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Hingvadi Gutika: गुणों से भरपूर है हिंग्वादि गुटिका- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

हिङ्ग्वम्लवेतसव्योषयमानीलवणत्रिकै।

बीजपूररसोपेतैगुटिका वातशूलनुत्।। भै..30/19, ..26/18

क्र.सं. घटक घटक द्रव्य प्रयोज्यांग अनुपात

  1. हींग निर्यास 1 भाग
  2. अम्लवेतस 1 भाग
  3. शुण्ठी कन्द 1 भाग
  4. काली मिर्च फल 1 भाग
  5. पिप्पली फल 1 भाग
  6. अजवाइन 1 भाग
  7. सैंधव नमक 1 भाग
  8. विड् लवण 1 भाग
  9. सामुद्र लवण 1 भाग
  10. बिजौरा निम्ब स्वरस फल Q.S. मर्दनार्थ

मात्रा 250-500 मिली ग्राम

उपयोग मुख में रख कर चूसना चाहिए।

गुण और उपयोगयह श्रेष्ठ दीपन पाचन तथा वातानुलोमक है, भोजन पचने के कारण हो रहा पेट दर्द इस वटी के सेवन शीघ्र ही ठीक हो जाता है। जठराग्नि की वृद्धि होकर पाचन क्रिया सुचारु रुप से चलती है। वायु के पेट फूलने पर इस वटी के सेवन के साथसाथ एरण्ड तैल को मल कर सेंक करें तो शीघ्र ही लाभ मिलता है। यदि रोगी को आँव आने की शिकायत हो तो दिन में दो बार सुबह और रात्रि में 1/2 से 1 तोला वायविडंग चूर्ण को शक्कर के साथ दें साथ ही यदि कब्ज भी हो तो काला मुनक्का या गुलकन्द 1-2 तोला देते रहे। इससे पेट साफ होकर आराम मिलता है। इसकी 3-4 गोली प्रात काल खाने से आमाजीर्ण नष्ट होता है तथा भूख खुल कर लगती है एवं भोजन के बाद लेने से भोजन ठीक प्रकार पचता है। इसका नियमित सेवन करने से कभी पेट संबंधी बीमारियाँ नहीं होती।