Written by: dixit rajput
24 JULY 2025
किनोआ डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए अनुकूल बेहतरीन विकल्प है। इसके कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, फाइबर, प्रोटीन और पोषक तत्वों की वजह से, यह ब्लड शुगर को स्थिर रखता है और मेटाबॉलिज़्म को बेहतर बनाता है।
Photo Credit: Freepik
किनोआ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम (~53) होता है। इस वजह से यह ब्लड शुगर को अचानक से न बढ़ाकर धीरे-धीरे बढ़ाता है। जो डायबिटीज को मैनेज करने के लिए बढ़िया है।
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100 ग्राम पके हुए किनोआ में लगभग 2-5 ग्राम फाइबर होता है। यह फाइबर आपके ग्लूकोज अवशोषण को धीमा कर देता है, जिससे खाना खाने के बाद ग्लूकोज लेवल में होने वाली होने वाली बढ़ोत्तरी कुछ कम हो जाती है। जो ख़ास तौर पर सफेद चावल खाने से ज्यादा होती है।
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किनोआ में सभी 9 ज़रूरी अमीनो एसिड होते हैं। जबकि कई अन्य अनाजों में ये सभी एक साथ नहीं पाए जाते। जिससे यह बेहतर ब्लड शुगर कंट्रोल और लंबे समय तक पेट को भरा रखने में मदद करता है।
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क्विनोआ मैग्नीशियम, विटामिन B, आयरन, जिंक और फोलेट का भी बेहतरीन स्रोत है। ये सभी मिनरल्स इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाने और डायबिटीज के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।
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क्विनोआ में कई फाइटोकेमिकल्स (क्वेरसेटिन, केम्पफेरोल, पॉलीफेनोल और सैपोनिन) होते हैं। ये सभी तत्व सूजन को कम करने और ब्लड शुगर को नियमित रखने में योगदान देते हैं।
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कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि किनोआ की डाइट लेने से महिलाओं और पुरुषों में भोजन के बाद ग्लूकोज, इंसुलिन सेंसिटिविटी, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर के स्तर में कमी आती है। साथ ही प्री-डायबिटीज या डायबिटीज के लक्षण कम हो जाते हैं।
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सप्ताह में 2-3 बार, 1-2 कप किनोआ पकाकर खाने की कोशिश करें। किनोआ खाने से सैपोनिन्स को हटाने में मदद मिलती है। इसे हेल्दी सब्जियों या फलों के साथ परोसें।
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