header-logo

AUTHENTIC, READABLE, TRUSTED, HOLISTIC INFORMATION IN AYURVEDA AND YOGA

AUTHENTIC, READABLE, TRUSTED, HOLISTIC INFORMATION IN AYURVEDA AND YOGA

Diet Plan for Viruddha Ahara: विरुद्धाहार के लिए आहार दिनचर्या- Patanjali

विरुद्धाहार

भोजन 17 प्रकार से विरुद्ध हो सकता है:

  • देश विरुद्ध: सूखे या तीखे पदार्थों का सेवन सूखे स्थान पर करना अथवा दलदली जगह में चिकनाईयुक्त भोजन का सेवन करना.
  • काल विरुद्ध: ठंड में सूखी और ठंडी वस्तुएँ खाना और गर्मी के दिनों में तीखी कशाय भोजन का सेवन.
  • अग्नि विरुद्ध: यदि जठराग्नि मध्यम हो और व्यक्ति गरिष्ठ भोजन खाए तो इसे अग्नि विरुद्ध आहार कहा जाता है.
  • मात्रा विरुद्ध: यदि घी और शहद बराबर मात्रा में लिया जाए तो ये हानिकारक होता है.
  • सात्मय विरुद्ध: नमकीन भोजन खाने की प्रवृत्ति रखने वाले मनुष्य को मीठा रसीले पदार्थ खाने पड़ें.
  • दोष विरुद्ध: वो औषधि , भोजन का प्रयोग करना जो व्यक्ति के दोष के को बढ़ाने वाला हो और उनकी प्रकृति के विरुद्ध हो.
  • संस्कार विरुद्ध: कई प्रकार के भोजन को अनुचित ढंग से पकाया जाए तो वह विषमई बन जाता है. दही अथवा शहद को अगर गर्म कर लिया जाए तो ये पुष्टि दायक होने की जगह घातक विषैले बन जाते हैं.
  • कोष्ठ विरुद्ध: जिस व्यक्ति को  कोष्ठबद्धता हो, यदि उसे हल्का, थोड़ी मात्रा में और कम मल बनाने वाला भोजन दिया जाए या इसके विपरीत शिथिल गुदा वाले व्यक्ति को अधिक गरिष्ठ और ज़्यादा मल बनाने वाला भोजन देना कोष्ठविरुद्ध आहार है.
  • वीर्य विरुद्ध: जिन चीज़ों की तासीर गर्म होती है उन्हें ठंडी तासीर की चीज़ों के साथ लेना.
  • अवस्था विरुद्ध: थकावट के बाद वात बढ़ने वाला भोजन लेना अवस्था विरुद्ध आहार है.
  • क्रम विरुद्ध: यदि व्यक्ति भोजन का सेवन पेट सॉफ होने से पहले करे अथवा जब उसे भूख ना लगी हो अथवा जब अत्यधिक भूख लगने से भूख मर गई हो.
  • परिहार विरुद्ध: जो चीज़ें व्यक्ति को वैद्य के अनुसार नही खानी चाहिए, उन्हें खानाजैसे कि जिन लोगों को दूध ना पचता हो, वे दूध से निर्मित पदार्थों का सेवन करें.
  • उपचार विरुद्ध: किसी विशिष्ट उपचारविधि में अपथ्य (ना खाने योग्य) का सेवन करना. जैसे घी खाने के बाद ठंडी चीज़ें खाना (स्नेहन क्रिया में लिया गया घृत).
  • पाक विरुद्ध: यदि भोजन पकाने वाली अग्नि बहुत कम ईंधन से बनाई जाए जिस से खाना अधपका रह जाए अथवा या कहीं कहीं से जल जाए.
  • संयोग विरुद्ध: दूध के साथ अम्लीय पदार्थों का सेवन.
  • हृदय विरुद्ध: जो भोजन रुचिकार ना लगे उसे खाना.
  • समपद विरुद्ध: यदि अधिक विशुद्ध भोजन को खाया जाए तो यह समपाद विरुद्ध आहार है. इस प्रकार के भोजन से पौष्टिकता विलुप्त हो जाती है. शुद्धीकरण या रेफाइनिंग (refined or matured foods) करने की प्रक्रिया में पोशाक गुण भी निकल जाते हैं.

 

  • विधि विरुद्ध: सार्वजनिक स्थान पर बैठकर भोजन खाना.

 

इस प्रकार के भोजन के सेवन से अनेक प्रकार के चर्म रोग, पेट में तकलीफ़, खून की कमी (अनेमिया), शरीर पर सफेद चकत्ते, पुंसत्व का नाश इस प्रकार के रोग हो जाते हैं.

  • दूध के साथ फल खाना.
  • दूध के साथ खट्टे अम्लीय पदार्थ का सेवन.
  • दूध के साथ नमक वाले पदार्थ भी नही खाने चाहिए.
  • गेहूँ को तिल तेल में पकाना.
  • दही, शहद अथवा मदिरा के बाद गर्म पदार्थों का सेवन.
  • केले के साथ दही या लस्सी लेना.
  • ताम्र चूड़ामणि (chicken) के साथ दही का सेवन.
  • तांबे के बर्तन में घी रखना.
  • मूली के साथ गुड़ खाना.
  • मछली के साथ गुड़ लेना.
  • तिल के साथ कांजी का सेवन.
  • शहद को कभी भी पकाना नही चाहिए.
  • चाय के बाद ठंडे पानी का सेवन करना.
  • फल और सलाद के साथ दूध का सेवन करना.
  • मछली के साथ दूध पीना.
  • खाने के एकदम बाद चाय पीना (इससे शरीर में आइरन की कमी जाती है).
  • उड़द की दाल के साथ दही या तुअर की दाल का सेवन करना. (दहीवड़े वास्तव में विरुद्धाहार हैं).
  • सलाद का सेवन मुख्य भोजन के बाद करना. ऐसा करने से सलाद को पचाना शरीर के लिए मुश्किल हो जाता है और गॅस तथा एसिडिटी की समस्या उत्पन्न हो जाती है