वानस्पतिक नाम : Cleome viscosa Linn. (क्लीओम विसकोसा) Syn-Cleome icosandra Linn; Polanisia icosandra (Linn.) W. & A.
कुल : Cleomaceae (क्लीओमेसी)
अंग्रेज़ी में नाम : Dog mustard (डॉग मस्टर्ड)
संस्कृत-पीतपुष्पा, तिलपर्णी, पूतिगंधा, उग्रगन्धा, ब्रह्मसुवर्चला; हिन्दी-हुरहुर पीला; उड़िया-जंगली जीरा (Jangali jira); उर्दू-हुलहुल (Hulhul); असमिया-भूतमाला (Bhutmala); कन्नड़-नाबल्ली (Naballi), नयीबेला (Nayibela); गुजराती-तलवानी (Talvani), तिलवन (Tilwan); तमिल-नयीक्काडूगू (Nayikkadugu); तेलुगु-कूखावोमीन्टा (Kukhavominta); बंगाली-हुरहुरिया (Hurhuria); पंजाबी-बुगरा (Bugra), हुलहुल (Hulhul); मराठी-पिवली (Peevali), तिलवण (Tilvan), कानफोड़ी (Kanphodi); मलयालम-ऐरियाविला (Ariavila)। अंग्रेजी-वाईल्ड मस्टर्ड (Wild mustard), टिकवीड (Tickweed), क्लेम्मी वीड (Clammy weed); अरबी-बनटकलन (Bantakalan)।
श्वेत हुरहुर के नाम (Cleome gynandra Linn.)
संस्कृत-हुरहुर, श्वेत पूतिगन्धा, श्वेत उग्रगन्धा, सुवर्चला; हिन्दी-हुरहुर सफेद, करेलिआ, चमनी; कोंकणी-शीरकाल (Shirkala); कन्नड़-श्रीकाल (Shrikaala); गुजराती-धोली तलवर्णा (Dholi talvarna); तमिल-नालवेलाई (Nalvelai), कडुगु (Kadugu), वेलै (Velai); तेलुगु-वामिन्टा (Vaminta); बंगाली-हुरहुरिया (Hurhuriya), अर्कहूली (Arkahuli); मराठी-हुलहुल (Hulhul), मबलीकलवन (Mablikalvana), तिलवण (Tilavana), भाटवण (Bhatvan); मलयालम-करवेला (Karavela), तैवेला (Teivela)। अंग्रेजी-बास्टर्ड मस्टर्ड (Bastard mustard), काफिर कैबेज (Kaffir-cabbage), स्पाइडर फ्लावर (Spider flower); अरबी-अबु क्यूअर्न (Abu qarn)।
परिचय
यह वनस्पति समस्त भारत में परती भूमि में खरपतवार के रूप में प्राप्त होती है। पुष्पभेद के आधार पर इसकी दो प्रजातियां होती हैं। 1. हुरहुर श्वेत 2. हुरहुर पीत।
यह 30-90 सेमी ऊँचा, शाखित, ग्रन्थिल-रोमश शाकीय पौधा होता है। इसकी काण्ड एवं शाखाएँ रेखित, श्वेत वर्ण के फैले हुए रोमों से आवृत होती हैं। इसके पुष्प श्वेत वर्ण के होते हैं। इसकी फलियाँ 5-10 सेमी लम्बी, 4.5 मिमी व्यास की चिपचिपी तथा रोमश होती हैं। इसके बीज गहरे भूरे से कृष्ण वर्ण के तथा खुरदरे, वृक्काकार होते हैं।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
पीली हुरहुर कटु, तिक्त, कषाय, उष्ण, रूक्ष, लघु, कफवातशामक, ग्राही, रुचिकारक, सर, तीक्ष्ण, विदाही तथा स्वेदल होती है।
यह श्वास, कास, अरुचि, ज्वर, विस्फोट, कुष्ठ, प्रमेह, योनिरोग, मूत्रकृच्छ्र, शोफ, कृमि, शूल, रक्तपित्त, कृमिरोग तथा पाण्डुनाशक होती है।
इसके बीज उष्ण वीर्य, जठराग्निदीपक, गुल्म, अनाह, आमदोष, शूल, कफहर तथा वातज्वरशामक होते हैं।
हुरहुर श्वेत
श्वेत हुरहुर मधुर, कटु, तिक्त, कषाय, शीत, रूक्ष, गुरु, कफवातशामक, ग्राही, पित्तकारक, सर, मूत्रजनक, अग्निदीपक, स्वर्य तथा रसायन होती है। यह व्रण, शीतज्वर, भूतबाधा, ग्रहपीड़ा, प्रमेह, कृमि, कुष्ठ, त्वक्-विकार, विष्टम्भ, रुधिरविकार, ज्वर, श्वास, कास, योनिशूल, मूत्रकृच्छ्र, पाण्डु, गुल्म तथा विस्फोट शामक होता है।
इसके पत्र तथा काण्ड से प्राप्त मेथनॉल सत् परखनलीय परीक्षण में कृमिघ्न (Antihelmintic) गुण प्रदर्शित करता है।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
हुरहुर श्वेत के प्रयोग
प्रयोज्याङ्ग : पत्र, बीज तथा पञ्चाङ्ग।
मात्रा : क्वाथ 10-20 मिली। स्वरस 5-10 मिली। चूर्ण 1-2 ग्राम। चिकित्सक के परामर्शानुसार।
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