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Pavaand: गुणों से भरपूर है पवाँड- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

पवाँड का परिचय (Introduction of Pavaand)

पवाँड को चकवड़, पवांड़, पवांर, चक्रमर्द भी कहा जाता है। चक्रमर्द कुछ हद तक कसौंदी की तरह देखने में होता है। पवाँड का पौधा थोड़ा गंधयुक्त होता है। इस पौधे का इस्तेमाल आयुर्वेद में बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है, साथ ही इसमें बहुत सारी चीजें मिलाकर पवाँड़ कॉफी बनाया जाता है जो सेहत के लिए बहुत ही पौष्टिक होता है। इसके बीज 

 

पवाँड क्या है? (What is Pavaand in Hindi?)

 साधारणतया चक्रमर्द 30-120 सेमी ऊँचा, गंधयुक्त, वर्षायु शाकीय झाड़ी होता है। इसकी शाखा-प्रशाखाएँ रोम वाले होती हैं। इसके पत्ते पिच्छल प्रकृति के संयुक्त, 6-12.5 सेमी लम्बे होते हैं। इसके पत्रक तीन के युग्म में चिकने, दुर्गन्धयुक्त होते हैं। इसके फूल पीले रंग के, छोटे, 2-2 के युग्म में लगे हुए होते हैं। इसकी फली 15-25 सेमी लम्बी, 4-6 मिमी चौड़ी, पतली, चार कोणों वाले, कुछ मुड़ी हुई तथा आगे का भाग नुकीला होता है। प्रत्येक फली में 25-30, चतुष्कोणीय, भूरे अथवा हरे रंग के, मेथी के समान पंक्तिबद्ध बीज होते हैं। इसका पुष्पकाल जुलाई से सितम्बर तक तथा फलकाल अगस्त से नवम्बर तक होता है।

 

अन्य भाषाओं में पवाँड के नाम (Names of Pavaand in Different Languages)

पवाँड का वानास्पतिक नाम Senna tora (Linn.) Roxb. (सेनॉ टोरा)?Syn-Cassia tora Linn होता है। इसका कुल  Caesalpiniaceae (सेजैलपिनिएसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Foetid cassia (फोइटिड कैसिया)कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि पवाँड और किन-किन नामों से जाना जाता है। 

Sanskrit-चक्रमर्द, पपुन्नाट, दद्रुघ्न, मेषलोचन, पद्माट, एडगज, चक्री, पुन्नाट; 

Hindi-चकवड़, पवांड़, पवांर; 

Odia-चकुन्दा (Chakunda); 

Assamese-बोन मेडेलुआ (Bon medelua); 

Kannada-तगचे (Tagachi); 

Gujarati-कुंवाडीयो (Cuvadiyo), कोवारीया (Kovariya);  

Telugu-तगिरिसे (Tagirise), तान्टियामु (Tantiyamu);

 Tamil-उशिदृगरै (Ushidrigarai), सेनावु (Senavu), वनमावरम (Vanamavaram); 

Bengali-चकुन्दा (Chakunda), पनेवार (Panevar); 

Nepali-तापेर (Taper), चक्रमंडी (Cakaramandi); 

Punjabi-पंवार (Panwar), चकुन्दा (Chakunda); 

Marathi-तरोटा (Tarota), टाकला (Takla); 

Malayalam-चक्रमन्द्रकम (Chakramandrakam), तक्रा (Takara)।

English-वाइल्ड सैना (Wild senna); 

Arbi-कुलब (Kulb), सन्जसाबोयाह (Sanjsaboyah), तुक्मे पनवार (Tukhme panwar); 

Persian-संगेसतूया (Sangesutaya), सन्गसाबोयह (Sangsaboyah)।

पवाँड का औषधीय गुण (Medicinal Properties of Pavaand in Hindi)

चक्रमर्द या पवाँड लघु, मधुर, रूखा, हृदय के लिए अच्छा, शीतल पित्तवात, कफ, सांस, कोढ़, दाद तथा कृमि को नष्ट करने वाला होता है। इसका फल गर्म तथा चरपरा है और कुष्ठ, खुजली, दाद, विष, वात, गुल्म (वायु का गोला), खांसी, कृमि, श्वास इन सब रोगों का शमन करने वाला है।

चक्रमर्द के बीज कड़वी, ग्राही(absorbing), उष्ण या गर्म; दद्रु या रिंगवर्म , कुष्ठ, सूजन, गुल्म तथा वातरक्तनाशक होते हैं।

इसकी पत्ते-साग की तरह खा सकते हैं। यह कफकारक, लघु, पित्तल, अम्ल, गर्म, दद्रु, पामा या खुजली, कुष्ठ, कास, श्वासनाशक, बलकारक, वातानुलोमक, कृमिनिसारक तथा लीवर के लिए अच्छा होता है।

पवाँड के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Pavaand in Hindi) 

पवाँड में पौष्टिकारक गुण होता है, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-

 

आधासीसी या माइग्रेन से राहत दिलाये पवाँड (Pavaand Beneficial to Treat Migraine in Hindi)

Migraine

अगर माइग्रेन के दर्द से हाल बेहाल और कोई उपचार काम नहीं आ रहा है तो पवाँड का प्रयोग इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है-

-चक्रमर्द के 20-25 ग्राम बीजों को कांजी में पीसकर मस्तक पर लेप करने से आधासीसी के दर्द से आराम मिलता है।

-चक्रमर्द, हल्दी, दारुहल्दी, पीपर तथा कूठ को समान मात्रा में लेकर नींबू के रस में घोटकर आँखों में लगाने से नेत्र रोगों में लाभ होता है।

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गंडमाला/कंठमाला या लिम्फ नॉड के दर्द में फायदेमंद पवाँड (Benefit of Pavaand to Get Relief from Swollen Lymph Nodes in Hindi)

पवाँड का औषधीय गुण गले के दर्द के इलाज में काम करता है। पवाँड का उपचार इस तरह से करने में जल्दी आराम मिलता है-

-पंवाड़ के 10-12 पत्तों में, फिटकरी तथा सेंधानमक मिलाकर, थोड़े जल के साथ पीसकर, गुनगुनी टिकिया बनाकर कंठमाला की गांठों पर बांधने से लाभ होता है।

-भांगरे का रस 2 ली, पंवाड़ जड़ की छाल 115 ग्राम तथा सरसों का तेल 450 मिली, तीनों को मिलाकर हल्के आंच में पकाएं, जब केवल तेल शेष रह जाए तो उसमें 115 ग्राम सिन्दूर मिलाकर नीचे उतार लें। इस तेल के लेप से दुसाध्य गंडमाला में लाभ होता है।

-10-20 ग्राम पंवाड़ की जड़ को नींबू के रस में पीसकर लेप करने से गंडमाला में लाभ होता है।

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मधुमेह या डायबिटीज को नियंत्रित करने में लाभकारी पवाँड (Pavaand Beneficial to Control Diabetes in Hindi)

रक्त में शर्करा को कम करने के लिए 10 ग्राम पंवाड़ की जड़ों को लेकर उसमें 400 मिली पानी में पकाकर चतुर्थांश शेष का काढ़ा बनाकर 20-30 मिली मात्रा में सेवन करने से लाभ होता है।

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सोमरोग या बहुमूत्र रोग के निदान में सहायक पवाँड (Benefit of Pavaand to Treat Excessive Urination in Hindi)

5-10 ग्राम पंवाड़ की जड़ को चावल के धोवन के साथ पीस-छानकर पिलाने से सोमरोग (बहुमूत्र रोग), रक्तप्रदर तथा श्वेतप्रदर में लाभ होता है।

 

कमर दर्द से दिलाये निजात पवाँड (Pavaand Benefit to Get Relief from Waist Pain in Hindi)

2-4 ग्राम पंवाड के भुने हुए बीजों को पीसकर, इसमें खांड़, गुड़ आदि मीठा और थोड़ा घी मिलाकर, लड्डू बनाकर खाने से कटिशूल (कमर दर्द) में लाभ होता है।

 

वात रोग में फायदेमंद पवाँड (Benefit of Pavaand in Gout in Hindi)

पवाँड़ के बीज, हालों, राई, सरसों, मालकांगनी, तिल और नारियल की गिरी को समान मात्रा में लें। नारियल की गिरी को छोड़कर सबका महीन चूर्ण कर लें, अब नारियल की गिरी को कतरकर चूर्ण में मिलाकर मशीन से तेल निकाल  लें। इस तेल को गर्म करके मालिश करने से वात रोग से जकड़े कमर, जाँघ, पिंडली आदि अंग को आराम मिल जाता है। पुराने रोगियों को इससे बहुत लाभ होता है।

 

दाद या रिंगवर्म के इलाज में लाभकारी पवाँड (Pavaand Beneficial to Treat Ringworm in Hindi)

ringworm

आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में दाद-खाज खुजली की समस्या होना आम बात हो गया है, लेकिन पवाँड से सही तरीके से उपचार करने पर जल्दी आराम मिलता है-

-पवाँड़ के 200 ग्राम पञ्चाङ्ग को कुचलकर, 400 मिली दही में मिलाकर 3-4 दिनों तक मिट्टी के बर्तन में रख दें, उसके बाद 4-5 दिन में दो बार उबटन की तरह दाद के स्थान पर मलें। एक घंटे बाद पानी से धो डालें, 4-5 दिनों में दाद मिट जाता है।

-पवांड़ के पत्तों की चटनी में गुड़ तथा खटाई मिलाकर (राई नहीं मिलानी चाहिए) सेवन करने से त्वचा रोगों में लाभ होता है।

-पवांड़ पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर दाद आदि को धोते रहने या स्नान कराने से सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं।

-पवाड़ के 10-20 ग्राम बीजों को तक्र में भिगोकर, जब वे फूल जाए, पीसकर उबटन की भांति दाद पर मल कर 1 घंटे बाद फिटकरी मिले किंचित् गर्म जल से साफ कर दें। 7 दिन के प्रयोग से पूरा लाभ मिलता है।

-200 ग्राम पवाड़ बीजों के चूर्ण में 450 मिली दूध, तेल 1 ली तथा 6 ग्राम गंधक मिलाकर हल्के आंच पर पकाकर तेल बनायें। इस तेल को दाद पर दिन में 3-4 बार प्रयोग करें।

-पवाड़ के बीजों में समान मात्रा में जीरा, तथा थोड़ी-सी सुदर्शन की जड़ मिलाकर इन तीनों को पीसकर लेप करने से दाद ठीक हो जाता है।

-पंवाड़ के 5-10 ग्राम बीजों को मूली के रस में पीसकर लेप करने से दाद से आराम मिलता है।

-पंवाड़ के बीज चूर्ण को करंज तेल में मिलाकर लगाते रहने से भी दद्रु या रिंगवर्म में लाभ होता है।

-पंवाड़ के बीज 1 ग्राम, आमला 1 ग्राम, राल 1 ग्राम, सेहुंड का दूध 1 मिली, इन सबको कांजी के साथ पीसकर लगाने से दाद नष्ट होता है।

-पवाँड़ के ताजे पत्ते 100 ग्राम तथा गंधक, राल, फिटकरी, चौकिया सुहागा और रस कपूर 10-10 ग्राम लें।  इनको थोड़े जल में पीसकर बेर जैसी गोलियां बना लें। इसे पानी में घिसकर दाद पर लगाने से कुछ ही दिनों में दाद नष्ट हो जाता है।

 

छाजन या एग्जिमा के इलाज में फायदेमंद पवाँड (Benefit of Pavaand to Treat Eczema in Hindi)

एग्जिमा के खुजली से राहत दिलाने के लिए छाजन के इलाज में पवाँड का इस्तेमाल करने से जल्दी आराम मिलता है-

-1 किग्रा बीज चूर्ण को, 2 ली गाय के दूध में मिलाकर, 200 ग्राम गाय का घी तथा 20 ग्राम गन्धक चूर्ण मिला दें। मंद अग्नि पर पकाकर, जब दूध जल जाए तब उतार लें। इसमें खट्टी दही डालकर ताँबे के बरतन में एक दिन के लिए रख दें। अगले दिन से प्रयोग करें, इस लेप से पुरानी से पुरानी छाजन दूर हो जाती है।

-पवांड़ बीज 60 ग्राम, बाबची बीज 80 ग्राम और गाजर के बीज 20 ग्राम, इन तीनों का चूर्ण बनाकर 8 दिन तक गोमूत्र में भिगो कर रखें। आवश्यकतानुसार लगाते रहने से छाजन दूर होती है, सूख जाने पर गोमूत्र डालते रहें। यह एक वर्ष तक प्रयोग किया जा सकता है।

-1 किग्रा पवांड़ बीजों को खूब महीन पीसकर मिट्टी के बरतन में, 5 लीटर मट्ठे में मिलाकर मुंह बन्द कर जमीन में गाड़ दें, 6 दिन बाद निकालकर खाज पर मलने से कैसी भी पुरानी खाज हो, 3 दिन में दूर हो जाती है।

-50 ग्राम पवांड़ बीज चूर्ण को 1 ली गाय के मठ्ठे में 3 दिन भिगोकर लगाने से खाज खुजली, मुख की झांई या पिग्मेन्टेशन आदि दूर होती है।

-पवांड़ के बीजों को गोमूत्र में सात दिन तक भिगोकर छाया में सुखाकर सूक्ष्म चूर्ण (पाउडर) करके रखें, प्रात-सायं (1 से 2 ग्राम) ताजे जल के साथ लेने से समस्त प्रकार के चर्मरोग, कुष्ठ, दाद, खाज, खुजली में अत्यन्त लाभ होता है। इसमें नमक, खटाई, बैंगन, अचार, अरबी, उड़द की दाल, तली चीजों का विशेष परहेज करें।

-पवांड, तिल, सरसों, कूठ, पीपर, हल्दी, दारुहल्दी तथा नागरमोथा को पीसकर लेप करने से पुरानी कण्डू या खुजली भी ठीक हो जाती है।

-पवांड़-बीज को छाछ के साथ पीसकर दाद तथा पामा या स्केबीज़  पर लगाने से लाभ होता है।

 

कुष्ठ के इलाज में लाभकारी पवाँड (Benefit of Pavaand to Treat in Leprosy in Hindi)

कुष्ठ के कष्ट से आराम दिलाने में पवाँड का औषधीय गुण बहुत काम आता है। इसके लिए चकवड़ के 10-20 ग्राम बीजों को दूध में पीसकर एरंड का तेल मिलाकर लेप करने से सभी प्रकार के कुष्ठ रोग नष्ट हो जाते हैं।

-यदि कुष्ठ स्रावयुक्त अतिखाज-युक्त और काला हो तो पवांड़ के बीजों को थूहर के दूध की भावना देकर, गोमूत्र में पीसकर, धूप में गर्मकर लेप करने से लाभ होता है।

-चकवड़ का बीज, विडंग दोनों को हल्दी, अमलतास की जड़, पिप्पली तथा कूठ में पीसकर लगाने से कुष्ठ के कारण जो घाव होता है, उसको ठीक होने में मदद मिलती है।

-चकवड़ के बीज को कांजी के साथ पीसकर लेप करने से सिध्म कुष्ठ में लाभ होता है।

और पढ़े-कुष्ठ रोग में लाभकारी तगर

सूजन को कम करने में लाभकारी पवाँड (Benefit of Pavaand to Get Relief from Inflammation in Hindi)

चकवड़ के उबले हुए बीजों को पीसकर लेप करने से त्वचा की सूजन कम होती है।

पस वाली घाव से राहत दिलाने में लाभकारी पवाँड (Pavaand Beneficial to Treat Pus Boils in Hindi)

अगर मवाद वाली घाव सूख नहीं रही है तो पवाँड के पत्ते को पीसकर उस पर लगाने से घाव फट जाता है और जल्दी आराम मिलता है।

श्वित्र या सफेद दाग से निजात पाने में मददगार पवाँड (Pavaand Beneficial in Leucoderma in Hindi)

Leucoderma

सफेद दाग से परेशान है तो पवाँड का औषधीय गुण इसके इलाज में मदद करता है-

  • काकमाची, चक्रमर्द, कूठ तथा पिप्पली इन 4 द्रव्यों को पानी में पीसकर, बकरे के मूत्र में मिलाकर लेप करने से श्वित्र में लाभ होता है।
  • चक्रमर्द के बीज, बाकुची, सरसों, तिल, कूठ, हरिद्रा, दारुहरिद्रा तथा नागरमोथा इन 8 द्रव्यों को समान मात्रा में लेकर, तक्र में पीसकर लेप करने से श्वित्र, कण्डू, द्रद्रु तथा विचर्चिका में लाभ होता है।
  • सर्षप, हरिद्रा, कूठ, चक्रमर्द के बीज और तिल, इनको समान मात्रा में लेकर जल में पीसकर, सर्षप तैल मिलाकर लेप करने से दद्रु में लाभ होता है।
  • आँवला, चक्रमर्द बीज तथा जीरा को समान मात्रामें लेकर जल में पीसकर लेप करने से त्वचारोगों में लाभ होता है।
  • शोथ-चकवड़ के उबले हुए बीजों को पीसकर लेप करने से त्वचा की सूजन में लाभ होता है।
  • विस्फोट के पत्ते को पीसकर लगाने से पूययुक्त त्वक् विस्फोट का शमन होता है।

 

रक्त को शुद्ध करने में लाभकारी पवाँड (Pavaand Beneficial in Blood Purification in Hindi)

पवांड़ के जल को धोकर, सूखा कर महीन चूर्ण कर लें। रोज सुबह 4 ग्राम चूर्ण को 10 ग्राम घी तथा 10 ग्राम शक्कर के साथ सेवन करने से रक्त का शोधन होता है।

 

शीतपित्त के इलाज में लाभकारी पवाँड (Benefit of Pavaand in Urticaria in Hindi)

2-4 ग्राम चक्रमर्द जड़ के चूर्ण में घी मिलाकर सेवन करने से शीत-पित्त के इलाज में मदद मिलती है।

 और पढ़े-शीतपित्त के इलाज में लाभकारी कुल्थी 

पूरे अंग के सूजन को कम करने में लाभकारी पवाँड (Pavaand Benefit to Treat Full Body Inflammation in Hindi)

पवांड़ के पत्तों को जल में उबाल तथा निचोड़ कर उस जल को 20-30 मिली मात्रा में सेवन करने से, सब अंगों की सूजन उतर जाती है। या पवांड़ के पत्तों का शाक बनाकर खाने से भी 6 दिन में पूरा लाभ मिलता है।

 

बालातिसार के इलाज में लाभकारी पवाँड (Benefit of Pavaand to Treat Dysentry in Hindi)

दांत निकलने के समय होने वाले हरे-पीले अतिसारों में, पेट में शुद्धि के लिए, 5-10 मिली पवांड़ पत्ते का काढ़ा देने से लाभ होता है। 

कीड़ा काटने पर उसके जलन से दिलाये राहत पवाँड (Pavaand Beneficial to Treat Insect Bite in Hindi)

 चक्रमर्द की मूल को पीसकर दंश-स्थान पर लेप करने से दंश जन्य वेदना, दाह तथा शोथ आदि विषाक्त प्रभावों का शमन होता है।

पवाँड का उपयोगी भाग (Useful Parts of Pavaand)

आयुर्वेद के अनुसार पवाँड का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-पत्ता

-जड़ और

-बीज।

पवाँड का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Pavaand in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए पवाँड का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 1-3 ग्राम बीज चूर्ण, 10-25 मिली पत्ते के रस, 50-100 मिली काढ़ा ले सकते हैं। इसका प्रतिनिधि द्रव्य बावची है।

 

पवाँड सेवन के साइड इफेक्ट (Side Effect of Pavaand)

पवाँड़ (चक्रमर्द) के बीज बच्चों के लिए विषाक्त होते हैं। अत: इसका प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए। यह आंतों के लिए हानिकारक है। नुकसान से बचने के लिए दही, दूध या अर्क गुलाब का सेवन अच्छा होता है।

नोट : इसके बीज बच्चों के लिए विषाक्त होते हैं। हरिद्वार क्षेत्र में प्रतिवर्ष कई बच्चें इसके बीजों को खाकर मर जाते हैं। अत: इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।

 

पवाँड कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Pavaand Found or Grown in Hindi)

चक्रमर्द के पौधे वर्षा-ऋतु में उष्णकटिबन्धीय प्रदेशों में भूमि पर, कूड़े करकट, नदी नालों के किनारे, सभी जगह समूह में उगे हुए मिलते हैं। इसका पौधा विशेष-गंधयुक्त होता है। पत्तों को मसलने से एक प्रकार की अग्राह्य गंध आती है। कहीं-कहीं इसके कोमल पत्तों का शाक यानि साग बनाकर खाया जाता है। यह पूरे भारत में विशेषत: गर्म-प्रदेशों के जंगल, झाड़ी, खेत, मैदान, सड़क के किनारे तथा हिमालय में 1500 मी की ऊँचाई पर पाया जाता है। इसके बीज बच्चों के लिए विषाक्त होते हैं।