महिलाओं में अनियमित पीरियड्स एक आम समस्या है। जब 13-14 महिलाओं में एक निश्चित उम्र के बाद मासिक धर्म का आगमन होता है। जब 13-14 साल में लड़की को पहली बार पीरियड्स आना शरू होते हैं तब वे आमतौर पर नियमित नहीं होते हैं लेकिन यदि 2 वर्ष बाद भी पीरियड्स नियमित ना हों तब यह समस्या की बात है। मेडिकल की भाषा में मासिक धर्म की अनियमितता को ‘ओलिगोमेनोरहि’ कहते हैं। मासिक धर्म का यह चक्र लगभग 28 से 32 दिन के अन्तराल से आता है। जिन महिलाओं को सही समय पर मासिक धर्म आता है वे शारीरीरक और मानसिक तौर पर अधिक स्वस्थ एवं सुखी होती है। लेकिन अगर इस चक्र में कोई रुकावट आती है तो निश्चित ही महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
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महिला को हर महीने 21 से 32 दिन के अन्तराल से मासिक धर्म होता है तो यह नियमित मासिक धर्म कहलाता है। लेकिन जब किसी एक महीने यह 15 दिन में ही आ जाए और अगले महीने 35 दिन तक न आये एवं कभी मासिक धर्म में रक्त की कमी हो या कभी रक्त अधिक आने लगे तो यह प्रक्रिया अनियमित माहवारी मानी जाती है। वैसे 1 या 2 बार की अनियमितता अधिक गंभीर नहीं है लेकिन जब बार-बार हो तो निश्चित ही अनियमित मासिक धर्म की समस्या मानी जाती है।
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पीरियड्स की अनियमिता दो तरह से होती है- अधिक मात्रा में मासिक स्राव और 28 दिन से पूर्व होना इस स्थिति में वात एंव पित्त दोनों असंतुलित होती है। 2 माह के उपरान्त भी मासिक धर्म न होना तथा बहुत ही अल्प मात्रा में होता-इस स्थिति में वात एवं कफ की अधिकता होती है।
इसके अलावा पीरियड्स के अनियमित होने के पीछे बहुत सारे कारण होते हैं-
शराब-शराब का सेवन शराब के सेवन से शरीर में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन लेवल बढ़ जाता है, जिससे पीरियड्स समय पर नहीं आते इसलिए इससे दूर रहने में ही आपकी भलाई है।
पैकेज्ड फूड-यदि आप ज्यादा मात्रा में जंक फूड ( junk food) मतलब बाजार में मिलने वाले कृत्रिम और पैकड़ खाद्य पदार्थ का सेवन करते है तो एसी संभावना है कि आपके शरीर में अस्वास्थ्यकर कार्बोहाइड्रेट्स की बढ़त हुई हो। अगर आपका वजन अचानक से बढ़ चूका है, तो आपके शरीर में कुछ मासिक हार्मोन के अनियमित स्तर पर उत्पादन होगा, जो आपके मासिक चक्र को प्रभावित करेगा। वह महिलाएँ जो अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करती है, उन्हें लीवर की परेशानी हो सकती है और यह मासिक अनियमितता का एक कारण भी हो सकता है।
वजन-वजन का बढ़ना या घटना अचानक वजन बढ़ने या घटने के कारण शरीर का हॉर्मोन्स लेवल बिगड़ जाता है, जिससे आपके पीरियड्स समय पर नहीं आते। इसलिए अपने वजन को हमेशा कंट्रोल में रखना चाहिए।
नींद- नींद पूरी न होना घर हो या ऑफिस, काम के चक्कर में अक्सर महिलांए रात को देरी से सोती हैं और जल्दी उठ जाती है, जिससे उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। नींद की कमी के कारण पीरियड का गैप बढ़ जाता है और पीरियड्स इररेगुलर हो जाते हैं।
तनाव-अधिक तनाव भी अनियमित मासिक धर्म का कारण होता है ज्यादा तनाव मासिक धर्म को कुछ समय के लिए बंद कर सकता है। कोर्टिसोल एक तनाव हार्मोन होता है। कोर्टिसोल हार्मोन मासिक धर्म के चक्र को प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार होता हैं। हाइपोथेलेम्स दिमाग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो प्रजनन तंत्र को नियंत्रित करता है। कोर्टिसोल स्तर के बढ़ने से हाइपोथेलेम्स पर बुरा असर पड़ता है महिला के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन नाम के 3 हार्मोन्स मौजूद होते हैं जब इन हार्मोंन्स में किसी तरह की कोई गड़बड़ी हो जाती हैं तो पीरियड्स के अनियमित होने की प्रॉब्लम होने लगती है। अगर आप भी ऐसी ही किसी परेशानी से गुजर रहे हैं तो डाक्टर से परामर्श लें और बिना संकोच खुलकर अपनी परेशानी बताएं।
दवाईयां– दवाइयों का असर कुछ महिलाएं पीरियड्स को रेगुलर करने के लिए बर्थ कंट्रोल पिल्स लेती है लेकिन शुरूआत में यह पिल्स बॉडी के हिसाब से एडजस्ट नहीं कर पाती। इसके कारण हार्मोंन्स का फंक्शन गड़बड़ हो जाता है और शुरू के 2-3 महीनें पीरियड्स समय पर नहीं आते। इस समस्या से निपटने के लिए पिल्स एक ही नियमित समय पर लें।
थायरॉइड डिसॉर्डर- बहुत सारी महिलाओं को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है। महीने के यह पांच दिन दर्द, तनाव और अन्य कई समस्याओं से गुजरते हैं। बहुत सारी महिलाएं पीरियड के दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवाइयों का सेवन करती हैं लेकिन इस समय में दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर महिला लगातार एक माह या उससे ज्यादा समय तक बीमार रहती है तो ऐसे में उनके रक्तस्राव में अलग-अलग तब्दीलियां आ सकती हैं। थायरॉइड की वजह से इस चक्र पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। ऐसे में खून की जांच करवाएं। अगर यह प्रॉब्लम न भी हो तो भी हर साल थायरॉइड की जां करवाएं।
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अनियमित मासिक धर्म के परेशानी से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाया जाता है। यहां हम पतंजली के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से मासिक धर्म को नियमित किया जा सकता है-
दालचीनी के बारे में कहा जाता है कि यह बॉडी हीट को बढ़ाने का काम करती हैं। ऐसे में दालचीनी की यही खूबी आपके अनियमित पीरियड्स को नियमित करने में मदद करेगी। दालचीनी में एंटी-इंफ्लामेंट्री और एंटीस्पासमोडिक खूबियां होती हैं। इसके अलावा इसमें हाइड्रोक्सीकलकोन होती है। जो आपके इन्सुलिन लेवल को सही बनाए रखता है। इसके लिए बस आप दालचीनी को पीसकर एक कफ में लें लें। उसके बाद इसमें उबला हुआ पानी मिलाएं। फिर 3-10 मिनट बाद इसमें एक टी-बैग डालकर 2-3 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर इसमें स्वादानुसार शुगर या शहद मिलाकर लें। इसे रोजाना लेने से आपको काफी फायदा होगा।
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कच्चा पपीता भी आपके अनियमित मासिक धर्म को नियमित करने में महत्वपूर्ण रोल निभाता है। इसमें भी एंटी-इंफ्लामेंटरी खूबियां होती हैं जो हमारे पीरियड्स से जुड़ी दिक्कतों को दूर करती हैं। साथ ही इसमें आयरन, कैरोटिन, कैल्शियम और विटामिन ए और सी की भरपूर मात्रा होती है जो हमारी बॉडी के पोषक तत्वों से जुड़ी दिक्कतों को दूर कर हमारी गर्भाशय की दीवार को सही करने का काम करती है। इसके लिए आप पीरियड्स की डेट से एक या दो दिन पहले कच्चा पपीता खरीदें। फिर इसके छोटे पीस काटकर एक कटोरे में लें, फिर इसमें एक चम्मच दही डालें और इसे ब्रेकफास्ट में ले या शाम के स्रेक्स के तौर पर लें।
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हल्दी शरीर में गर्मी पैदा करती है, और यह हार्मोन्स नियंत्रित और माहवारी नियमित करने में सहायता करती है। इसमें एंटीस्पास्मोडिक और एंटीइंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं जो माहवारी के दर्द को कम करते हैं। एक चौथाई हल्दी को दूध, शहद या गुड़ के साथ ले और तब तक इसका सेवन करें जब तक आपको अपने आप में सुधार नहीं दिखाई देता।
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पीरियड्स को नियमित करने के लिए अदरक बेहद लाभकारी होता है और इससे पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द भी कम हो जाता है। आधा चम्मच अदरक को पीस लें और 1 कप पानी में सात मिनट तक उबालें। अब इसमें थोड़ी शक्कर डालें और खाना खाने के बाद इसे दिन में 3 बार पिये। ऐसा कम से कम 1 महीने तक करें।
सौंफ में एंटीस्पास्मोडिक तत्व पाये जाते हैं जो पीरियड्स को नियमित रखने में सहायक होते हैं। इसके साथ ही यह फीमेल सेक्स हार्मोन्स को भी नियंत्रित करती हैं। एक ग्लास पानी में दो टी-स्पून सौंफ डालें। फिर रातभर इन्हें ऐसे ही रहने दें और अगली सुबह इस पानी को छानकर पिएं। ऐसा हर रोज करने पर आप इस समस्या से निजात पा सकते है।
करेला एक ऐसी सब्जी है जिसका नाम सुनते ही लोग कड़वा करेला बोलने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इसके कड़वेपन को छोड़कर इसमे काफी बेहतरीन चीजें भी हैं। यह एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लामेंट्री, एंटीमाइक्रोबियल, रोगाणुरोधी गुण जैसी खुबियों से भरा हुआ है। जो हमारे बॉडी सिस्टम के लिए बहुत लाभदायक है। इसके लिए आप करेले को काटकर मिक्सर में डालें और इसका जूस बनाएं। इसके बाद फिर इसमें एक चम्मच चीनी डालें और तुरंत पी जांए। हम मानते हैं कि इसको पीने में आपको काफी दिक्कत होगी। लेकिन आप अपनी हेल्थ के लिए इतना तो कर ही सकती हैं। क्योंकि दवाईयां भी तो कड़वी ही होती हैं।
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अजवायन में अपोइड नामक एक तत्व होता है, जो पीरियड्स को नियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए आप हरी धनिया और हरी अजवायन पत्तियों को मिक्सर में डालकर जूस बनाकर ग्लास में लें। इसके बाद इसमें एक चम्मच चीनी मिलाकर पी जाएं।
सर्दियों में ज्यादातर घरों में माताएं तिल के लड्डू बनाती है। आपके घर भी जरूर बनते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सर्दियों में क्यों बनाए जाते हैं। क्योंकि तिल हमारी बॉडी को ही देता है। इस हीट देने की खूबी के कारण ही ये आपके पीरियड्स को नियमित करने का काम करता है। इसके लिए आप तिलों को पीसकर तिल का पाउडर बना लें। फिर अब एक टेबल स्पून शहद इसमें मिलाएं और इन्हें अच्छे से मिलाकर खाएं। वैसे आप ऐसा रोज करेंगे तो आपको काफी आराम मिलेगा।
सूखा पुदीने और शहद का मिश्रण अनियमित पीरियड्स को नियमित करने के लिए एक बेहतर आयुर्वेदिक उपाय है। 1 चम्मच सूखे पुदीने के पाउडर को 1 चम्मच शहद में मिला कर लेने से आराम मिलता है।
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गाजर में भरपुर मात्रा में आयरन होती, अनियमित पीरियड्स के लिए गाजर का ज्युस आपको पीना चाहिए। अनियमित पीरियड्स को नियमित करने के लिए आप 3 महीने तक रोज एक गिलास गाजर का ज्युस पिएं।
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मासिक धर्म या पीरियड्स के दौरान ये लक्षण नजर आने पर डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए।
-जब मासिक स्राव 90 दिन तक भी आए।
-जब मासिक स्राव 21 दिन से पूर्व आ जाए।
-जब स्राव एक सप्ताह से अधिक रहे।
-जब स्राव बहुत अधिक मात्रा में हो।
-जब स्राव के साथ बहुत अधिक पीड़ा भी हो।
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