कैथा (Kapittha) को कैथ भी कहते हैं। कैथा के कई सारे औषधीय गुण हैं। आंखों के रोग, कान दर्द, गले के रोग, हिचकी, दमा जैसी बीमारियों में कैथा के इस्तेमाल से फायदे (Kapittha or kaitha benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, सांसों के रोग, उल्टी, भूख की कमी, पेचिश आदि में भी कैथा के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में कैथा के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है। आप दस्त, बवासीर, डायबिटीज, ल्यूकोरिया आदि में कैथा के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप मासिक धर्म विकार, त्वचा रोग, बुखार, खुजली, जलन में भी कैथा से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि कैथा के सेवन या उपयोग करने से आप कितनी सारी बीमारियों में फायदा ले सकते हैं, साथ ही यह भी जानते हैं कि कैथा से क्या-क्या नुकसान (Kapittha side effects) हो सकता है।
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कैथा का उपयोग मुख्य रूप से पान में किया जाता है, लेकिन आयुर्वेदिक गुणों के कारण कैथा रोगों का इलाज भी करता है। कपित्थ का पक्व फल मधुर, अम्ल, गुरु, शीत, वातपित्तशामक, रुचिकारक, ग्राही, कण्ठशोधक, देर से पचने वाला और वीर्यवर्धक होता है। कपित्थ बीज ग्राही और मधुर होता है। कपित्थ का फूल आखुविषनाशक होता है।
यहां कैथा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Kapittha benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कैथा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
कैथा का वानस्पतिक नाम Feronia limonia (Linn.) Swingle (फिरोनिया लिमोनीआ) Syn-Feronia elephantum Correa है, और यह Rutaceae (रूटेसी) कुल का है। कैथा को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता है।
Elephant Apple or Kapittha in –
कैथा के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
कपित्थ का पका फल मधुर, खट्टा, गुरु, ठंडा, वात-पित्त दोष को दूर (benefits of kaitha) करता है। इसका कच्चा फल कटु, तिक्त, कषाय, उष्ण, लघु, रूक्ष गुण युक्त; कफशामक, संग्राही, लेखन, वृष्य, ग्राही, वातकारक, पित्तवर्धक होता है। कपित्थ बीज ग्राही और मधुर होता है। कपित्थ का फूल आखुविषनाशक होता है। बीज तेल ग्राही, मधुर और पित्तशामक होता है।
कैथा के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
कैथा के औषधीय गुण से आंखों की बीमारियों में लाभ लिया जा सकता है। आप कपित्थ के पत्ते के रस में बराबर मात्रा में मधु मिला लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के रोग में लाभ मिलता है।
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आप कैथा का सेवन कर गले के रोग का इलाज कर सकते हैं। कैथा के पत्तों का काढ़ा बना लें। इससे गरारा करने से गले के रोग ठीक होते हैं।
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बच्चे को पेट दर्द की समस्या हो तो कैथा का सेवन कराएँ। इससे फायदा मिलता है। बेल गिरी और कपित्थ के गूदे का शरबत बना लें। इसे बच्चों को पिलाने से पेट का दर्द ठीक होता है।
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दमा रोग में भी कैथा के सेवन से फायदा मिलता है। कपित्थ के कच्चे फल का रस निकाल लें। इसे 5-10 मिली मात्रा में पिलाने से दमा रोग में लाभ होता है।
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आप पेचिश के इलाज के लिए कैथा का सेवन कर सकते हैं। 5-10 ग्राम कपित्थ पेस्ट को दही में मिलाकर पिएं। इससे पेचिश का इलाज होता है।
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बवासीर में कैथा का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। कपित्थ और बेल का जूस बना लें। इसे 10-40 मिली मात्रा में सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
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आप डायबिटीज में कैथा के फायदे ले सकते हैं। कम्पिल्लक, सप्तपर्ण, शाल, बहेड़ा, रोहीतक, कुटज और कपित्थ फूलों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 2-4 ग्राम चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से डायबिटीज में लाभ (benefits of kaitha) होता है।
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कई महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव की समस्या रहती है। इस समस्या के इलाज में कैथा का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। कपित्थ के कंटकों को अच्छी तरह पीस लें। 2-4 ग्राम मात्रा में सेवन करने से मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्त-स्राव में लाभ होता है।
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कैथा के सेवन से बुखार को ठीक किया जा सकता है। इसके लिए कपित्थ के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे जल में मिलाकर स्नान करने से बुखार ठीक होता है।
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आंतों के संक्रमण के उपचार के लिए भी कैथा का सेवन किया जाता है। कैथा के पत्ते का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से पाचन-तंत्र विकार और बालकों में होने वाले आँतों के संक्रमण की समस्या ठीक होती है।
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कैथा के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
कैथा के इस्तेमाल के बारे में किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
यहां कैथा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Kapittha benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कैथा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए कैथा का सेवन करने या कैथा का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
कैथा (kaitha) उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब से पूर्व एवं दक्षिण भागों में पाया जाता है।
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