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क्या आपको पता है कि कुटजघन वटी क्या (kutajghan vati in hindi) है और कुटजघन वटी का उपयोग किस चीज मेें किया जाता है? कुटजघन वटी एक औषधि है जिससे पेट संबंधी रोगों का उपचार किया जाता है। कुटजघटवटी का प्रयोग कर कोलायाटिस, पतले दस्त, आंव आना, आँतों के सभी प्रकार के दोष आदि ठीक किए जा सकते हैं।
इसके अलावा भी आप कुटज घन वटी (kutajghan vati in hindi) का प्रयोग अन्य बीमारियों में कर सकते हैं। वास्तविकता यह है कि कुटजघन वटी एक ऐसी गुणी औषधि है जिसके बारे में आयुर्वेदिक किताबों में कई फायदे बताए गए हैं। आइए सभी के बारे में जानते हैं।
कुटजघन वटी, कुटज तथा अतिविषा के प्रयोग से बनी एक महत्वपूर्ण औषधि (kutajghan vati in hindi) है जो पेट के रोगों में बहुत काम आती है। कोलायाटिस, पतले दस्त, आंव आना, आँतों के सभी प्रकार के दोष, बवासीर, गैस्ट्रिक अल्सर इत्यादि पेट के रोगों में काम आती है। यह पतंजलि द्वारा दी जाने वाली यह एक प्रमुख औषधि (Patanjali Medicine for Gastric problems) है।
आप कुटजघन वटी (kutaj ghan vati) का प्रयोग कई रोगों को ठीक करने के लिए कर सकते हैं, जो ये हैंः-
पेचिश को ठीक (kutaj ghan vati benefits)करने के लिए कुटजघन वटी बहुत फायदेमंद औषधि के रूप में काम करती है। जिन लोगों को दस्त के साथ खूून आने की शिकायत है वे कुटजघन वटी का इस्तेमाल कर पेचिश से छुटकारा पा सकते हैं।
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खान-पान में असंतुलन और अनियमित दिनचर्या के कारण कब्ज की समस्या से ग्रस्त हो जाना बहुत आम है। लगभग सभी लोग कब्ज से परेशान रहते हैं। इस प्रकार के कब्ज में व्यक्ति को बार-बार मल त्याग की इच्छा होती है और आँव भी आती है। ऐसे में कब्ज को ठीक करने के लिए कुटजघन वटी का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। कुटजघन वटी के सेवन से कब्ज ठीक (kutaj ghan vati benefits) होती है।
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आप दस्त की समस्या में भी कुटजघन वटी का उपयोग कर सकते हैं। इसके सेवन से दस्त पर रोक लगती है।
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अनेक लोग पाचनतंत्र विकार से ग्रस्त होते है और उनको अपच की समस्या रहती है। कुटजघन वटी के सेवन से अपच की परेशानी ठीक हो जाती है। पाचनतंत्र विकार से परेशान लोग कुटजघन वटी का सेवन करें। यह फायदेमंद (kutaj ghan vati benefits) होता है।
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सूजन की समस्या शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। कुटजघन वटी सूजन को ठीक करने का काम भी करती है। आप त्वचा में होने वाली सूजन में भी कुटजघन वटी का प्रयोग कर सकते हैं। यह लाभदायक होती है।
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कई लोगों को शरीर से बहुत पसीना निकलता है। ऐसी परेशानी में भी कुटजघन वटी का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है।
इसके अलावा कुटजघन वटी का इस्तेमाल (kutaj ghan vati benefits) जीवाणु के संक्रमण, डिहाइड्रेशन सहित अन्य रोगों में भी किया जाता है। इसके लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श जरूर लें।
इन लोगों को कुटजघन वटी का प्रयोग नहीं करनी चाहिएः-
इन समस्याओं की स्थिति में कुटजघन वटी का सेवन नहीं करना चाहिए।
कुटजघनवटी (kutaj ghan vati) का इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें।
कुटजघन वटी का सेवन इतनी मात्रा में करना चाहिएः-
250-500 मि.ग्रा.
अनुपान – नींबू पानी, ठंडा पानी
कुटजघन वटी (kutaj ghan vati) के बारे में ‘सिद्ध योग संग्रह’ नामक आयुर्वेदिक ग्रंथ के अतिसार-प्रवाहिका–ग्रहणी रोग संबंधित अध्याय में उल्लेख मिलता है।
आप इन घटकों से कुटजघन वटी बना सकते हैंः-
क्र.सं | घटक द्रव्य | उपयोगी हिस्सा | अनुपात |
1 | कुटज (Holarrhena antidysenterica Linn.Wall.) | छाल | 12 ग्राम |
2 | जल (क्वाथार्थ) | 768 मि.ग्रा. | |
3 | अतीस चूर्ण (अतिविषा) (Aconitum heterephylum Wall.) | 12 ग्राम |
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