satyanashi flower benefits

सत्यानाशी फूल को पीसकर अथवा सत्यानाशी दूध का लेप करने से सफेद दाग में लाभ (satyanashi plant uses) होता है।

आंखों के रोग में सत्यानाशी से फायदा (Benefits of Prickly Poppy in Cure Eye Disease in Hindi)

1 ग्राम सत्यानाशी दूध को 50 मिली गुलाब जल में मिला लें। इसे रोजाना दो बार दो-दो बूंद आंखों में डालें। इससे आंखों की सूजन, आंखों के लाल होने आदि नेत्र विकारों में फायदा होता है।

2-2 बूंद सत्यानाशी के पत्ते के रस को आंखों में डालने से सभी प्रकार के नेत्र रोग में लाभ होता है।

और पढ़ें: नेत्र विकारों में तिल के लाभ

सांसों के रोग और खांसी में सत्यानाशी का उपयोग लाभदायक (Prickly Poppy Benefits to Treat Respiratory and Cough Disease in Hindi)

  • 500 मिग्रा से 1 ग्राम सत्यानाशी जड़ के चूर्ण (satyanashi powder) को गर्म जल या गर्म दूध के साथ सुबह-शाम पिलाने से कफ बाहर निकल जाता है। इससे
  • सांसों के रोग और खांसी में लाभ (satyanashi ke fayde) होता है।
  • इसका पीला दूध 4-5 बूंद बतासे में डालकर खाने से लाभ होता है।

दमे की बीमारी में सत्यानाशी का प्रयोग फायदेमंद (Benefits of Prickly Poppy in Fighting with Asthma in Hindi)

सत्यानाशी का उपयोग करना ब्रोन्कियल अस्थमा के इलाज में फायदा पहुंचाता है, क्योंकि इसमें एंटीएलर्जिक गुण पाया जाता है। इस गुण के कारण ही यह अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।  

सत्यानाशी पंचांग का रस निकालकर उसको आग पर उबालें। जब वह रबड़ी के समान गाढ़ा हो जाय तब 500 मिली रस,  60 ग्राम पुराना गुड़ और 20 ग्राम राल मिलाकर, खरल कर लें। इसकी 250 मिग्रा की गोलियां बना लें। 1-1 गोली दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ लेने से दमे में बहुत लाभ होता है।

और पढ़े: दमा में कमरख से लाभ

पेट के दर्द में सत्यानाशी के प्रयोग से लाभ (Benefits of Satyanashi Plant in Cure Abdominal Pain in Hindi)

सत्यानाशी (satyanashi ka paudha) के 3-5 मिली पीले दूध को 10 ग्राम घी के साथ मिलाकर पिलाने से पेट का दर्द ठीक होता है।

जलोदर में सत्यानाशी के उपयोग से फायदा (Benefits of Argemone oil in Cure Ascites in Hindi)

5-10 मिली सत्यानाशी पंचांग रस को दिन में 3-4 बार पिलाने से पेशाब खुलकर आता है तथा जलोदर रोग में लाभ होता है।

2-3 ग्राम बनाएं में सत्यानाशी तेल (satyanashi ka tel) की 4-5 बूंदें डालकर सेवन करने से भी लाभ होता है।

पीलिया रोग में सत्यानाशी से लाभ (Benefits of Argemone Oil in Jaundice Treatment in Hindi)

10 मिली गिलोय के रस में सत्यानाशी तेल (satyanashi ka tel)की 8-10 बूंद डाल लें। इसे सुबह और शाम पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

और पढ़ें: पीलिया रोग में गिलोय से फायदा

मूत्र-विकार में सत्यानाशी से फायदा (Benefits of Prickly Poppy in Cure Urinary Disease in Hindi)

पेशाब में जलन हो तो सत्यानाशी (satyanashi jadi buti)के 20 ग्राम पंचांग को 200 मिली पानी में भिगो लें। इसका काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिलाएं। इससे मूत्र विकारों में लाभ होता है।

सिफलिस रोग में सत्यानाशी का उपयोग फायदेमंद (Prickly Poppy Benefits in Cure Syphilis in Hindi)

5 मिली सत्यानाशी पंचांग रस में दूध मिला लें। इसे दिन में 3 बार पिलाने से सिफलिस रोग में लाभ होता है।

सुजाक में सत्यानाशी का प्रयोग लाभदायक (Benefits of Satyanashi Plant in Cure Gonorrhea in Hindi)

सुजाक में सत्यानाशी फायदा पहुंचाती है। सुजाक में 2-5 मिली पीले दूध को मक्खन के साथ लें।

इसके अलावा आप इसके पत्तों के 5 मिली रस को 10 ग्राम घी में मिला भी ले सकते हैं। दिन में दो-तीन बार देने से सुजाक में लाभ होता है।

कुष्ठ रोग में सत्यानाशी के प्रयोग से लाभ (Argemone oil Benefits in Cure Leprosy Disease in Hindi)

कुष्ठ रोग और रक्तपित्त (नाक-कान अंगों से खून बहने की समस्या) में सत्यानाशी के बीजों के तेल से शरीर पर मालिश (satyanashi ke fayde) करें। इसके साथ ही 5-10 मिली पत्ते के रस में 250 मिली दूध मिलाकर सुबह और शाम पिलाने से लाभ होता है।

और पढ़े: कुष्ठ रोग में मकोय के फायदे

त्वचा रोग में सत्यानाशी का प्रयोग (Prickly Poppy Benefits to Treat Skin Disease in Hindi)

सत्यानाशी पंचांग के रस में थोड़ा नमक डालकर लम्बे समय तक सेवन करने से त्वचा के विकारों में लाभ होता है। रोजाना 5 से 10 मिली रस का सेवन लाभकारी होता है।

दाद में सत्यानाशी का उपयोग (Benefits of Argemone Oil in Cure Ringworm in Hindi)

सत्यानाशी में एंटीफंगल गुण पाया जाता है, इसलिए दाद की समस्या में इसका उपयोग फायदेमंद है। एंटीफंगल गुण होने के कारण ये दाद के लक्षणों को कम करके दाद को और फैलने से रोकती है। इसके लिए सत्यानाशी की पत्तियों का रस या तेल को दाद वाली जगह पर लगाएं।

Ringworm remedies

विसर्प रोग में सत्यानाशी से लाभ (Argemone Oil Benefits in Erysipelas Disease Treatment in Hindi)

विसर्प रोग में भी सत्यानाशी से पकाया तेल लगाने से लाभ होता है। सत्यानाशी के फायदे त्वचा में दाने और खुजली से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

घाव सुखाने के लिए सत्यानाशी का प्रयोग (Benefits of Satyanashi Plant in Wound Healing in Hindi)

  • सत्यानाशी के दूध को घाव पर लगाने से पुराने और बिगड़े हुए घाव ठीक (satyanashi plant uses)होते हैं।
  • सत्यानाशी रस को घाव पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है।
  • सत्यानाशी दूध को लगाने से कुष्ठ तथा फोड़ा ठीक होता है।
  • सत्यानाशी पंचांग के पेस्ट को पीसकर पुराने घाव एवं खुजली में लगाने से लाभ (satyanashi ke fayde) होता है।
  • छाले, फोड़े, फुंसी, खुजली, जलन, सिफलिस आदि रोग पर सत्यानाशी पंचांग का रस या पीला दूध लगाने से लाभ होता है।

चोट और रक्तस्राव में सत्यानाशी का उपयोग (Yellow Thistle Benefits in Cure Injury Bleeding in Hindi)

सत्यानाशी दूध को घाव या चोट वाले स्थान पर लगाएं। इससे चोट लगने से होने वाला रक्तस्राव बंद हो जाता है।

रोम छिद्र की सूजन में सत्यानाशी के उपयोग से फायदा (Benefits of Satyanashi Plant in Pores Disease Treatment in Hindi)

सत्यानाशी के बीजों को काली मिर्च तथा सरसों के तेल में पीसकर लेप करें। इससे रोम छिद्र की सूजन तथा मुहाँसे की परेशानी में लाभ (satyanashi ke fayde) होता है।

सत्यानाशी के बीजों को पीसकर लगाने से सोयरायसिस में लाभ होता है।

और पढ़ेमुहांसे में नींबू के फायदे

दर्द से राहत दिलाती है सत्यानाशी (Argemone Oil Benefits in Cure Body Pain in Hindi)

Musculer pain

सत्यानाशी तेल की 10 बूंदों को एक ग्राम सोंठ के साथ मिलाकर सेवन करने से शरीर के सभी अंगों के दर्द ठीक हो जाते हैं।

 

इस्नोफिलिया में सत्यानाशी के प्रयोग से लाभ (Benefits of Satyanashi Plant to Treat Eosinophilia in Hindi)

इस्नोफिलिया के रोगी को भी सत्यानाशी पंचांग के चूर्ण (satyanashi powder) की 1 ग्राम मात्रा को दिन में दो बार दूध से प्रयोग करें। इससे लाभ होता है।

नपुंसकता के इलाज में सत्यानाशी के फायदे (Satyanashi Benefits in Treatment of Impotency in Hindi)

नपुंसकता कई कारणों से हो सकती है जिसमें शुक्राणुओं को कमी को सबसे प्रमुख कारण बताया गया है आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार सत्यानाशी में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का गुण पाया जाता है। इसलिए अगर आप शुक्राणुओं की कमी के कारण निःसंतान हैं तो सत्यानाशी का उपयोग करना आपके लिए फायदेमंद है 

 

मलेरिया के बुखार में आराम पहुंचाती है सत्यानाशी (Satyanashi helps in Treatment of Malaria in Hindi)

एक रिसर्च के अनुसार सत्यानाशी में एंटीपैरासाइट की क्रियाशीलता पायी जाती है। जिसकी वजह से यह मलेरिया के लक्षणों को कम करने में सहायक है। इसलिए मलेरिया के इलाज में आप इसका उपयोग कर सकते हैं। खुराक संबंधी जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें। 

 

सत्यानाशी के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Satyanashi)

  • पंचांग
  • पत्ते
  • फूल
  • जड़
  • तने की छाल
  • दूध

सत्यानाशी का इस्तेमाल कैसे करें? (How Much to Consume Satyanashi?)

  • चूर्ण – 1-3 ग्राम
  • दूध- 5-10 बूंद
  • तेल – 10-30 बूंद
  • रस – 5-10 मिली

अधिक लाभ के लिए सत्यानाशी का प्रयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।

सत्यानाशी से नुकसान (Side Effect of Satyanashi)

सत्यानाशी का उपयोग करते समय ये सावधानियां रखनी चाहिएः-

  • सत्यानााशी के बीजों का केवल शरीर के बाहरी अंगों पर ही प्रयोग ही करना चाहिए, क्योंकि यह अत्यधिक विषैले होते हैं।
  • इसके बीज की मिलावट सरसों के तेल में करते हैं जिसके प्रयोग से मृत्यु तक हो सकती है।
  • इसलिए सत्यानाशी का प्रयोग करते समय विशेष सावधानी बरतें।

सत्यानाशी कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Satyanashi Found or Grown?)

सत्यानाशी (Yellow Thistle) पूरे भारत में 1500 मीटर की ऊंचाई तक पाई जाती है। यह प्राकृतिक रूप से मैदानी भागों में, नदी  एवं सड़कों के किनारे पर तथा वन्य क्षेत्रों में पाई जाती है। यह वनस्पति मूलतः मैक्सिको से भारत में आई, लेकिन भारत में अब यह सब जगह खर-पतवार के रूप में उत्पन्न होती है।