बारिश के मौसम में सड़कों के किनारे आपमें से कई लोगों ने इस छोटे से पौधे को देखा होगा. बहुत कम लोग इस पौधे को नाम से पहचानते हैं. इसे कंचट, कंजरा नाम से जाना जाता है. आयुर्वेद में कंचट के फायदों और औषधीय गुणों का विस्तृत उल्लेख मिलता है. कब्ज और बवासीर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में कंचट बहुत ही उपयोगी है.
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कंचट का पौधा 60-90 सेमी लम्बा और गूदेदार तने वाला होता है. मानसून के मौसम में यह पौधा खाली पड़ी जगहों पर, सड़कों के किनारे अपने आप उग जाता है. इसकी पत्तियां और सब्जियां सेहत के लिए बहुत गुणकारी है. कई जगहों पर लोग इसकी सब्जी बनाकर खाते हैं. इस लेख में हम आपको कंचट के फायदे, औषधीय गुण और उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
कंचट का वानस्पतिक नाम Commelina benghalensis Linn. (कोमेलाइना बेन्गालेन्सिस Syn-Commelina prostrata Reg. है और यह Commelinaceae (कोमेलाइनेसी) कुल का पौधा है. आइये जानते हैं अन्य भाषाओं में इसे किन नामों से पुकारा जाता है.
Spiderwort in :
कञ्चट तिक्त, लघु, वातशामक, रक्तपित्तशामक, मूत्रल, विरेचक, पूयरोधी, पाचक, मृदुकारी, तिक्त, वेदनाशामक, मृदुविरेचक,मधुमेहहर, शोथहर तथा श्लेष्म-स्राववर्धक होता है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की मानें तो कंचट की सब्जी खाने से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है. इसकी पत्तियां दाद और खुजली दूर करती हैं वहीं इसके चूर्ण के उपयोग से नाक कान से खून बहने की समस्या से छुटकारा मिलता है. आइये जानते हैं कि किन बीमारियों में फायदेमंद है कंचट
कंचट के पौधों को पीसकर आंखों के चारों तरफ़ लगाने से आंखों के रोगों जैसे कि आंखों में दर्द, जलन आदि में फायदा मिलता है. आंखों से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी के इलाज में इसका इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक की सलाह लें.
अगर आप नाक से खून बहने की समस्या से परेशान हैं तो कंचट का उपयोग करें. कंचट की पत्तियों के रस को नाक में डालने से नाक से रक्तस्राव की समस्या में आराम मिलता है.
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कब्ज के कारण कई लोगों को सुबह शौच के दौरान काफी तकलीफ होती है. सही समय पर कब्ज का इलाज ना कराने से कई अन्य समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है. कब्ज़ दूर करने के लिए कंचट की सब्जी बनाकर उसका सेवन करें.
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आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार कंचट की पत्तियां पेट के रोगों को दूर करने में बहुत लाभकारी हैं. पेट के रोगों से आराम पाने के लिए 1-3 ग्राम कंचट की पत्तियों के चूर्ण का सेवन करें।
बवासीर के मरीजों के लिए भी कंचट बहुत उपयोगी है. जैसा हमने ऊपर बताया कि कंचट कब्ज दूर करने और पेट के रोगों को ठीक करने में बहुत उपयोगी है. इन फायदों के साथ साथ कंचट को पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्सों में होने वाले दर्द से आराम मिलता है.
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कई लोगों को पेशाब करते समय दर्द महसूस होता है, इस समस्या से राहत पाने के लिए आप कंचट का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए 2-5 ग्राम कंचट पंचाग को पानी के साथ पीसकर सेवन करें. यह मिश्रण पेशाब करते समय दर्द और पथरी की समस्या दोनों के इलाज में लाभदायक है.
अगर आपको कहीं हल्की-फुल्की चोट लग गयी है या त्वचा पर कोई घाव हो गया है तो कंचट का प्रयोग करें. कंचट की पत्तियों के रस को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है.
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आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार कंचट के उपयोग से दाद और खुजली की समस्या ठीक होती है. इसके लिए कंचट की पत्तियों को पीसकर दाद और खुजली वाली जगह पर लेप करें.
इसके अलावा कंचट और चक्रमर्द के पत्तों को उबालकर, छानकर दाद वाली जगह पर लगाने से भी दाद की समस्या जल्दी ठीक होती है.
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गर्मियों के मौसम में कई लोगों को नाक या कान से खून बहने की शिकायत होने लगती है. इस समस्या को आयुर्वेद में रक्तपित्त कहा गया है. 2-4 ग्राम की मात्रा में कंचट पंचांग चूर्ण का सेवन करने से नाक कान से खून निकलने की समस्या खत्म हो जाती है. इसके अलावा इस चूर्ण के सेवन से बुखार भी ठीक होता है.
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार कंचट के निम्न भाग उपयोग में लाये हैं.
सामान्य तौर पर कंचट चूर्ण का इस्तेमाल 2-5 ग्राम की मात्रा में और कंचट से तैयार काढ़े का उपयोग 20-30 एमएल मात्रा में करना चाहिए. अगर आप किसी गंभीर बीमारी के इलाज में कंचट का उपयोग घरेलू उपाय के रूप में करना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें.
कंचट की अलग से खेती नहीं की जाती है बल्कि यह खाली जगहों और सड़कों के किनारे कहीं भी अपने आप उग जाता है. बारिश के मौसम में यह पौधा ज्यादा दिखता है.
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