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Psoralea seed (Bakuchi): बाकुची (बावची) के हैं ढेर सारे फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

आपने बाकुची (Bakuchi) का नाम शायद ही सुना होगा। इसे बावची भी बोलते हैं। वैसे तो बाकुची बहुत ही साधारण-सा पौधा लगता है, लेकिन सच यह है कि इसके औषधीय गुण से कई रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, बाकुची (बावची) एक बहुत ही गुणी औषधि है, और इसके अनेक फायदे (babchi benefits) हैं। आपके लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण है क्योंकि बाकुची (बावची) से लाभ लेकर रोगों का उपचार कर सकते हैं।

 

Bakuchi benefits in hindi

 

    आयुर्वेदिक किताबों में बाकुची के बारे में अनेक फायदेमंद (babchi benefits) बातें बताई गई हैं। बावची के औषधीय गुण से खांसी, डायबिटीज, बुखार, पेट के कीड़े, उल्टी में लाभ मिलता है। इतना ही नहीं, त्वचा की बीमारी, कुष्ठ रोग सहित अन्य रोगों में भी बाकुची के औषधीय गुण से फायदा (babchi ke fayde) मिलता है। आइए जानते हैं कि आप किस-किस रोग में बाकुची से लाभ ले सकते हैं।

     

    Contents

    बाकुची (बावची) क्या है? (What is Bakuchi in Hindi?)

    बाकुची का पौधा एक साल तक जिंदा रहता है। सही देखभाल करने पर पौधा 4-5 वर्ष तक जीवित रह सकता है। बाकुची के बीजों (babchi ke beej) से तेल बनाया जाता है। पौधे और तेल को चिकित्सा के लिए प्रयोग में लाया जाता है। ठंड के मौसम में बाकुची (babchi) के पौधों में फूल आते हैं, और गर्मी में फलों में बदल जाते हैं।

     

     

    अन्य भाषाओं में बाकुची (बावची) के नाम (Name of Bakuchi in Different Languages)

    बाकुची (babchi) का वानस्पतिक नाम सोरेलिया कोरिलीफोलिया (Cullen corylifolium (Linn.) Medik, Syn-Psoralea corylifolia Linn.) है, और यह फैबेसी (Fabaceae) कुल का है। इसके अन्य ये भी नाम हैंः-

    Bakuchi in –

    • Hindi – बाकुची, बावची
    • English – मलाया टी (Malaya tea), मलायाटी (Malayati) सोरेलिया सीड (Psoralea seed)
    • Sanskrit – अवल्गुज, बाकुची, सुपर्णिका, शशिलेखा, कृष्णफला, सोमा, पूतिफली, कालमेषी, कुष्ठघ्नी, सुगन्धकण्टक
    • Urdu – बाबेची (Babechi)
    • Oriya – बाकुची (Bakuchi)
    • Kannada – बवनचीगिडा (Bavanchigida), वाउचिगु (Vauchigu)
    • Gujarati – बाबची (Babachi), बाकुची (Bacuchi)
    • Telugu – भवचि (Bhavachi), कालागिंजा (Kalaginja)
    • Tamil – कर्पोकरषि (Karpokarashi), कारवोर्गम (Karvorgam)
    • Nepali – वाकुची (Vakuchi)
    • Punjabi – बाकुची (Bacuchi)
    • Bengali – हाकुच (Hakuch), बवची (Bavachi)
    • Marathi – बवची (Bavachi), बाकुची (Baavachi)
    • Malayalam – करपोक्करी (Karpokkari), कोट्टम (Cottam), कोरकोकील (Korkokil)
    • Arabic – बाकुची (Bakuchi), बाकुसी (Bakusi)
    • Persian – बावकुचि (Bavkuchi), वाग्ची (Waghchi)

     

    बाकुची (बावची) के फायदे और उपयोग (Bakuchi Benefits and Uses in Hindi)

    बावची खाने से कई बीमारियों में फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं कि बाकुची  के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां क्या हैंः-

     

    दांत के रोग में बाकुची (बावची) के सेवन से लाभ (Bakuchi Benefit to Get Relieve from Dental Disease in Hindi)

    • दांत के रोग में बाकुची खाने के फायदे मिलते हैं। बिजौरा नीम्बू की जड़ और बाकुची की जड़ को पीसकर बत्ती बना लें। इससे दांतों के बीच में दबाकर रखें। इससे कीड़ों के कारण होने वाले दांत के दर्द से आराम मिलता है
    • बाकुची (babchi) के पौधे की जड़ को पीस लें। इसमें थोड़ी मात्रा में साफ फिटकरी मिला लें। रोज सुबह-शाम इससे दांतों पर मंजन करें। इससे दांतों में होने वाला संक्रमण ठीक हो जाता है। इससे कीड़े भी खत्म होते हैं।

     

    Bakuchi Benefit to Get Relieve from Dental Disease

    और पढ़ें: दांतों के रोगों में बरगद के फायदे

     

    पेट में कीड़े होने पर बावची (बावची) के फायदे (Benefits of Bakuchi to Treat Abdominal Bugs in Hindi)

    पेट के रोग में भी बाकुची खाने से फायदा होता है। पेट में कीड़े होने पर बावची चूर्ण का सेवन करें। इसमें एन्टीवर्म गुण होता है जिससे कीड़े मर जाते हैं।

     

    दस्त में बाकुची (बावची) के सेवन से लाभ (Bakuchi Uses to Stop Diarrhea in Hindi)

    आप दस्त को रोकने के लिए बावची के औषधीय गुण से लाभ ले सकते हैंं। बाकुची के पत्ते का साग सुबह-शाम नियमित रूप से खाएं। कुछ हफ्ते खाने से दस्त की समस्या में बहुत लाभ होता है।

    और पढ़ें: दस्त को रोकने के लिए करें सफेद मूसली का प्रयोग

     

    बाकुची (बावची) के औषधीय गुण से बवासीर का इलाज (Bakuchi Benefits for Piles Treatment in Hindi)

    बवासीर में भी बावची के औषधीय गुण से फायदा होता है। 2 ग्राम हरड़, 2 ग्राम सोंठ और 1 ग्राम बाकुची के बीज (babchi ke beej) लेकर पीस लें। इसे आधी चम्मच की मात्रा में गुड़ के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे बवासीर में लाभ होता है।

     

    Bakuchi Benefits for Piles Treatment

     

    गर्भनिरोधक (गर्भधारण रोकने के लिए) के रूप में बाकुची का इस्तेमाल फायदेमंद (Bakuchi works like a Contraceptive in Hindi)

    बाकुची (babchi) का उपयोग गर्भधारण रोकने के लिए किया जा सकता है। जो महिलाएं गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं वे मासिक धर्म खत्म होने के बाद बाकुची के बीजों को तेल (Bakuchi Oil) में पीसकर योनि में रखें। इससे गर्भधारण पर रोक लगती है।

     

    बाकुची (बावची) के औषधीय गुण से फाइलेरिया का इलाज (Bakuchi Uses for Filariasis Treatment in Hindi)

    फाइलेरिया रोग में बावची के इस्तेमाल से फायदा होता है। बाकुची के रस और पेस्ट को फाइलेरिया (हाथी पांव) वाले अंग पर करें। इससे फाइलेरिया में लाभ होता है।

     

    बाकुची के औषधीय गुण से पीलिया का इलाज (Benefits of Bakuchi in Fighting with Jaundice in Hindi)

    पीलिया में भी बावची के फायदे ले सकते हैं। 10 मिली पुनर्नवा के रस में आधा ग्राम पीसी हुई बावची के बीज का चूर्ण (Bakuchi Churna) मिला लें। सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।

     

    Benefits of Bakuchi in Fighting with Jaundice

    और पढ़ें: पीलिया रोग में सत्यानाशी के फायदे

     

    त्वचा रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है बाकुची (Bakuchi Benefits for Skin Disease in Hindi)

    बावची के औषधीय गुण से त्वचा रोग का इलाज किया जा सकता है। त्वचा रोग में लाभ लेने के लिए दो भाग बाकुची तेल, दो भाग तुवरक तेल और एक भाग चंदन तेल मिलाएं। इस तेल को लगाने से त्वचा की साधारण बीमारी तो ठीक होती ही है, साथ ही सफेद कुष्ठ रोग में भी फायदा (babchi oil uses) होता है।

     

    सफेद दाग के इलाज में बाकुची का औषधीय गुण फायदेमंद (Benefits of Bakuchi to Treat Leucoderma in Hindi)

    • सफेद दाग का इलाज करने के लिए चार भाग बाकुची के बीज (babchi ke beej) चार भाग और एक भाग तबकिया हरताल का चूर्ण बना लें। इसे गोमूत्र में मिलाकर सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
    • बाकुची (babchi) और पवाड़ को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर सिरके में पीसकर सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग में लाभ होता है।
    • बाकुची, गंधक व गुड्मार को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर तीनों का चूर्ण (Bakuchi Churna) बना लें।  12 ग्राम चूर्ण को रात भर के लिए जल में भिगो दें। सुबह जल को साफ करके सेवन कर लें। इसके बाद नीचे के तल में जमा पदार्थ को सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग खत्म हो जाते हैं।
    • सफेद दागा का उपचार करने के लिए 10-20 ग्राम शुद्ध बाकुची चूर्ण में एक ग्राम आंवला मिलाएं। इसे खैर तने के 10-20 मिली काढ़ा के साथ सेवन करें। इससे सफेद दाग की बीमारी ठीक हो जाती है।
    • बाकुची, कलौंजी और धतूरे के बीजों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर आक के पत्तों के रस में पीस लें। इसे सफेद दागों पर लगाएँ। इससे सफेद कुष्ठ में लाभ होता है।
    • बाकुची, इमली, सुहागा और अंजीर के जड़ की छाल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर जल में पीस लें। इसे सफेद दागों पर लेप करने से सफेद दाग की बीमारी ठीक होती है।

    bakuchi oil benefits

    • सफेद दाग का इलाज करने के लिए लोग बाकुची (babchi), पवांड़ और गेरू को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे अदरक के रस में पीसकर सफेद दागों पर लगाकर धूप में सेकें। इससे सफेद दाग की बीमारी में फायदा होता है।
    • सफेद दाग के इलाज के लिए बाकुची, गेरू और गन्धक को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे पीसकर अदरक के रस में खरल कर लें। इसकी 10-10 ग्राम की टिकिया बना लें। एक टिकिया को रात भर के लिए 30 मिग्रा जल में डाल दें। सुबह ऊपर का साफ जल पी लें। नीचे की बची हुई औषधि को सफेद दागों पर मालिश करें। इसके बाद धूप सेकने से सफेद दाद की बीमारी में लाभ होता है।
    • सफेद दाग का उपचार करने के लिए बाकुची, अजमोदा, पवांड और कमल गट्टा को समान भाग लेकर पीस लें। इसमें मधु मिलाकर गोलियां बना लें। इसके बाद अंजीर की जड़ की छाल का काढ़ा बना लें। एक से दो गोली तक सुबह-शाम काढ़ा के साथ सेवन करने से सफेद दाग में लाभ होता है।
    • सफेद दाग के उपचार के लिए 1 ग्राम शुद्ध बाकुची और 3 ग्राम काले तिल के चूर्ण में 2 चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से सफेद दाग की बीमारी में लाभ होता है।
    • सफेद दाग का इलाज करने के लिए शुद्ध बाकुची (babchi), अंजीर के पेड़ ती जड़ की छाल, नीम की छाल और पत्ते का बराबर-बराबर भाग लेकर कूट लें। इसे खैर की छाल के काढ़ा में मिला लें। इसे पीस कर दो से पांच ग्राम तक की मात्रा में जल के साथ सेवन करें। इससे सफेद दाग मिट जाता है।
    • बाकुची पांच ग्राम और केसर एक भाग लेकर पीस लें। इसे गोमूत्र में खरल कर गोली बना लें। इस गोली को जल में घिसकर लगाने से सफेद दाग में लाभ होता है।
    • सफेद दाग का उपचार करने के लिए 100 ग्राम बाकुची, 25 ग्राम गेरू और 50 ग्राम पंवाड़ के बीज लेकर कूट पीस लें। इसे कपड़े से छानकर चूर्ण कर लें। इसे भांगरे के रस में मिला लें। सुबह और शाम गोमूत्र में घिसकर लगाने से सफेद दाग ठीक होता है।
    • बाकुची चूर्ण को अदरक के रस में घिसकर लेप करने से सफेद रोग में लाभ होता है।
    • सफेद दाग का उपचार करने के लिए बाकुची दो भाग, नीलाथोथा और सुहागा एक-एक भाग लेकर चूर्ण कर लें। एक सप्ताह के लिए भांगरे के रस में घोंटकर रख लें। इसके बाद कपड़े से छान लें। इसको नींबू के रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाएं। इससे सफेद दाग नष्ट होते हैं। यह प्रयोग थोड़ा जोखिम भरा होता है। इसलिए यह प्रयोग करने पर अगर छाला होने लगे तो प्रयोग बंद कर दें।
    • शुद्ध बाकुची (bauchi) के चूर्ण की एक ग्राम मात्रा को बहेड़े की छाल और जंगली अंजीर की जड़ की छाल के काढ़े में मिला लें। इसे रोजाना सेवन करते रहने से सफेद दाग और पुंडरीक (एक प्रकार का कोढ़) में लाभ होता है। 
    • सफेद दाग का इलाज करने के लिए बाकुची, हल्दी और आक की जड़ की छाल को समान भाग में लें। इसे महीन चूर्ण कर कपड़े से छान लें। इस चूर्ण को गोमूत्र या सिरका में पीसकर सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं। यदि लेप उतारने पर जलन हो तो तुवरकादि तेल (Bakuchi Oil) लगाएं।

     

    bakuchi herb benefits

    • 1 किग्रा बावची को जल में भिगोकर छिलके उतार लें। इसे पीसकर 8 लीटर गाय के दूध और 16 लीटर जल में पकाएं। दूध बच जाने पर दही जमा लें। इसके बाद मक्खन निकालकर घी बना लें। एक चम्मच घी में 2 चम्मच मधु मिलाकर चाटने से सफेद दाग की बीमारी में लाभ होता है।
    • सफेद दाग की बीमारी का इलाज करने के लिए बाकुची (bauchi) तेल की 10 बूंदों को बताशा में डालकर रोजाना कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे सफेद कुष्ठ रोग (Bakuchi Oil) में लाभ होता है।
    • बाकुची को गोमूत्र में भिगोकर रखें। तीन-तीन दिन बाद गोमूत्र बदलते रहें। इस तरह कम से कम 7 बार करने के बाद इसे छाया में सुखाकर पीसकर रखें। भोजन करने से एक घंटा पहले इसमें से 1-1 ग्राम सुबह-शाम ताजे पानी से खाएं। इससे श्वित्र (सफेद दाग) में निश्चित रूप से लाभ होता है।

    और पढ़ें – अस्थमा में अंजीर के फायदे

     

    बाकुची (बावची) के सेवन से कफ वाली खांसी का इलाज (Uses of Bakuchi in Fighting With Cough in Hindi)

    आधा ग्राम बाकुची (bauchi) के बीज के चूर्ण को अदरक के रस के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करें। इससे कफ ढीला होकर निकल जाता है। 

    और पढ़ें – लोकाट से खाँसी का इलाज

     

    बहरेपन की बीमारी में बाकुची का सेवन फायदेमंद (Bakuchi is Beneficial for Deafness Disease in Hindi)

    बहरेपन के रोग में बावची के औषधीय गुण से फायदा होता है। रोजाना मूसली और 1-3 ग्राम बाकुची के चूर्ण का सेवन करें। इससे बहरेपन (बाधिर्य) की बीमारी में लाभ (babchi ke fayde) होता है।

     

    सांसों से जुड़ी बीमारियों में बाकुची (बावची) के सेवन से लाभ (Benefits of Bakuchi in Fighting with Respiratory Disease in Hindi)

    आधा ग्राम बाकुची बीज चूर्ण (Bakuchi Churna) को अदरक के रस के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करें। इससे सांसों से जुड़ी बीमारियों में लाभ होता है।

     

    Benefits of Bakuchi in Fighting with Respiratory Disease

    और पढ़ें – सांसों के रोग में सहजन के फायदे

     

    गांठ होने पर बावची का औषधीय गुण फायदेमंद (Bakuchi Benefits for Lipoma Treatment in Hindi)

    चर्बी के कारण शरीर के किसी अंग में गांठ हो गई हो तो बावची का औषधीय गुण लाभदायक सिद्ध होता है। एक रिसर्च के अनुसार, ये गांठ को बढ़ने से रोकता है। इसके उपाय की जानकारी के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्स से सलाह लें।

     

    बाकुची (बावची) के औषधीय गुण से कुष्ठ रोग का इलाज (Uses of Bakuchi to Treat Leprosy in Hindi)

    • बाकुची 1 ग्राम बाकुची और 3 ग्राम काले तिल को मिला लें। एक साल तक दिन में दो बार इसका सेवन करें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ (babchi benefits) होता है।
    • बाकुची के बीजों को पीसकर गांठ पर बांधते रहने से कुष्ठ रोग के कारण होने वाली गांठ बैठ जाती है।

     

    Uses of Bakuchi to Treat Leprosy

     

    बाकुची (बावची) के उपयोगी भाग (Useful Parts of Bakuchi in Hindi)

    बाकुची (bavachi) के निम्न भागों का उपयोग कर सकते हैंः-

    • बीज
    • बीज से बना तेल
    • पत्ते
    • जड़
    • फली

    बाकुची (बावची) का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Bakuchi in Hindi?)

    बाकुची के इस्तेमाल की मात्रा ये होनी चाहिएः-

    चूर्ण – 0.5-1 ग्राम

    अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्श लेकर ही बाकुची का इस्तेमाल करें।

     

    बाकुची (बावची) से नुकसान (Bakuchi Side Effects in Hindi)

    बाकुची (bavachi) के सेवन से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-

    • बाकुची के सेवन से पेट से संबंधित विकार हो सकते हैं।
    • ज्यादा बाकुची के सेवन से उल्टी हो सकती है।
    • ऐसी परेशानी होने पर दही का सेवन करना चाहिए।

     

    बाकुची (बावची) कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Bakuchi Found or Grown?)

    बाकुची (bavachi) के छोटे-छोटे पौधे वर्षा-ऋतु में अपने आप उगते हैं। इसकी खेती कई स्थानों पर भी की जाती है। भारत में बाकुची  विशेषतः राजस्थान, कर्नाटक और पंजाब में कंकरीली भूमि और जंगली झाड़ियों में मिलता है।

     

    पतंजलि के बाकुची चूर्ण कहां से खरीदें? (Where to Buy Patanjali Bakuchi Churna?)

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