Written by: dixit rajput
01 OCT 2025
आयुर्वेद में इसे प्रायः "लिवर टॉनिक" कहा जाता है। यह डिटोक्सिफिकेशन में सहायक है, लिवर सेल्स की सुरक्षा करती है, और बाइल फ्लो को बढ़ाने में भी मदद कर सकती है।
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इसे "पथरी तोड़ने वाली" जड़ी के रूप में जाना जाता है। साथ ही इसका उपयोग हेपेटाइटिस के इलाज में भी किया जाता है। यह लिवर के रीजनरेशन में मदद करती है और लिवर को नुक्सान पहुँचाने वाले वायरल इन्फेक्शन से बचाती है।
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लिवर को सुरक्षित रखने वाले कई महत्वपूर्ण औषधीय गुणों से भरपूर एक कड़वी जड़ी-बूटी। यह लिवर की सूजन को कम करती है और उसे डिटॉक्स करने में भी मदद करती है।
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इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह लिवर सेल्स को डैमेज से बचाती है और उसे पूरी तरह से स्वस्थ रखने में मदद करती है।
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इसमें करक्यूमिन होता है, जो एक पॉवरफुल एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी एजेंट है। यह लिवर को डिटॉक्स करती है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाती है।
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विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर यह दवा लिवर सेल्स को रिपेयर करने और लिवर फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करती है।
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गिलोय लिवर डेटॉक्स में मदद करने के साथ इम्यून रेस्पोंस को बढ़ाती है। लिवर के गंभीर रोगों के इलाज़ के लिए पारंपरिक रूप से इसका इस्तेमाल किया जाता है।
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हालाँकि इन जड़ी-बूटियों को आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है, लेकिन फिर भी इन्हें शुरू करने से पहले किसी हेल्थ केयर प्रोवाइडर या आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। खासकर अगर आपको पहले से ही लिवर संबंधी समस्याएं हैं या आप कोई दवा ले रहे हैं।
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