header-logo

AUTHENTIC, READABLE, TRUSTED, HOLISTIC INFORMATION IN AYURVEDA AND YOGA

AUTHENTIC, READABLE, TRUSTED, HOLISTIC INFORMATION IN AYURVEDA AND YOGA

Brahmi Vati Swarghati: ब्राह्मी वटी स्वर्णघटित – एक नाम, कई लाभ- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

क्र.सं. घटक द्रव्य प्रयोज्यांग अनुपात

  1. अभ्रक भस्म
  2. संगेयशव भस्म/पिष्टी
  3. अकीकभस्म/पिष्टी
  4. माणिक्य भस्म/पिष्टी

मात्रा 2-4 ग्राम

गुण और उपयोगयह वटी स्नायविक दुर्बलता को दूर स्मरणशक्ति और बुद्धि को बढ़ाती है। इसके नियमित सेवन से विशेष रुप से ज्ञानवाहिनी नाड़ियों की शक्ति बढ़ती है। दिमाग की कमजोरी, ह्य्दय की दुर्बलता, अनिद्रा, हिस्टीरिया, बेहोशी, पागलपन, बारबार भूलना आदि मस्तिष्क विकारों की यह सर्वोत्तम दवा है। शीतांग सन्निपात में बेहोशी या नाड़ी की गति क्षीण हो जाने पर मोतीझरा और मियादी बुखार की बेचैनी, प्रलाप आदि जीर्णज्वर या किसी भी लम्बी बीमारी से मुक्त होने के बाद की कमजोरी में यह वटी बहुत शीघ्र लाभ करती है।