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प्राथमिक चिकित्सालय अर्थात् रसोईघर

प्राथमिक चिकित्सालय अर्थात् रसोईघर

अजवायन

  • जो ज्यादा अल्कोहल पीते हों तथा अल्कोहल वाला पेय (शराब) छोड़ना चाहते हों, वे 1/2 किग्रा. अजवायन को 4 लीटर पानी में पकाकर तथा लगभग 2 लीटर बचने पर छानकर रखें। इसे प्रतिदिन भोजन के पहले 1-1 कप पीयें। इससे लीवर भी ठीक रहेगा। शराब पीने की इच्छा भी कम होगी।
  • अजवायन को हल्का भूनकर 2-3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गर्म पानी या दूध के साथ लेने से सर्दी, जुकाम या पेट के रोगों में लाभ होगा।
  • 2-3 ग्राम अजवायन को पाउडर करके छांछ के साथ लेने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
  • 10 ग्राम अजवायन को 1 लीटर पानी में पकाकर 1/4 शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम प्रसूता स्त्री को पिलाने से प्रसूतिजन्य विकार नहीं होते। इससे बढ़ा हुआ शरीर भी अपनी स्थिति में आता है।
  • 10 ग्राम अजवायन को बारीक पीसकर उसमें 1/2 नींबू का रस निचोड़ कर डालें, 5 ग्राम फिटकरी पाउडर व छांछ को मिलाकर बालों में मलने से बालों की रूसी ठीक होती है, साथ ही लीखें तथा जूएँ मर जाती हैं।

और पढ़ेंफैटी लिवर के इलाज में छांछ से फायदा

इलायची

  • मुंह में छाले हों तो इलायची को पीसकर शहद मिलाकर लगाने से छाले ठीक होते हैं।
  • 2-3 ग्राम इलायची को पीसकर मिश्री मिलाकर लेने से मूत्र की जलन व कम पेशाब आने की समस्या में तुरन्त लाभ होता है।
  • हिचकी नहीं रुक रही हो तो 2 इलायची व 3 लौंग को पानी में चाय की तरह उबालकर पिला दें, ठीक हो जायेगी। यदि ठीक न हो तो यह प्रयोग दिन में 3-4 बार तक कर सकते हैं।

काली मिर्च

  • खांसी के मारे सो नहीं पा रहे हों तो 1-2 काली मिर्च मुँह में रखकर चूसते रहें, खांसी में आराम हो जायेगा तथा नींद भी आ जायेगी।
  • थोड़ा अदरक व 3-4 काली मिर्च मिलाकर काढा बनाकर पीने से खांसी में तुरन्त लाभ होता है, चाय के स्थान पर इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  • शीतपित्त होने पर 4-5 काली मिर्च पीसकर उसमें 1 चम्मच गर्म घी और शक्कर मिलाकर पिलाने पर लाभ मिलेगा।
  • खांसी व उसके साथ कमजोरी भी हो तो 20 ग्राम काली मिर्च, 100 ग्राम बादाम, 150 ग्राम खांड या मिश्री मिलाकर, कूटकर पाउडर कर शीशी में भरकर रखें, 1 ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध या गर्म पानी पर लेने से पुरानी खांसी ठीक होती है। इससे कमजोरी में भी लाभ होता है।
  • हिचकी या सिर दर्द में काली मिर्च के 3-4 दानों को जलाकर उसके धूएँ को सूंघने से लाभ मिलता है।

जीरा

  • जब कभी दस्त लगें, तब 4-6 ग्राम जीरे को हल्का भूनकर, पीसकर दही या दही की लस्सी के साथ लेने से तुरन्त लाभ होता है।
  • भूना हुआ जीरा व उतनी ही सौंफ को थोड़ा भूनकर, पीसकर 1-1 चम्मच पानी के साथ दिन में 3-4 बार लेने से मरोड़ के साथ होने वाले पतले दस्त में लाभ होता है।
  • 5-7 ग्राम जीरे को 400 मिली. पानी में पकाकर 1/4 भाग बचने पर प्रतिदिन दो बार पीने से आंतों के कृमि मर जाते हैं।
  • 3-4 ग्राम जीरे को पानी में उबालकर छानकर मिश्री मिलाकर पीने से मूत्र विकार व प्रदर रोग आदि में लाभ होता है।

दालचीनी

  • दालचीनी पाचन शक्ति को बढ़ाती है और सर्दी-जुकाम, खांसी में लाभ प्रदान करती है।
  • दालचीनी का फाण्ट बनाकर उसमें अदरख, लौंग तथा इलायची मिलाकर पीने से वातज एवं कफज विकारों का शमन होता है।
  • दालचीनी चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से श्वास-कास में लाभ होता है।

धनिया

  • सूखा धनिया पीस लें, उससे 4 गुना मिश्री मिलाकर शीशी में भरकर रखें। 1-1 चम्मच दो बार पानी के साथ लेने से अम्ल-पित्त में अत्यन्त लाभ होता है। इससे पेशाब भी खुलकर होता है।
  • 3-4 ग्राम धनिया को 400 मिली. पानी में पकाकर जब 100 मिली. शेष बचे, तब छानकर शीतल कर लें, उसमें थोड़ा शहद मिलाकर पीने से रक्तप्रदर या शरीर में होने वाली गर्मी में लाभ होता है।
  • गर्भावस्था में वमन होने पर या बच्चों को वमन होने पर 2-3 ग्राम धनिया को कूटकर लगभग 400 मिली पानी में भिगोकर उसे छान लें उसमें थोड़ा शहद मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाते रहें। उससे बेचैनी भी कम होगी व वमन शान्त हो जायेगा। इस प्रयोग से खूनी दस्त में भी लाभ मिलेगा।
  • 4-5 ग्राम धनिया व उसकी थोड़ी पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरा सुन्दर एवं युवान पिडका व झांइयों से रहित हो जाता है।
  • जिन्हें काम वासना ज्यादा परेशान करती हो, वे कुछ समय तक 2-3 ग्राम धनिया का पाउडर कुछ समय तक नियमित रूप से ठण्डे पानी के साथ लेते हैं। इससे काम वासना कम हो जाती है। प्रतिदिन 5-7 नीम के पत्ते चबाकर ऊपर से थोड़ा पानी पीने वाले की कामवासना शान्त हो जाती है। ऐसा करने से तीव्र अम्लता (हाईपरएसिडिटी) भी तुरन्त शान्त हो जाती है।

मेथी

  • 1 चम्मच मेथी को रात को 1 कप पानी में भिगो दें। प्रातः उस पानी को पीकर मेथी को भी चबाकर खायें। इससे मधुमेह में लाभ होगा व इससे होने वाली कमजोरी, वातरोगों व हृदयरोगों में भी लाभ होगा।
  • मेथी, हल्दी तथा सोंठ को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर करके रखें। 1-1 चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी या गर्म दूध से सेवन करें। इससे जोड़ों का दर्द व सभी तरह के वात रोग व सूजन में लाभ होता है।
  • पुराने आर्थराइटिस के रोगियों को नियमित रूप से लम्बे समय तक इसके सेवन से आशातीत लाभ होता है।
  • आर्थराइटिस व मधुमेह के रोगियों को मेथी को अंकुरित करके भी प्रतिदिन सेवन करने से भी लाभ मिलेगा।
  • मेथी को भूनकर, पीसकर कॉफी की तरह काढा बनाकर थोड़ा सा अदरक मिलाकर पीने से सर्दी, कफ में लाभ होता है।

राई

  • राई को बारीक पीसकर शोथयुक्त स्थान पर लगाकर पट्टी बाँधने से सूजन में लाभ होता है।
  • सिर दर्द में राई को पीसकर माथे पर लेप करने से शक्ति मिलती है।
  • राई के चूर्ण में सिरका (विनेगर) मिलाकर पीसें, इसे त्वचा रोग (दाद, खाज, खुजली) में लगाने से लाभ मिलेगा।

लौंग

  • अचानक तेज सिर दर्द हो या आधासीसी का दर्द हो तब 4-5 ग्राम लौंग को पीसकर थोड़ा पानी मिलाकर माथे (कनपटियों) पर लगाने से लाभ मिलता है।
  • लौंग को हल्का भूनकर उसको चूसते रहने से खाँसी में चमत्कारी लाभ होता है।
  • शरीर में कहीं भी नासूर या फोड़ा हो गया हो तो 5-7 लौंग व हल्दी को पीसकर लगाने से लाभ होता है।
  • जाड़ (दाढ़) या दांत के दर्द में लौंग को दर्द वाले स्थान में दबाने से या पाउडर करके उस स्थान पर लगाने से पीड़ा शान्त हो जाती है।

हल्दी

  • हल्दी, नमक और थोड़ा सा सरसों के तैल को मिलाकर अंगुली से प्रतिदिन मसूड़ों की मालिश करना पायरिया, मुखदुर्गन्ध व दांतों के रोग में अत्यन्त लाभकारी है।
  • 1 चम्मच हल्दी पाउडर को प्रतिदिन 1 गिलास गर्म दूध के साथ पीने से शरीर की रोगप्रतिरोधक-क्षमता में वृद्धि होती है। सर्दी, जुकाम आदि नहीं होते। शरीर के दर्द, चोट व पीड़ा में भी लाभ होता है।
  • 1/2 चम्मच हल्दी को थोड़ा भूनकर शहद से लेने से गला बैठना या खांसी में तुरन्त लाभ होता है।
  • यदि कहीं कट या जल जाये तो हल्दी पाउडर को लगाने से रक्तस्राव बन्द हो जाता है। जले में फोला भी नहीं पड़ता है।
  • शरीर में कहीं मोच आ जाये तो एक मोटी रोटी बनाकर उसमें सरसों का तैल व हल्दी डालकर गर्म रोटी को मोच वाले स्थान पर बाँधने से सूजन व मोच में तुरन्त लाभ होता है।
  • चेहरे की झाइयों या फुन्सियों में हल्दी व चन्दन और नीम की पत्तियों को पीसकर लगाने से फुन्सियाँ ठीक होकर चेहरे की सुन्दरता भी बढ़ती है।

हींग

  • हींग को जल में घिसकर नाभि के आस-पास लेप करने से अफारा व दर्द में लाभ होता है।
  • हींग को दुग्ध में घिसकर वक्षोप्रदेश में लेप करने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।

अदरक

  • भोजन के आरम्भ में 3-4 ग्रास के साथ थोड़ा अदरक खाने से भूख बढ़ती है। भोजन के उपरान्त थोड़ा अदरक खाने से भोजन का पाचन होता है।
  • 2 चम्मच अदरक के रस में थोड़ा शहद मिलाकर लेने से सर्दी, जुकाम व खाँसी में लाभ मिलेगा।
  • यदि ठण्ड से दाँत में दर्द हो तो एक टुकड़ा अदरक को दाँत में दबाकर रखने से तुरन्त लाभ मिलेगा।
  • अदरक को भूनकर इसे चूसने से खाँसी में लाभ होता है।
  • 2-3 ग्राम सोंठ पाउडर में 1/2 या 1 ग्राम दालचीनी मिलाकर दूध या पानी के साथ लेने से हृदयशूल (एन्जायना) में लाभ होता है, यह हृदय को ताकत प्रदान कर पाचन प्रक्रिया को भी ठीक रखता है।
  • अदरक के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से मन्दाग्नि दूर होकर भूख बढ़ती है।
  • 2 गिलास पानी में 5 ग्राम अदरक को कूटकर उबालकर थोड़ा नींबू व शहद डालकर सुबह खाली पेट गर्म-गर्म पीने से मोटापा कम होता है।

नींबू

  • नींबू के रस में शहद मिलाकर चेहरे पर लगाने (ब्लिचिंग) करने से चेहरे के कील-मुहासों में लाभ मिलेगा।
  • जिन स्त्रियों को अति रक्तस्राव (ओवर ब्लिडिंग) या रक्तार्श की समस्या हो, तो 1/2 नींबू निचोड़कर 1 कप पीने लायक गर्म दूध में डालकर दूध फटने से पहले ही पी जायें। यह प्रयोग सुबह खाली पेट या ऋतुकाल में कभी भी कर सकते हैं। इससे रक्तस्राव में तुरन्त लाभ होगा। यह चमत्कारिक प्रयोग है। यह प्रयोग 3-4 दिन करें। यदि पूर्णी लाभ न मिले तो चिकित्सक को अवश्य दिखायें।
  • 10 मिली. नींबू रस में प्याज का रस 20 मिली. व इच्छानुसार शहद मिलाकर पीने से लीवर के रोग, मन्दाग्नि व अजीर्णी में लाभ होता है।
  • नींबू के रस में थोड़ा अदरक व थोड़ा नमक मिलाकर भोजन के साथ लेने से भूख बढ़ती है। इससे पाचन क्रिया भी सुधरती है।
  • गाड़ी में यात्रा करते समय जिन्हें उल्टी होती हो या जी मिचलाता हो, उन्हें थोड़ा नमक लगाकर नींबू चूसने से लाभ होगा।

प्याज

  • कान दर्द या नजला में कच्चे प्याज को गर्म कर उसका रस निकालकर 4-4 बूंद कान या नाक में डालने से तुरन्त लाभ होता है।
  • जहाँ ज्यादा गर्मी या लू का प्रकोप होता हो वहाँ धूप में जाना या घूमना हो तब एक प्याज को जेब में रखने या गले में बाँधकर रखने से लू का भय नहीं रहता।
  • 1 पोटली में 8-10 प्याज बाँधकर घर के बाहर टांगने से हवा से फैलने वाले अनेक तरह के बैक्टीरिया व वायरस से बच्चों को बचाने में सहयोग मिलता है।
  • छोटी माता या बड़ी माता रोग हो जाये तो 1-1 चम्मच प्याज के रस में 2-3 काली मिर्च पीसकर कुछ दिन तक दिन में 2-3 बार पिलाने से ठीक होता है, बाद में उसके निशान भी नहीं रहते हैं।
  • कच्चे प्याज को गर्म करके फोड़े आदि में बाँधने से तुरन्त पीड़ा का शमन होता है तथा फोड़ा पक जाता है एवं उसका मवाद भी आराम से निकल जाता है।
  • पेट में दर्द होने पर पानी में प्याज का रस, नींबू का रस व उसमें नमक मिलाकर पिला दें, तुरन्त राहत मिलेगी।

लहसुन

  • 1 पोथी लहसुन को टुकड़े करके रात को पानी में भिगो दें। प्रातःकाल खाली पेट लेने से कॉलेस्ट्राल, हृदय रोग व सन्धिवात में लाभ मिलेगा।
  • 50 ग्राम लहसुन को कूटकर सौ ग्राम सरसों के तेल, तिल के तेल या जैतून के तैल में पकाकर, छानकर रखें। इसके प्रयोग से सूजन व दर्द में लाभ होता है। यह एक अच्छा प्रयोग है।
  • कान दर्द होने पर इस तेल की 3-3 बूंद कान में भी डाल सकते हैं।
  • जहाँ आक्सीजन की कमी हो वहाँ पर एक लहसुन को ताबीज की तरह गले में लटकाकर रखने से राहत मिलती है।

घृतकुमारी (एलोवेरा)

  • घृतकुमारी के गुद्दे को निकालकर, टुकड़े बनाकर सब्जी की तरह पकाकर खाने से सन्धिवात, वायु विकार, पेट व यकृत् के विकारों का शमन होता है।
  • कटे हुए या जले हुए स्थान पर उसी समय एलोवेरा जेल या रस लगाने से फोला नहीं पड़ता, रक्त रुक जाता है तथा जख्म जल्दी ठीक हो जाता है।
  • 4-6 चम्मच एलोवेरा रस प्रतिदिन पीने से पेट के समस्त रोगों व शरीरगत कमजोरी में लाभ होता है।
  • एलोवेरा जेल को चेहरे पर लगाने से चेहरे की कान्ति बढ़ती है तथा झाइयां, कील, मुहासों में लाभ होता है।
  • हाथ-पैरों के रूक्षता में एलोवेरा जेल लगाने से तुरन्त लाभ होता है।

शहद

  • आधा चम्मच दालचीनी पाउडर एवं एक चम्मच शहद के नियमित प्रयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि होती है एवं यह साइनस और तीव्र जुकाम में भी लाभदायक है।
  • आंखों की ज्योति बढ़ाने के लिए 2 चम्मच शहद को गाजर के रस में मिलाकर नियमित सेवन करें।
  • सर्दी-जुकाम, खांसी में 2 चम्मच शहद में बराबर मात्रा में अदरख रस मिलाकर बार-बार चाटें।
  • काली मिर्च पाउडर, शहद और अदरख रस बराबर मात्रा में, रोजाना दिन में तीन बार लेने से श्वास, कास में आराम मिलता है।
  • रक्तचाप नियत्रण के लिए 1 चम्मच लहसुन रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर नियमित सेवन करें।
  • 1 गिलास गुनगुने जल में 2 चम्मच शहद एवं 1 चम्मच नींबू रस मिलाकर रोज सुबह-शाम खाली पेट सेवन करने से मोटापा कम होता है।
  • रोज एक चम्मच शहद का सेवन करने से मनुष्य लम्बी और स्वस्थ जिन्दगी जी सकता है।

कुछ अन्य प्रयोग

  • 2-3 ग्राम दालचीनी व उसमें 2-3 लौंग डालकर पानी को चाय की तरह उबालकर पीने से हृद्शूल में लाभ होता है तथा हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य हो जाती है। इससे वायरल संक्रमण में भी लाभ होता है।
  • इलायची, दालचीनी तथा सोंठ का पाउडर करके नियमित दूध में डालकर या पानी से सेवन करने से हृदय को ताकत मिलती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • करेला, खीरा तथा टमाटर का ताजा रस निकालकर एक कप रस सुबह खाली पेट पिया जाये तो इससे मधुमेह में लाभ होता है तथा पाचन क्रिया ठीक रहती है।
  • लौकी का ताजा रस निकालकर प्रतिदिन सुबह पीने से हृदय के लिए व सामान्य स्वास्थ्य (जनरल हैल्थ) के लिए बहुत अच्छा रहता है। इसमें सेव का रस भी मिलाकर पी सकते हैं। सर्दी हो तो थोड़ा अदरक का रस या सोंठ मिलाकर पीयें। यह कॉलेस्ट्राल भी कम करता है।
  • जिन्हें तेज बुखार हो उन्हें दवाइयों के साथ-साथ सामान्य उपचार के रूप में लौकी को गोलाई से काटकर पैर के तलवों में रखना चाहिए। इससे रोगी को शान्ति मिलती है, बुखार जल्दी उतरता है।
  • जिन्हें रक्ताल्पता कमजोरी हो, उन्हें अनार, सेव के साथ पालक का रस निकालकर पीने से जल्दी लाभ मिलेगा।
  • जिनका पेट ठीक से साफ न होता हो उन्हें पपीता का सेवन अधिक करना चाहिए। उससे पेट साफ होगा व लीवर भी ठीक रहेगा।
  • 5-7 बादाम, 5-10 ग्राम अखरोट तथा 4-5 काली मिर्च को रात को भिगोकर सुबह पीसकर या अच्छी तरह चबाकर खाने से याददाश्त व शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
  • 10-10 ग्राम मुनक्का या किशमिश व 4-5 अंजीर तथा 8-10 बादाम को रात में भिगोकर प्रतिदिन सुबह सेवन करते हैं, तो यह बलकारक व उदर-रोगों में लाभकारी है।
  • मुनक्का व अंजीर को दूध में पकाकर सेवन करने से पाचन क्रिया में सुधार तथा बल की वृद्धि होकर कमजोरी दूर होती है।
  • सर्दी के मौसम में छुहारा या खजूर को दूध में पकाकर सेवन करना भी स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभप्रद है।
आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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