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क्या आप जानते हैं कि संशमनी वटी क्या है और संशमनी वटी का प्रयोग किस काम में किया जाता है? सच यह है कि अधिकांश लोगों को संशमनी वटी के गुण या इसके फायदे के बारे में कुछ पता नहीं होता और इस कारण लोग संशमनी वटी के फायदे नहीं ले पाते हैं। आप जान लीजिए कि संशमनी वटी एक बहुत गुणी आयुर्वेदिक औषधि है और संशमनी वटी का उपयोग रोगों के इलाज में किया जाता है। गिलोय की छाल से बनी संशमनी वटी (Shanshamani Vati) सभी प्रकार के बुखार में विशेष लाभदायक होती है। आप संशमनी वटी का प्रयोग कर साधारण बुखार, टॉयफॉयड, पित्त दोष, अत्यधिक प्यास लगने की समस्या, हाथ-पैर में होने वाली जलन आदि में लाभ पा सकते हैं। इतना ही नहीं, आप इसके अलावा कई और बीमारियों में संशमनी वटी का लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं।
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संशमनी वटी का प्रयोग सभी प्रकार के ज्वर (Fever) में किया जाता है। बुखार के उपचार के लिए यह पतंजलि Patanjali की सबसे महत्वपूर्ण दवाओं में से एक है। इसके अलावा भी संशमनी वटी का इस्तेमाल अन्य कई रोगों में किया जाता है, जो ये हैंः-
सभी लोग कभी ना कभी बुखार से पीड़ित जरूर होते हैं। कई लोगों को यह भी शिकायत रहती है कि उन्हें बार-बार बुखार आता है। आप संशमनी वटी का प्रयोग बुखार को ठीक करने के लिए कर सकते हैं। संशमनी वटी का उपयोग सभी प्रकार के बुखार में लाभदायक होता है। विशेषतः पुराने बुखार एवं टीबी के बुखार में संशमनी वटी तुरंत ही लाभ मिलता है।
टॉयफॉयड में भी संशमनी वटी का इस्तेमाल बहुत लाभ पहुंचाता है। इसके लिए घन में एक चौथाई अतिविषा का चूर्ण मिला दें। इसकी दो–दो रत्ती की गोलियाँ बना लें। 5-10 गोली जल के साथ देने से विषम ज्वर यानि टॉयफॉयड में बहुत आराम मिलता है।
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शरीर में पित्त के बढ़ जाने से कई तरह के रोग या परेशानियां होने लगती हैं। अत्यधिक प्यास लगने की समस्या, हल्का-हल्का बुखार (मन्द–मन्द ज्वर सा मालूम पड़ना), आँखों और हाथ–पैरों में जलन होना, पसीना आना आदि पित्त दोष से जुड़ी समस्याएं हैं। इसमें भी संशमनी वटी का प्रयोग करना चाहिए। संशमनी वटी को ठण्डे जल, खस के अर्क, गन्ने के रस आदि तरल पदार्थों के साथ लेना चाहिए। यह लाभ पहुंचाती है।
कई महिलाएं ल्यूकोरिया से ग्रस्त रहती हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिससे ना सिर्फ महिलाएं परेशानी रहती हैं बल्कि इसका महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। ल्यूकोरिया को ठीक करने के लिए भी संशमनी वटी (Shanshamani Vati) का उपयोग लाभदायक होता है। महिलाएं संशमनी वटी के उपयोग की जानकारी किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से लें।
अनेक लोग शारीरिक कमजोरी की शिकायत करते हैं। इस वटी से शारीरिक कमजोरी को दूर करने में मदद मिलता है।
कई लोग पीलिया को बहुत साधारण रोग समझते हैं लेकिन सच यह है कि पीलिया एक जानलेवा बीमारी है। जब भी कोई व्यक्ति पीलिया से ग्रस्त होता है तो उसे ना सिर्फ सही इलाज की जरूरत होती है बल्कि कई तरह के परहेज भी करने होते हैं। पीलिया रोग को पाण्डु रोग (जौंडिस) भी बोलते हैं। आप पीलिया में संशमनी वटी से भरपूर लाभ ले सकते हैं।
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पाचनतंत्र संंबंधी परेशानी जैसा- भोजन का सही तरह से नहीं पचना, भूख कम लगना आदि में भी संशमनी वटी का उपयोग किया जा सकता है। यह पाचनतंत्र विकार को दूर करने में फायदेमंद होती है।
संशमनी वटी को बनाने में इनका इस्तेमाल किया जाता हैः-
क्र.सं. | घटकद्रव्य | प्रयोज्यांग | अनुपात |
1. | छाल | 1 भाग | |
2. | जल क्वाथार्थ |
|
संशमनी वटी के प्रयोग की विधि ये हैः-
2 गोली जल के साथ।
संशमनी वटी का भरपूर लाभ लेने के लिए आपको इसका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श के अनुसार करना चाहिए।
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