कोलेस्ट्रॉल एक तरह का वसायुक्त तत्व है, जिसका उत्पादन लिवर करता है। यह कोशिकाओं की दीवारों, नर्वस सिस्टम के सुरक्षा कवच और हॉर्मोंस के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को खून में घुलने से रोकता है। हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं- एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, अच्छा कोलेस्ट्रॉल) और एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, बुरा कोलेस्ट्रॉल)। एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल काफी हल्का होता है और यह ब्लड वेसेल्स में जमे फैट को अपने साथ बहा ले जाता है। बैड कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल ज्यादा चिपचिपा और गाढा होता है। अगर इसकी मात्रा अधिक हो तो यह ब्लड वेसेल्स और आर्टरी के दीवारों पर जम जाता है, जिससे खून के बहाव में रुकावट आती है। इसके बढ़ने से हार्ट अटैक, हाई ब्लडप्रेशर और ओबेसिटी जैसे समस्याएं हो सकती हैं। कोलेस्ट्रॉल की जाँच के लिए लिपिड प्रोफाइल नामक ब्लड टेस्ट कराया जाता है। किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 मि.ग्रा/डीएल से कम, एचडीएल 60 मि.ग्रा./डीएल से अधिक और एलडीएल 100 मि.ग्रा/डीएल से कम होना चाहिए।
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आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कफ की अधिकता होने से कोलेस्ट्रॉल की उत्पत्ति होती है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल दो तरह के होते है-गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL– High Density Protine)
बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL– Low Density Protine)। लेकिन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा इसप्रकार होनी चाहिए-
Total Cholesterol – 200- Desirable
200- 239- Border line
240 or Above– High Risk.
HDL – 60 or Above– Low risk of heart disease.
40-60- Near-optimal.
40 or Below– High risk of heart disease.
LDL – 100 or Below– Low risk of heart disease
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मूल कारण आहार लेकिन इसके साथ और भी कारण है जो निम्नलिखित है-
अन-हेल्थी डाइट- शरीर में संतृप्त वसा का पूरा इस्तेमाल शरीर में होने पर भी हाई कोलेस्ट्रॉल पैदा हो सकता है। संतृप्त वसा भोजन ऐसे भोजन में पाई जाती है जिनमें कोलेस्ट्रॉल और फैट ज्यादा होता है। जैसे लाल फैटी मांस, मक्खन, पनीर, केक, घी आदि ऐसे ही खाद्य पदार्थ है। इनको ज्यादा खाने से बचें और इस प्रकार के ज्यादा वसा वाले पदार्थों का सेवन कम करें।
वंशानुगत कारण- यदि आपके परिवार में किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल रहा है तो यह आपके लिए भी चिंता का कारण है। यह आनुवंशिक हाई कोलेस्ट्रॉल भी समय पूर्व ब्लॉकेज और स्ट्रोक का कारण बनता है।
शराब का सेवन- ज्यादा शराब का सेवन लीवर और हार्ट की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है जो कि हार्ट ब्लड प्रेशर का कारण बनता है और शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है।
तनाव- जब लोग तनाव में होते हैं तो अपने आपको तसल्ली देने के लिए स्मोकिंग, शराब का सेवन और फैटी खाने का सेवन करते हैं। इसलिए लम्बे समय तक तनाव ब्लड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का कारण बनता है।
बीमारी कुछ बीमारियाँ जैसे शुगर और हाइपोथायराइडिज्म आदि भी शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाती है। इस कारण, कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल में बनाये रखने के लिए नियमित रूप से मेडिकल जाँच कराते रहें।
कोलेस्ट्रॉल ये सारे लक्षण बहुत ही सामान्य है-
सिर में दर्द- अगर आप अक्सर सिरदर्द से परेशान रहती हैं या आपको कभी-कभी सिर बहुत हल्का लगता है, तो सावधान हो जाएं, क्योंकि ये बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हो सकते हैं। दरअसल कोलेस्ट्रॉल के कारण सिर की सभी नसों में प्रॉपर ब्लड सप्लाई नहीं हो पाती है, तो ऐसी समस्या आती है। इसी कारण सिर में दर्द और चक्कर आने या संवेदना खोने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
सांस फूलना- अगर थोड़े से काम या मेहन के बाद आपकी सांस फूलने लगती है, तो ये बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है। सांस फूलने या थकावट होने के कई कारण हो सकते हैं, मगर अगर ऐसा हो रहा है तो आपको अपना कोलेस्ट्रॉल जरूर चेक करवाना चाहिए। कोलेस्टॉल बढ़ने के कारण आप ज्यादा काम किए बिना ही थकावट महसूस करने लगते हैं। आमतौर पर मोटे लोगों को ये समस्या अधिक होती है।
मोटापा- अगर आपको ऐसा लगता है कि आप बिना किसी खास वजह के अचानक से मोटे होने लगे हैं, तो ये बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का भी संकेत हो सकता है। इसके अलावा अगर आप पेट में भारीपन महसूस करते हैं या आपको सामान्य से ज्यादा पसीना आता है और गर्मी लगती है तो आपको अपना कोलेस्ट्रॉल चेक करवाना चाहिए।
सीने में दर्द या बेचैनी- कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से मुख्य रूप से दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर आपको सीने में दर्द महसूस हो, बेचैनी हो या दिल बहुत जोर-जोर से धड़कने लगे, तो ये कोलेस्ट्रॉल के बढ़े होने के संकेत हो सकते हैं। इसे नजरअंदाज करना आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है इसलिए ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सक से जांच करवाएं और अपना कोलेस्ट्रॉल मैनेज करें। आँख के नीचे या गर्दन पर छोटे से बॉईल या स्किन टैग का निकलना भी इस बात का संकेत है कि आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ रहा है।
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आम तौर पर कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए लोग पहले घरेलू नुस्खें आजमाते हैं। चलिये जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन-से घरेलू उपाय हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करते हैं-
अखरोट एनर्जी का भंडार है। रोजाना चार अखरोट खाने से हमारे शरीर को तुरन्त एनर्जी मिलती है साथ ही इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, ओमेगा-3, फाइबर, कॉपर और फॉस्फोरस जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। रोजाना सुबह चार अखरोट खाने से रक्तवाहनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल पिघलने लगता है और यह आपके बैड कोलेस्ट्रॉल को वापस यकृत तक भेजने में बहुत मददगार होता है इसलिए रोजाना चार अखरोट खाने की आदत डालिये।
लहसुन में कुछ ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 9 से 15 प्रतिशत तक घट सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित करता है। प्रतिदिन लहसुन की दो कलियां छीलकर खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
ओट्स में मौजूद बीटा ग्लूकॉन नामक गाढ़ा चिपचिपा तत्व हमारी आंतों की सफाई करते हुए कब्ज की समस्या दूर करता है। इसकी वजह से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण नहीं हो पाता। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि अगर तीन महीने तक नियमित रूप से ओट्स का सेवन किया जाए तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में 5 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है।
सोयाबीन, दालें और अंकुरित अनाज खून में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में लिवर की मदद करते हैं। ये चीजें गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी सहायक होते हैं।
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नींबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं, जो खाने की थैली में ही बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं। ऐसे फलों में मौजूद विटामिन-सी रक्तवाहिका नलियों की सफाई करता है। इस तरह बैड कोलेस्ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया तेज करके कोलेस्ट्रॉल घटाने में सहायक होते हैं।
इसमें मौजूद मोनो अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को स्थिर रखने में सहायक होता है। यह ऑर्टरी की दीवारों को मजबूत बनाता है। इससे हृदय रोग की आशंका कम हो जाती है। यह हाई ब्लडप्रेशर और शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखता है। रिसर्च से यह प्रमाणित हो चुका है कि अगर छह सप्ताह तक लगातार ऑलिव ऑयल में बना खाना खाया जाये तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में 8 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
अलसी के बीज भी बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत लाभदायक होते है। आप अलसी के बीजों का सेवन करें, या फिर अलसी के बीजों का पाउडर बनाकर रोजाना इसका सेवन करें।
अलसी का थोड़ा पाउडर लेकर उसे एक गिलास छाछ में मिला लें। इसे अच्छी प्रकार से मिलाने के बाद इसका सेवन करें। अलसी को आप अपने सब्जी में भी इस्तेमाल करें।
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रोजाना सुबह खाली पेट, एक चम्मच आँवला के रस में एक चम्मच एलोवेरा का रस मिलाकर इसका नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटाया जा सकता है। आँवला में विटामिन-सी और साइट्रिक एसिड उच्च मात्रा में पाया जाता है जो कि कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत महत्वपूर्ण है।
जितने भी विटामिन-सी और साइट्रिक एसिड युक्त फल हैं वह सभी कोलेस्ट्रॉल के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं जैसे- आँवला, अनार, नींबू, संतरा, मौसंबी आदि जो भी इस प्रकार के खट्टे अर्थात साइट्रिक एसिड युक्त फल और सब्जी हैं वह सभी आपके लिए अच्छे हैं।
काला चना अक्सर ही घरों में सब्जी के रूप में खाया जाता है। काले चने में विटामिन-ए,बी.सी,डी, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिन लोगों का कोलेस्ट्रॉल उच्च रहता है उन्हें काले चनों का सेवन करना चाहिए। रात को एक मुट्टी काले चने पानी में भिगोकर छोड़ दें और सुबह इन चनों को खाली पेट खाएं। साथ ही जिस पानी में चने भिगोये थे उसे फेंकें नहीं बल्कि उस पानी को भी पियें। इसके अलावा भूने चने खाना भी आपके लिए लाभदायक है।
रात को पानी में 10 से 12 किशमिश और 6 से 7 बादाम भिगो कर रख दें। सुबह खाली पेट बादाम और किशमिश का सेवन करें इससे भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कोलेस्ट्रॉल के मरीज इनका नियमित सेवन करें, ध्यान रहे कि अगर आपको शुगर है तो किशमिश का सेवन ना करें।
हमारे भारतवर्ष में सबसे ज्यादा सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है परन्तु पिछले कुछ सालों में लोगों ने अन्य कई प्रकार के घी, रिफाइंड और अन्य ऑयली ऑयल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से लोगों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की शिकायतें भी बढ़ने लगी हैं।
सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटिड फैट और पॉली अनसैचुरेटिड फैटी एसिड भी बहुत उच्च मात्रा में पाया जाता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभदायक होते है। अगर आपको कोलेस्ट्रॉल की समस्या है तो हमेशा सरसों के तेल का ही इस्तेमाल करें।
अर्जुन के पेड़ की छाल को कई प्रकार के रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है। अर्जुन की छाल आपको किराने की दुकान पर बाजार में आसानी से मिल जाएगी।
थोड़ी सी अर्जुन की छाल लेकर उसे एक गिलास पानी में डालें और इस पानी को गर्म करें। इसे तब तक गर्म करें, जब तक यह पानी उबलकर आधा न रह जाए। अब इसको ठंडा होने दें, ठंडा होने पर इस काढ़े को चाय की तरह पियें, इससे बढ़ता हुआ कोलेस्ट्रॉल घटता है।
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अगर आपको निम्न बातें महसूस हो रही है तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाये-
-एक्सरसाइज करने या ज्यादा न खाने के बावजूद भी लगातार वजन बढ़ना हाई कोलेस्ट्रॉल का ही संकेत है।
-अगर थोड़ा-सा चलने पर भी सांस फूलने लगती है।
-सामान्य रूप से बॉडी में अधिक थकान महसूस होना भी इस बात का संकेत है कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है। ऐसे में बिना देरी किए तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें।
-जरूरत से ज्यादा पसीना आना या बहुत अधिक गर्मी लगने को नजरअंदाज न करें।
-बिना ज्यादा भागदौड़ या कोई और काम किए आपके पैरों में लगातार दर्द रहना।
-रोजाना सिरदर्द या मस्तिष्क में दर्द रहता है।
-अगर ब्लड प्रेशर अधिक रहने लगे।
-सीने में किसी भी प्रकार की असहजता हो या बेचैनी सी महसूस होने लगे।
-दिल जोर-जोर से धड़कने पर भी आपको तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए।
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