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खस के फायदे, उपयोग और औषधीय गुण (Khus ke Fayde, Upyog aur Aushadhiya Gun)

खसखस (khus khus) के बारे में अनेक लोगों को अधिक जानकारी नहीं है, इसलिए शायद आप भी खसखस के फायदे के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते होंगे। खसखस का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। खसखस के तेल से साबुन, इत्र आदि बनाये जाते हैं। इसके अलावा खसखस के फायदे (khus sharbat benefits) और भी हैं।

 

Khuskhus plan benefits

आयुर्वेद के अनुसार, खसखस का इस्तेमाल कर अनेक रोगों का इलाज किया जा सकता है। आप भी जरूर इसके बारे में जरूर जानना चाहेंगे। आइए जानते हैं।

 

Contents

खसखस क्या है (What is Khus Khus in Hindi)

खसखस (khus-khus) एक औषधि है। खसखस का इस्तेमाल औषधि के रूप में तो होता ही है, साथ ही इसके पौधे की जड़ से परदे, पंखे आदि भी बनाये जाते हैं। उल्टी, जलन, शुक्राणु विकार, पित्त विकार आदि में खसखस से लाभ लिया जा सकता है। इसके साथ ही खसखस के फायदे आंखों के रोग, बुखार आदि में भी मिलते हैं।

 

अनेक भाषाओं में खसखस के नाम (Name of Khus Khus in Different Languages)

खसखस का वानस्पतिक नाम वेटिवेरिया जिजनियोइडिस (Vetiveria zizanioides (Linn.), Nash,  Syn-Andropogon muricatus Retz. Chrysopogon zizanioides (Linn.) Robert) है, और यह पोएसी (Poaceae) कुल से है। इसके अन्य नाम ये हैंः-

Khus in-

  • Hindi – खस, गनरार, खस-खस, वीरन मूल, बेना
  • English –  खस-खस ग्रास (Khus-khus grass) खस खस (Khus-khus), Vetiver grass (वेटीवर ग्रास)
  • Sanskrit – वीरण, वीर, बहुमूलक, उशीर, नलद, सेव्य, अमृणाल, समगन्धक, जलवास
  • Urdu – खस (Khas)
  • Kannada – मुडिवाल (Mudival), वेट्टीवेरू (Vettiveru)
  • Gujarati – सुगन्धिवालो (Sugandivalo)
  • Telugu – कुरूवेरू (Kuruveru), वेटिट्वेरू (Vettiveru)
  • Tamil -उशीरम (Ushiram), वेट्टिवेर (Vettiver)
  • Bengali – वेणर मूल (Vener-mool), खसखस (Khaskhas)
  • Nepali – खस (Khas)
  • Punjabi – पानी (Panni)
  • Marathi – वाला (Vala)
  • Malayalam – रमाच्हम (Ramachham)
  • Persian – खसदाना रेशा (Khusdana Resha), बीखीवाला (Bikhivala), खस (Khas);
  • Arabic – इजेखिर (Izkhir)

 

खसखस के फायदे (Khus Khus Benefits and Uses in Hindi)

अब तक आपने जाना कि खसखस क्या है, खसखस के गुण क्या हैं, और देश या विदेशों में खसखस को कितने नामों से जाना जाता है। आइए अब जानते हैं कि कितनी बीमारी को ठीक करने के लिए आप खसखस का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

 

अत्यधिक प्यास लगने की समस्या में खसखस के फायदे (Khus Sharbat Benefits in Thirst Problem in Hindi)

अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी में 2-4 ग्राम खसखस की जड़ को मुनक्का के साथ पीसकर पिलाएं। इससे अधिक प्यास लगने की परेशानी खत्म होती है।

 

अधिक पसीना आने की परेशानी में खसखस से फायदा (Khus Khus Benefits to Treat Sweating Problem in Hindi)

आपको बहुत अधिक पसीना आता है तो खसखस की जड़ का बारीक चूर्ण बना लें। इसे शरीर पर लेप करें। इससे अधिक पसीना आने की समस्या का समाधान होता है।

 

सूजन कम करने में खसखस का औषधीय गुण फायदेमंद (Khus Sharbat Benefits in Reducing Inflammation in Hindi)

खसखस के प्रयोग से सूजन जैसी बीमारी में भी लाभ हो सकता है। 10-40 मिली मात्रा में खसखस का सेवन करें। इससे सूजन की समस्या ठीक हो जाती है।

 

उल्टी रोकने में खसखस का औषधीय गुण लाभदायक (Benefits of Khus Sharbat to Stop Vomiting in Hindi)

  • उल्टी पर रोक लगाने के लिए बराबर-बराबर की मात्रा में मूंग, पिप्पली, खस तथा धनिया का 5-10 ग्राम चूर्ण बना लें। इसे 6 गुना पानी में रात भर के लिए भिगो दें। सुबह छानकर पीने से पित्तज विकार के कारण होने वाली उल्टी ठीक हो जाती है।
  • 3-6 ग्राम खस के चूर्ण में मधु मिलाकर चावल के धोवन के साथ पिएं। इससे पित्तज विकार की वजह से होने वाली उल्टी और अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी ठीक होती है।
  • चीनी का शर्बत बना लें। इसमें 1-2 बूंद पुदीना का अर्क मिलाएं। इसमें 1-2 बूंद खसखस की जड़ का अर्क डालकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है।

और पढ़ें: पिप्पली के फायदे

पेट में कीड़े होने पर खसखस से लाभ (Khus Khus Remedy for Abdominal Bug in Hindi)

अनेक बच्चों को पेट में कीड़े होने की शिकायत रहती है। सिर्फ बच्चे ही नहीं, बल्कि कई वयस्क लोगों को भी यह समस्या हो जाती है। पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए खसखस उपयोगी होता है। इसके लिए 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं।

और पढ़े: पेट दर्द में उस्तूखूदूस के फायदे

त्वचा विकार में खसखस के फायदे (Benefits of Khas Khas in Skin Disease Treatment in Hindi)

त्वचा रोग में खसखस के इस्तेमाल से फायदा मिलता है। त्वचा रोग से परेशान लोग खस, नागरमोथा तथा धनिया को पानी में पीस लें। इसका लेप करें। इससे त्वचा के विकार ठीक होते हैं।

 

कुष्ठ रोग में खसखस के फायदे (Khas Khas Benefits in Leprosy Disease in Hindi)

कुष्ठ रोग में भी खसखस का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। आपको  10-40 मिली की मात्रा में खसखस की जड़ का सेवन करना है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

और पढ़े: कुष्ठ रोग में मकोय के फायदे

मूत्र रोग में खसखस से लाभ (Poppy Seeds Benefits in Treating Urinary Disease in Hindi)

  • मूत्र रोग (पेशाब से संबंधित रोग) जैसे- पेशाब का कम आना आदि में 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण में 5 ग्राम मिश्री मिला लें। इसका सेवन करें। इससे कम पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है। यह मूत्र के अन्य विकारों में भी लाभ देता है।
  • इसी तरह खस की जड़, ईख की जड़, कुश की जड़ तथा रक्तचंदन को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली की मात्रा में पीने से मूत्र रोग जैसे- पेशाब का रुक-रुक कर आना और पेशाब करने में दर्द आदि समस्या ठीक हो जाती है।

 

बवासीर के इलाज में खसखस का औषधीय गुण लाभदायक (Benefits of Khas Khas in Piles Treatment in Hindi)

बवासीर का इलाज करने के लिए आप 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे बवासीर में लाभ मिलेगा। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

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चेचक में खसखस के औषधीय गुण से फायदा (Poppy seeds Benefits for Chickenpox in Hindi)

चेचक के कारण शरीर में जलन, दर्द आदि परेशानियां होने लगती है। ऐसे में खसखस का इस्तेमाल कर लाभ पा सकते हैं। चेचक को ठीक करने के लिए खसखस का बारीक चूर्ण बना लें। इससे शरीर पर लेप करने से चेचक की बीमारी में आराम मिलता है।

 

बुखार में खसखस के फायदे (Khus Benefits in Fighting with Fever in Hindi)

  • बुखार में लाभ पाने के लिए नागरमोथा, पित्तपापड़ा, उशीर, लालचन्दन, सुगन्धबाला तथा सोंठ की बराबर-बराबर मात्रा लें। इसका काढ़ा बना लें। इसे ठंडा करके 20-40 मिली मात्रा में सेवन करेंं। इससे बुखार और बुखार में लगने वाली प्यास की समस्या ठीक हो जाती है।
  • इसी तरह खसखस, शालपर्णी, बृहती, कंटकारी, पृश्नपर्णी, सोंठ, चिरायता, मोथा, गुडूची लें। इसमें गोक्षुर मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे 10-40 मिली पीने से वात विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
  • खसखस के पंचांग का काढ़ा बनाकर भांप देने से भी बुखार उतर जाता है।
  • आप खसखस की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-40 मिली मात्रा में पिएं। इससे भी बुखार में लाभ (khus benefits) होता है।

 

रक्तस्राव की परेशानी में खसखस से लाभ (Benefits of Khas Khas to Stop Bleeding in Hindi)

  • शरीर के विभिन्न अंगों से होने वाला रक्तस्राव (नाक, कान से खून बहने की समस्या) के लिए खसखस की जड़ का चूर्ण बन लें। इसमें कालीयक, पद्मकाष्ठ, लोध्र, प्रियंगु, कायफल, शंख भस्म, स्वर्ण गैरिक बराबर-बराबर मात्रा में मिलाएं। सभी के बराबर चंदन मिलाएं।  इससे रक्तपित्त, तमक श्वास, अधिक प्यास लगने की परेशानी और जलन की समस्या में आराम होता है।
  • केवल खस और लाल चंदन के चूर्ण को चीनीयुक्त चावल के धोवन के साथ पिएं। इससे रक्तपित्त, तमक श्वास, अधिक प्यास लगने की परेशानी और जलन की समस्या में आराम होता है।
  • इसी तरह 10-40 मिली खसखस की जड़ का सेवन से भी रक्तपित्त में लाभ होता है।

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डायबिटीज में लाभदायक खसखस का इस्तेमाल (Khas Khas Benefits in Controlling Diabetes in Hindi)

आज डायबिटीज की बीमारी घर-घर की बीमारी बन गई है। डायिबटीज को नियंत्रित करने के लिए 10-40 मिली खसखस की जड़ का सेवन करें। इससे लाभ होता है।

और पढ़े: डायबिटीज में गेहूं के फायदे

मांसपेशियों की ऐंठन में खसखस के फायदे (Poppy Seeds Health Benefits in Muscle Cramps in Hindi )

मांसपेशियों में ऐंठन होतो 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण में 1 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिला लें। इसमें शहद मिलाकर खाएं। इससे हाथों या पैरों की ऐंठन और कंपकंपी की परेशानी ठीक (khus benefits) हो जाती है।

 

शरीर की जलन को शांत करने के लिए खसखस का इस्तेमाल (Khas Khas Benefits in Treating Body Irritation in Hindi)

  • शरीर की जलन से परेशानी रहते हैं तो खसखस की जड़ को पीसकर पूरे शरीर पर लगाएं। इससे शरीर की जलन शांत हो जाती है।
  • इसी तरह लालचन्दन, चन्दन, खस तथा पद्माक का काढ़ा बना लें। इसे ठंडे पानी में मिलाएं। इस पानी से नहाने पर शरीर की जलन ठीक हो जाती है।

 

एनीमिया (खून की कमी) में खसखस से लाभ (Khus Khus Benefits in Fighting with Anemia in Hindi)

कई लोगों को एनीमिया (खून की कमी की समस्या) हो जाती है। इसमें 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे खून की कमी दूर (khus benefits) होती है।

 

सीने के दर्द में खसखस का औषधीय गुण फायदेमंद (Poppy Seeds Health Benefits to Cure Chest Pain in Hindi)

सीने में दर्द की परेशानी में 2-4 ग्राम खस की जड़ का चूर्ण बना लें। इसमें 500 मिग्रा पिप्पली की जड़ का चूर्ण मिला लें। इसमें घी मिलाकर खाएं। इससे छाती का दर्द ठीक हो जाता है।

और पढ़ें: पिप्पली के फायदे

पित्तज विकारों में खसखस के औषधीय गुण से लाभ (Khus Syrup Benefits for Pittaj Disease in Hindi)

  • पित्तज रोग को ठीक करने के लिए 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण का सेवन करें। 
  • इसी तरह 5-10 मिली खस की जड़ के रस में चीनी के चूर्ण को मिलाकर पीने से पित्तोन्माद में लाभ होता है।

 

खसखस के उपयोगी भाग (Useful Parts of Khus Khus)

आपको खसखस के इन भागों का इस्तेमाल कर सकते हैंः-

  • खसखस की जड़
  • पौधे की जड़ (khus plant) से बना तेल

 

खसखस का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Khus Khus?)

खसखस के इस्तेमाल की मात्रा ये होनी चाहिएः-

  • खसखस का चूर्ण – 3-6 ग्राम
  • खसखस हिमफाण्ट – 25-50 मिली
  • खसखस का काढ़ा (khas ka sharbat) – 20-40 मिली

औषधी के रूप में खसखस का अधिक लाभ लेने के लिए आप इसका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करें।

 

खसखस कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Khus Khus Found or Grown?)

खसखस की खेती पूरे भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। यह प्रायः सूखी पड़ी भूमि, तालाब-पोखर, झील या नदी के किनारों पर होता है। इसके साथ ही यह दक्षिण भारत, बंगाल, राजस्थान एवं छोटा नागपुर इत्यादि स्थानों में भी पाया जाता है। यह 1200 मीटर की ऊंचाई तक मिलता है।

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