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Lotus or Kamal: कमल में हैं अनेक बेहरतरीन गुण- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

कमल का परिचय (Introduction of Lotus)

कमल का फूल (kamal ka phool) कीचड़ में खिलता है और बहुत ही खूबसूरत होता है। आपने कमल का फूल जरूर देखा होगा क्योंकि कमल के फूल का इस्तेमाल अक्सर पूजा-पाठ में किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि कमल का फूल एक उत्तम औषधि भी है और रोगों के इलाज में कमल के फूल के फायदे मिलते हैं। आप अत्यधिक प्यास लगने की समस्या, जलन, पेशाब से संबंधित बीमारी, कफज दोष, बवासीर आदि में कमल के फूल से लाभ पा सकते हैं।

 

Lotus benefits

आयुर्वेद के अनुसार, कमल का फूल एक नहीं बल्कि अनेक रोगों के इलाज में फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं कि जिस कमल के फूल (lotus flower) को आप केवल पूजा-पाठ या सजावट के लिए काम में लाते हैं, उससे रोगों को कैसे ठीक कर सकते हैं।

कमल क्या है? (What is Lotus in Hindi?)

कमल एक फूल (kamal ka phool) है जो पानी में होने वाली वनस्पति है। इसकी तीन प्रजातियाँ होती हैं, जो ये हैंः-

  1. कमल

इसके पत्ते चौड़े होते हैं जो थाली की तरह पानी में तैरते हुए दिखाई देते हैं। इसके फूल अत्यन्त सुन्दर व बड़े होते हैं। रंग-भेद के अनुसार कमल कई प्रकार होते हैं।

  1. कुमुद (Nymphaea alba Linn)

कुमुदनी का रूप कमल के जैसा ही होता है; लेकिन इसके पत्ते कमल के पत्ते से छोटे, चमकीले, चिकने, जल की सतह पर तैरने वाले होते हैं। इसके फूल सफेद तथा 5-12 सेमी व्यास के होते हैं।

  1. उत्पल (नीलकमल)

इसके पत्ते पानी की सतह पर तैरते हैं, तथा इसके फूल (kamal phool) नीले रंग के होते हैं।

यहां कमल के फूल से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Lotus in hindi) में लिखा गया है ताकि आप कमल के फूल से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

 

अन्य भाषाओं में कमल के नाम (Name of Lotus in Different Languages)

कमल का वानस्पतिक नाम Nelumbo nucifera Gaertn. (निलम्बो न्यूसीफेरा), Syn-Nelumbium speciosum Willd, Nelumbium nelumbo Druce है। यह Nymphaeaceae (निंफिएसी) कुल का है। कमल को देश या विदेश में अन्य इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Lotus in –

  • Hindi – कमल
  • English – लोटस (lotus), इण्डियन लोटस (Indian lotus), चाईनीज वाटर लिली (Chinese water lily), पिंक वाटर लिली (Pink water lily), Sacred lotus (सेक्रेड लोटस)
  • Sanskrit – पद्मम्, नलिनम्, अरविन्दम्, सरसिज, कुशेशयम्, तामरसम्, पुष्करम्, अम्भोरुहम्, पुण्डरीकम्, कोकनदम्, कमलम्, राजीवम्
  • Urdu – नीलोफर (Nilophar)
  • Oriya – पदम (Padam)
  • Kannada – बिलिया तावरे (Biliya tawre)
  • Gujarati – सूरीयाकमल (Suriyakamal)
  • Telugu – कलावा (Kalava), तम्मिपुव्वु (Tammipuvvu), कलुंग (Kalung), एरट्टामरा (Ertamara)
  • Tamil – तामरई (Tamrai), अम्बल (Ambal)
  • Bengali – पद्म (Padam), कोमोल (Komol); नेपाली-कमल (Kamal)
  • Marathi – कमल (Kamal), पम्पोश (Pamposh); मलयालम-तमर (Tamara)
  • Arabic – निलोफर (Nilofar), उस्सुलनील्लोफर (Ussulnillofar)
  • Persian – बेखनीलोफर  (Bekhanilofar), नीलोफर (Nilofar)

कुमुद के नाम

  • Hindi – कुमुद, कमोदनी, कोई, कुई
  • Sanskrit – श्वेतकुवलय, कुमुद, कैरव
  • English – यूरोपीयन वाटर लिली (European water lily), वाटर लिली (Water Lily), व्हाईट वाटरलिली (White waterlily)
  • Urdu – गुले नीलोफर (Gule nilofar)
  • Kashmir – ब्रीमपोश (Brimposh);गुजराती-पोयणु (Poyanu)
  • Bengali – शालुक (Shaluk), सुन्दी (Sundi)
  • Nepali – सेतो कमल (Seto kamal)
  • Marathi – कमोद (Kamod), पाण्ढेरन-कमल (Pandheran-kamal)
  • Persian – नीलोफर (Nilofar)
  • Arabic – अनर्बुल्म (Anarbulam), नीलोफर (Nilofar)

उत्पल (नीलकमल) के नाम

  • Hindi – कफई, कँवल, कोक्का, नीलकमल
  • English – ब्लू लोटस (Blue lotus), इण्डियन ब्लू वाटर लिली (Indian blue water Lily)
  • Sanskrit – उत्पल,असितोत्पल, कुवलय, नीलकमल, नीलपत्ते, नीलोत्पल, नीलपंकज, उत्पलक
  • Oriya – धाबालकेन (Dhabalken), राँगकेन (Wrongcane), सुबदीकेन (Subdicane); कन्नड़-बीलेनेडीले (Bilenedile)
  • Bengali – नील-साप्ला (Neel-sapla)
  • Marathi – कृष्णकमल (Krishankamal)
  • Gujarati – पोयणु (Poyanu), कनवल (Kanval), नीलोफल (Nilophal)
  • Telugu – कटेलकलुवा (Katelkaluwa), नीटिथामरा (Nitithamara), अल्लिकदा (Allikada), नीटिकुलावा (Nitikulawa)
  • Tamil – वेल्लमपल (Vellampal), नीलोत्पलम (Nilotpalam)
  • Malayalam – सितम्बेल (Sitambel)

कमल के फायदे और उपयोग (Lotus Benefits and Uses in Hindi)

कमल (लोटस) के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

सफेद बालों की समस्या में कमल के फूल के फायदे (Benefits of Lotus in Grey Hair Problem in Hindi)

उत्पल तथा दूध को मिला लें। इसे मिट्टी के बर्तन में 1 महीने तक जमीन में दबाकर रखें। इसे निकालकर बालों में लगाने से बाल स्वस्थ होते हैं। इससे बालों का पकना कम होने लगता है।

 

Lotus benefits in Grey hair problem

और पढ़ें: सफेद बालों को काला करने के घरेलू उपाय

कमल के फूल के औषधीय गुण से रूसी का इलाज (Lotus Benefits to Treat Dandruff in Hindi)

नीलकमल के फूल के केशर को तिल तथा आँवले के साथ पीस लें। इसमें मुलेठी मिलाकर सिर में लेप करने से रूसी खत्म होती है।

आधासीसी (अर्धावभेदक या अर्धकपारी) में कमल के फायदे (Uses of Lotus in Fighting with Migraine in Hindi)

अनन्तमूल, कूठ, मुलेठी, वच, पिप्पली और नीलकमल लें। इन 6 द्रव्यों को कांजी में पीसकर, थोड़ा एरण्ड तेल मिला लें। इसका लेप करने से आधासीसी (अधकपारी) तथा सूर्य उगने के बाद होने वाले सिर के दर्द में लाभ मिलता है।

कमल के फूल के औषधीय गुण से उल्टी पर रोक (Lotus Benefits to Stop Vomiting in Hindi)

कमल के भुने हुए छिलके रहित बीजों को 1-2 ग्राम की मात्रा में लें। इसमें मधु मिलाकर सेवन करने से उल्टी बंद (kamal gatta benefits) हो जाती है।

और पढ़ें: उल्टी को रोकने के लिए सुपारी का प्रयोग

सिर दर्द में कमल का फूल फायदेमंद (Lotus Uses in Relief from Headache in Hindi)

शतावरी, नीलकमल, दूब, काली तिल तथा पुनर्नवा लें। इन 5 द्रव्यों को जल में पीसकर लेप करने से सभी तरह के सिर दर्द में लाभ मिलता है।

 

Benefits of lotus in headache relief

 

गंजेपन की समस्या में कमल के फूल से लाभ (Benefits of Lotus in Baldness Problem in Hindi)

बराबर भाग में नीलकमल, बहेड़ा फल मज्जा, तिल, अश्वगंधा, अर्ध-भाग प्रियंगु के फूल (kamal ka phool) तथा सुपारी त्वचा को पीस लें। इसे सिर में लेप करने से गंजेपन की समस्या में लाभ होता है।

और पढ़े: गंजेपन के लिए तंबाकू के फायदे

आंखों की बीमारी में कमल के फूल से लाभ (Lotus Benefits to Cure Eye Disease in Hindi)

कमल के फूल (kamal flower) से दूध निकाल लें। इसे काजल की तरह आँखों में लगाने से आंखों के रोग ठीक होते हैं।

दांतों के रोग में कमल का फूल लाभदायक (Uses of Lotus for Dental Disease in Hindi)

कमल की जड़ को चबाने से दांतों के कीड़े खत्म होते हैं। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

कमल के फूल के औषधीय गण से खांसी का इलाज (Lotus Uses in Fighting with Cough in Hindi)

1-2 ग्राम कमल की बीज के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पित्त दोष के कारण होने वाली खांसी ठीक (kamal gatta benefits) हो जाती है।

Benefits of lotus in Cough problem

गुदाभ्रंश रोग में कमल का फूल फायदेमंद (Benefits of Lotus to Cure Prolapse Disease in Hindi)

  • कमल के 1-2 ग्राम पत्तों के चूर्ण में चीनी मिला लें। इसे खाने से गुदभ्रंश (गुदा का बाहर आना) में लाभ होता है।
  • सुबह-सुबह 2 ग्राम कमल की जड़ के पेस्ट को गाय के घी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे गुदभ्रंश और इसकी वजह से होने वाले बुखार में लाभ मिलता है।

पेशाब में दर्द-जलन की समस्या में कमल के फूल से लाभ (Lotus Benefits to Treat Urinary Disease in Hindi)

  • कमल एवं नीलकमल से बने 10-20 मिली शीतकषाय (रात भर ठंडे पानी में रखने के बाद तैयार पदार्थ) या काढ़ा में मधु एवं चीनी मिला लें। इसे पीने से पेशाब में दर्द और जलन की समस्या ठीक होती है।
  • तेल में पकाए हुए 2-4 ग्राम कमलकन्द को गाय के मूत्र के साथ सेवन करें। इससे पेशाब में दर्द की समस्या में लाभ (kamal ke fayde) होता है।

कमल का फूल बुखार में लाभदायक (Uses of Lotus in Fighting with Fever in Hindi)

  • कमल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से बुखार में लाभ होता है।
  • बराबर भाग में उत्पल, अनार फल की छाल तथा कमल केसर चूर्ण (1-2 ग्राम) लें। इसे तण्डुलोदक (चावल के धोवन) के साथ सेवन करने से बुखार के साथ होने वाली दस्त में तुरंत लाभ होता है।

कमल के गुण से पेचिश का इलाज (Lotus Uses to Stop Dysentery in Hindi)

  • पित्तज दोष के कारण दस्त हो रही हो या पेचिश की समस्या हो तो बराबर भाग में कमल का फूल (kamal ka phool), नीलकमल, मंजिष्ठा तथा मोचरस लें। इन्हें 100 मिली बकरी के दूध में पका करें सेवन करें।
  • 100 मिली बकरी के दूध में आधा भाग जल, 1-2 ग्राम सुंधबाला, 2-4 ग्राम नीलकमल, 1 ग्राम सोंठ का चूर्ण और 5-10 मिली पृश्निपर्णी रस मिला लें। इससे दस्त पर रोक लगती है।
  • सफेद कमल केसर के पेस्ट में खाँड़, चीनी तथा मधु मिला लें। इसको चावल के धुए हुए पानी के साथ सेवन करने से पेचिश ठीक होता है।

 

Dysentery remedies

 

खूनी बवासीर में कमल का सेवन लाभदायक (Benefits of Lotus to Cure Piles in Hindi)

  • कमल का फूल (kamal ka phool) लें। इससे केसर निकाल लें। चीनी तथा कमल के केसर को मिलाकर मक्खन के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
  • 1-2 ग्राम कमल के फूल के केशर में मिश्री मिलाकर खाने से योनि से रक्त निकलने की परेशानी और खूनी बवासीर में लाभ होता है।

गर्भपात रोकने के लिए कमल का सेवन फायदेमंद (Lotus Benefits to Stop Miscarriage in Hindi)

बराबर भाग में चीनी, कमल नाल तथा तिल के 2-4 ग्राम चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से गर्भपात की संभावना कम हो जाती है।

कमल के गुण से गर्भधारण रोकने में मदद (Lotus Helps in Getting Pregnancy in Hindi)

  • कमल तथा कुमुद के 1-2 ग्राम पत्ते के पेस्ट में मधु एवं चीनी मिलाकर सेवन करने से गर्भपात नहीं होता है।
  • कमल के फूल (kamal ka phool) की जड़ लें। इसके साथ ही नील कमल की जड़ लें। इनसे बने 1-2 ग्राम पेस्ट में 1 ग्राम मुलेठी चूर्ण, 2 ग्राम चीनी तथा 1 ग्राम तिल मिला लें। इसका सेवन करने से गर्भपात नहीं होता है।
  • नीलकमल कन्द के 1-2 ग्राम चूर्ण में चीनी तथा मधु मिलाकर सेवन करने से गर्भपात के कारण होने वाला दर्द ठीक होता है।
  • दूसरे महीने होने वाले गर्भपात को रोकने के लिए कमल नाल को नागकेसर के साथ मिलाकर दूध के साथ दिन में दो बार सेवन करना चाहिए।

और पढ़ें: नागकेसर के फायदे

योनि से बदबू आने की समस्या में कमल के फूल से लाभ (Lotus Benefitsn in Vaginal Odour Problem in Hindi)

कमल-नाल, कमलगट्टा तथा उशीर को तेल में पकाएं। इसे योनि पर लेप करने  से योनि से आने वाली बदबू और योनि के ढीलेपन की समस्या में लाभ होता है।

कमल के फूल से दाद का इलाज (Lotus Benefits in Ringworm in Hindi)

कमल की जड़ को पानी में पीसकर लेप करने से दाद, खुजली, कुष्ठ रोग और अन्य त्वचा रोगों में फायदा (kamal ke fayde) होता है।

 

Ringworm remedies

और पढ़े: कुष्ठ रोग में मकोय के फायदे

त्वचा रोग में कमल का फूल लाभदायक (Lotus Benefits in Skin Disease in Hindi)

कमल के पौधे के पत्ते तथा बरगद के पत्तों को जलाकर भस्म बना लें। इसे तेल में पका लें। इसे लगाने से त्वचा रोगों में लाभ होता है।

नाक-कान से खून बहने (रक्तपित्त) की समस्या में कमल का फूल फायदेमंद (Benefits of Lotus in Bleeding in Hindi)

  • 65 मिग्रा कमल पंचांग के भस्म को पानी में घोल लें। इसे छानकर जो क्षारोदक मिलता है उसमें मधु मिलाकर पीने से रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की समस्या) में लाभ (kamal ke fayde) होता है।
  • कमलनाल के 1-2 ग्राम चूर्ण में बराबर भाग में लाल चंदन चूर्ण तथा चीनी मिला लें। इसे चावल के धोवन के साथ सेवन करें।
  • कमलनाल से बने शीतकषाय (10-20 मिली),  रस (5-10 मिली), पेस्ट (1-2 ग्राम) अथवा काढ़ा (20-30 मिली) का सेवन करने से रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की समस्या) में लाभ होता है।
  • कमलकेशर के 1-2 ग्राम चूर्ण में मिश्री मिला लें। इसका सेवन करने से खून की उल्टी, थकान, सांसों के रोग, मुंह के सूखने की परेशानी, चक्कर आने की समस्या और अधिक प्यास लगने की समस्या ठीक होती है।
  • कमल फूल (kamal ka phool) का रस या काढ़ा को 1-2 बूंद नाक में डालने से नकसीर (नाक से खून बहने की समस्या) में लाभ होता है।
  • बराबर भाग में नीलकमल, गैरिक, शंखभस्म तथा चंदन के पेस्ट में मिश्री युक्त जल मिला लें। इसे नाक में डालने से नाक से खून बहने के रोग (नकसीर) में लाभ होता है।
  • बराबर भाग में खस, लालकमल तथा नीलकमल को जल में भिगो लें। इसे अच्छी तरह घोल लें। इस जल में चीनी तथा मधु मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त (नाक से खून बहने की बीमारी) जाता है।
  • लाल कमल (इनका केसर), उत्पल, पृश्निपर्णी तथा प्रियंगु को जल में पका लें। इसका पीने से रक्तपित्त (नाक से खून बहने की बीमारी) में लाभ होता है।

शरीर की जलन में कमल के गुण से लाभ (Lotus is Beneficial in Body Irritating in Hindi)

  • 1-2 ग्राम कमल के फूल के केशर को पीस लें। इसमें मधु मिलाकर खाने से शरीर की जलन खत्म हो जाती है।
  • सफेद कमल को पीसकर शरीर पर लेप करने से जलन से आराम मिलता है।

 

गुदभ्रंश में कमल का सेवन फायदेमंद (Lotus Beneficial to Treat Rectum Problem in Hindi)

गुदभ्रंश में कमल का प्रयोग पारंपरिक तौर पर होता आ रहा है। इसके लिए कमल की ताजी पत्तियों को शर्करा के साथ प्रयोग का वर्णन मिलता है। 

 

ह्रदय और मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाने में कमल फायदेमंद (Benefit of Lotus for Healthy  Heart and Brain in Hindi)

हृदय और मस्तिष्क की शक्ति के लिए कमल की प्रयोग फायदेमंद होता है, क्योंकि यह इन दोनों को स्वस्थ्य रखने में टॉनिक जैसा काम करता है। 

 

पितातिसार में कमल फायदेमंद (Lotus Beneficial in Pitta Diarrhea in Hindi)

कमल का उपयोग पित्तातिसार के लक्षणों को कम करने के लिए भी किया जाता है। इसके लिए कमल के फूल की पत्तियों का प्रयोग होता है। 

 

सांप का जहर उतारने के लिए कमल का गुण फायदेमंद (Lotus in Beneficial in Snake Bite in Hindi)

1-2 ग्राम कमल के फूल के केशर को बराबर भाग में काली मिर्च के साथ पीस लें। इसे पिएं। इसे सांप के काटे जाने वाले स्थान पर भी लगाएं। इससे सर्प के काटने से होने वाला दर्द, सूजन आदि में बहुत लाभ होता है।

 

Snake bite remedies

कमल के उपयोगी भाग (Useful Parts of Lotus in Hindi)

आप कमल के फूल (kamal ka phool) के इन भागों का इस्तेमाल कर सकते हैंः-

  • पंचांग (lotus)
  • फूल (lotus flower)
  • फूल का केसर
  • जड़ (lotus roots)
  • बीज (lotus seeds)
  • फल (lotus fruits)

कमल का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Lotus?)

कमल का इस्तेमाल इन मात्रा में करना चाहिएः-

  • कंद का रस – 10-20 मिलीॉ
  • बीज का चूर्ण 3-6 ग्राम।

यहां कमल के फूल से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Lotus in hindi) में लिखा गया है ताकि आप कमल के फूल से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में कमल के फूल का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

 

कमल कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Lotus Found or Grown?)

कमल का फूल (kamal ka phool) भारत के सभी उष्ण प्रदेशों तथा हिमालय, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र में पाया जाता है। इसके साथ ही कमल दक्षिणी भारत में तालाबों एवं पंकयुक्त स्थानों पर भी पाया जाता है।

 

Benefits of Lotus

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